Digvijaya Singh
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26 अप्रैल 1994 स्थगन प्रस्ताव भोपाल स्थित प्रदेश कांगेस कार्यालय में बम विस्फोट

26 अप्रैल 1994 स्थगन प्रस्ताव भोपाल स्थित प्रदेश कांगेस कार्यालय में बम विस्फोट

(79) दिनांक 26 अप्रैल 1994


भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बम विस्फोट।

स्थगन प्रस्ताव
भोपाल स्थित प्रदेश कांगेस कार्यालय में बम विस्फोट

समय 11.30 बजे

    अध्यक्ष महोदय :- मेरे पास भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय मे बम      में विस्फोट की घटना से अनेक लोगों के घायल होने के संबंध मे स्थगन प्रस्ताव की नौ सूचनायें प्राप्त हुई  हैं :-
    पहली सूचना      -    श्री बच्चन नायक
    दूसरी सूचना      -    श्री भंवरसिंह शेखावत
    तीसरी सूचना     -    श्री कंकर मुन्जारे, श्री रामलखन सिंह (त्योंथर)
    चौथी सूचना       -    श्री जनकलाल ठाकुर
    पांचवी सूचना     -    श्री बृजमोहन अग्रवाल, डॉ. रमनसिंह
    छठवीं सूचना     -    श्री गोपाकृष्ण नेमा
    सातवीं सूचना     -    श्री ईश्वरदास रोहाणी, श्री पारसचन्द जैन
    आठवीं सूचना    -    श्री श्री रामविचार नेताम
    नौवीं सूचना       -    श्री बाबूलाल गौर, सदस्य की है।
  

 चूंकि श्री बच्चन नायक, सदस्य की ओर से स्थगन प्रस्ताव की सूचना सबसे पहले प्राप्त हुई है अतः मैं उसे पढ़कर सुनाता हूं :-
    ‘‘दिनांक 25 अप्रैल, 94 को भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पार्टी के केन्द्रीय स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक चल रही थी। बैठक में श्री आर. के धवन. श्री रामलखन सिंह यादव, श्रीमती मोहसिना कंदवई, श्री सुशीलकुमार शिन्दे आदि अनेक राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण नेता, जिन्हें महत्वपूर्ण व्यक्ति की सुरक्षा प्राप्त है, भी उपस्थित थे। असामाजिक तत्वों ने उक्त महत्वपूर्ण नेताओं को जान से खत्म करने, तथा भय व आंतक का वातावरण बनाकर शांति व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने की नियत से अत्यंत शाक्तिशाली बम का एक से अधिक बार विस्फोट किया जिससे अनेक कांग्रेस जन गंभीर रूप से घायल हो गये, तथा जन-धन की भी हानि हुई। उक्त बम विस्फोट के बाद भोपाल सहित पूरे प्रदेश में भय एवं तनाव का वातावरण निर्मित हो गया है तथा वरिष्ठ राजनेताओं की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। पुलिस द्वारा वरिष्ठ नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया गया। मध्यप्रदेश में आने वाले किसी भी राष्ट्रीय स्तर के नेता की सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं रह गई है, उपरोक्त घटना से भोपाल तथा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आम जनता तथा विभिन्न क्षेत्रों में आम जनता तथा विभिन्न दलों के राजनैतिक कार्यकर्ताओं में प्रशासन के विरूद्ध रोष व तनाव व्याप्त है।
    अतः इस लोक महत्व के विषय पर आज सदन की कार्यवाही रोककर चर्चा की जावें।’’
    इसके संबंध में शासन का क्या कहना है ?

    राज्यमंत्री गृह (श्री सत्यदेव कटारे) :- अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 25-4-94 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षक सर्वश्री आर. के. धवन, एस.के. शिन्दे, श्रीमती मोहसिना किंदवई, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के सिलसिलें में तमिलनारडु एक्सप्रेस से दिल्ली से भोपाल आये थे। सुरक्षा की दृष्टि से शिवाजी नगर स्थित प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, दो उप पुलिस अधीक्षक, 6 नगर निरीक्षक, 8 उप निरीक्षक, 5 सहायक उप निरीक्षक, 20 प्रधान आरक्षक तथा 153 आरक्षक का बल तैनात किया गया था। करीब 9.30 बजे पर्यवेक्षकगण प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय, पहुंच गए। श्री अजीत जोगी, सांसद कांग्रेस (ई) के समर्थक पूर्व से ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आकर नारेबाजी कर रहे थे एवं ढोल, आदि बजा रहे थे। इसी बीच श्री गुफराने आजम, सांसद के समर्थक भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पहुंचे तथा वे भी अपने नेता के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। दोनों गुटों के समर्थकों द्वारा अपने-अपने नेताओं के समर्थन में नारेबाजी करने के कारण तनाव की स्थिति निर्मित होने लगी। उसी समय सामूहिक भीड़ के बीच में किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा नारियल, रस्सी और बारूद से बना पटाखा फोड़कर धमाका कर दिया गया। उस समय पुनः दोनों नेताओं के समर्थक आमने-सामने होकर झगड़ने पर उतारू हो गए। ड्यूटी में लगे पुलिस अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने दोनों गुटों के समर्थकों को अलग-अलग कर समझाने का प्रयास किया किन्तु दोनों गुटों के समर्थक किसी भी हालत में मानने को तैयार नहीं हुए। कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित होते देख शांति व्यवस्था रखने हेतु दोनों पक्षों के 35 लोगों को धारा 515 जा. फौ. के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया। मौके पर मौजूद थाना प्रभारी, हबीबगंज द्वारा घटना के संबंध में मौके पर देहाती नालसी लेकर अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया। मौके से पटाखे जैसे सुतली बम के अवशेष जप्त किए गए। देहाती नालसी पर से अप.क्र. 201/94 धारा 3/5 विस्फोटक अधिनियम कायम किया गया। इस घटना के संबंध में दोनों गुटों के समर्थकों द्वारा एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए आवेदन पत्र दिए गए हैं जिनकी वास्तविकता की जांच भी इसी अपराध के अनुसंधान के साथ की जा रही है। इस घटना में कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ और न ही कोई जन-धन की हानि हुई। विवेचना जारी है। 
    यही सही नहीं है कि घटना में कांग्रेस जन गम्भीर रूप से घायल हो गए। यह भी सही नहीं है कि घटना से भोपाल तथा प्रदेश में कोई तनाव या भय का वातावरण निर्मित हुआ। यह भी सही नहीं है कि भोपाल में वरिष्ठ नेताओं की सुरक्षा को गंभीरता से नहीं लिया जाता बल्कि वास्तविकता यह है कि पर्यवेक्षक गणों में श्री आर. के धवन को सुरक्षा की ‘‘एक्स’’ श्रेणी मे रखा गया है जिन्हें निर्धारित सुरक्षा प्रदान की गई थी तथा प्रदेश कांगेस कमेटी कार्यालय में सुरक्षा हेतु समुचित पुलिस बल लगाया गया था। यह घटना कांग्रेस के ही दो गुटों के समर्थकों की नारेबाजी एवं पटाखा फोड़ने के कारण अकस्मात फैली उत्तेजना की वजह से घटित हुई।
    यह सही नहीं कि भोपाल में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के भ्रमण के समय सुरक्षा की कोई गांरटी नहीं है बल्कि सत्य यह है कि भोपाल में पिछले एक वर्ष में कई अति महत्वपूर्ण एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों का आगमन हुआ है जिन्हें निर्धारित सुरक्षा प्रदान की गई थी और इसी वहज से उने समस्त कार्यक्रम शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हुए।
    जहां तक भोपाल यात्रा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री वी.पी. सिंह...

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, यह तो आपने पढ़ा ही नहीं है ?

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, मेरे स्थगन में यह बात आई है।

    अध्यक्ष महोदय : यह मैंने पढ़ा नहीं है, क्योंकि यह घटना बहुत दिन पहले की है।

    श्री बच्चन नायक : यह मैंने लिखकर दिया है। इसका जवाब आने दीजिए।

    अध्यक्ष महोदय : मैंने जो हढ़ा है, उसी का जवाब आएगा।

    श्री सत्यदेव कटारे : शासन के पास जो सूचना आई थी, उसके अनुसार मैंने जवाब दिया।

    अध्यक्ष महोदय : जो आपने दिया है और कई माननीय सदस्यों ने दिया है उनको सबको संशोधित करते हुए जो मैंने पढ़ा है उसी का उत्तर आएगा।

    श्री बच्चन नायक : माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय नेताओं की सुरक्षा का सवाल है। यदि पहले भी राष्ट्रीय नेताओं के साथ घटना हुई है।

    अध्यक्ष महोदय : आपको समय मिलेगा। जो मैंने पढ़ा है उसी का उत्तर आएगा।

    श्री सत्यदेव कटारे : वह पढ़ता हूं। लेकिन जो शासन के पास सूचना आ गई थी उसके अनुसार पूरा उत्तर बना लिया है।
    यह सही नहीं है कि भोपाल में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के भ्रमण के समय सुरक्षा की कोई गारन्टी नहीं है। बल्कि सत्य यह है कि भोपाल में पिछले एक वर्ष में कई अति महत्वपूर्ण एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों का आगमन हुआ है जिन्हें निर्धारित सुरक्षा प्रदान की गई थी और उसी वजह से उनके समस्त कार्यक्रम शांति पूर्ण ढंग से संपन्न हुए। स्थिति पूर्णतः सामान्य है।

    अध्यक्ष महोदय : मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगा कि चूंकि मांगों पर मतदान होना है और बहुत से माननीय सदस्यों ने अपने नाम दिए हैं, उसे मैंने पढ़कर सुना दिया है। हम यह चाहेंगे कि एक-एक दल का अगर एक-एक ही सदस्य अपने विचार दें तो हम समझते हैं कि समय की बचत होगी औ उनके विचार भी आ जाएंगे। इसमें ज्यादा समय नहीं लगे, इसलिए मैंने इसमें इस तरह का आप से निवेदन किया हैं।

    श्री बच्चन नायक (बड़वारा)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण नेताओं का चूंकि भोपाल प्रदेश की राजधानी है, इसलिए उनका आना-जाना लगा रहता है। इन दौरों के दौरान चूंकि उन महत्वपूर्ण नेताओं को विभिन्न श्रेणियों की सुरक्षा व्यवस्था प्राप्त है और सुरक्षा व्यवस्था प्राप्त न होने वाले नेता भी यदि आते हैं तो उनकी सुरक्षा की जवाबदारी भी हमारी व हमारे राज्य शासन के प्रशासन की हैं। माननीय अध्यक्ष महोदय, देखने में आ रहा है कि पिछले कुछ वर्षो से जब से इस प्रदेश में सामाजिक न्याय की बात चली हुई है और सामाजिक न्याय के चलते इस प्रदेश में जिसका बाहुल्य है, हरिजन, आदिवासी व पिछड़े वर्ग के लोग अपने अधिकारों के लिए, चाहे वह सरकारी नौकरी में हो, चाहे वह राजनैतिक सत्ता में हो या किसी भी राजनैतिक दल में हो, किसी एक सत्तारूढ़ दल का सवाल नहीं है, अन्य दलों की स्थिति भी लगभग यही है और सभी दलों में एक तरह से वर्ग संघर्ष प्रारंभ हुआ है। जब इस प्रदेश का गरीब वर्ग अपनी बात को कहने के लिए बड़ी संख्या में यहां पर इकट्ठा होता है, अपने नेताओं के स्वागत के लिए, या अपने नेताओं के पक्ष को प्रस्तुत करने के लिए और तब इस तरह की घटना, सुनियोजित षडयंत्र के चलते, संपन्न वर्ग या बड़े वर्ग के लोगों के द्वारा इस तरह की घटना करके उनको बदनाम करने का काम किया जाता है। कल की जो घटना है उसके पहले भी इतवार के दिन इसी तरह की घटना छोटे स्तर पर हुई और उसके पहले भी कई बार हुई। उदाहरण के लिए मैं कहना चाहता हूं कि पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री व्ही. पी. सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री शरद यादव जब भोपाल आए और चूंकि वे वर्ग संघर्ष के, जाति तोड़ आन्दोलन के प्रतीक हो चुके हैं। वे आए तो संपन्न वर्ग ने उनकी कार में तेजाब फेंकने का , पत्थर फेंकने का काम किया और वे घायल हुए। उनके घायल होने के कारण तत्कालीन प्रदेश के मुख्यमंत्री सुन्दरलाल जी पटवा के दरवाजे पर उनको धरना देना पड़ा और धरने के बाद भी इस संबंध में कोई निश्चित आश्वासन नहीं मिला, कोई निश्चित व्यवस्था नहीं मिली।

    अध्यक्ष महोदय : ग्राह्यता कर कहिए कि क्यों ग्राह्य किया जाए।

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष जी, इतवार के दिन नारेबाजी हुई और नारेबाजी तो प्रजातांत्रिक अधिकार है। यदि नारेबाजी हुई है तो वह कोई बहुत आपत्तिजनक बात नहीं है। अपने-अपने नेताओं के पक्ष में सभी लोग नारेबाजी करते हैं। इस सदन के किसी भी नेता को प्रसन्नता ही होगी जब उनके पक्ष में नारेबाजी हो रही है। मैं यह कहना चाहूंगा कि सुनियोजित ढंग से दूसरा गुट जो गुफराने आजम का था, गुफराने आजमम ने खुले आम पत्रकारों के सामने इस बात को कहा कि मैं अजीत जोगी जैसे घटिया नेता को ठीक कर दूंगा। अगर मुझकों अनुमति मिल जाये, तो मैं उनको अस्पताल पहुंचा दूंगा। यह सारी चीजें समाचार पत्र के प्रतिनिधियों के सामने ही कही गई। यही नहीं, खुले आम धमकियां दी गई और कल पुनः जब अजीत जोगी जो कि आदिवासी और गरीब वर्ग के नेता हैं और उनके ही पक्ष में लोग कहने के लिये आये थे। राष्ट्रीय नेताओं के सामने अजीत जोगी को प्रतिष्ठापित करने के लिलये उनके समर्थकों द्वारा नारेबाजी हो रही थी, तो इसमें गलत आखिर क्या था ? सबसे बड़ी बात तो यह है कि प्रशासन के द्वारा जब प्रदेश के प्रतिनिधियों की मीटिंग है, यही नहीं प्रदेश कार्यकारणी के लोगों की मीटिंग है, जिसमें कि निश्चित लोगों को ही बुलाया गया हो, मैं पूछता हूं कि फिर ऐसी जगह इतनी बड़ी भीड़ को क्यों जाने दिया गया ? मेरा यह निवेदन है कि इसको इसलिये ग्राह्य किया जाये कि चूंकि निश्चित लोगों को ही आमंत्रण प्राप्त था तो फिर उस क्षेत्र में इतनी बड़ी भीड़ को प्रवेश की अनुमति प्रशासन ने क्यों दी ? इसलिये यह जो घटना घटित हुई है, इसमें हमारे प्रदेश का प्रशासन भी बराबर सहभागी है। इस घटना को होने देने के लिये प्रशासन भी बराबरी से जुड़ा हुआ है इसलिये इसको आवश्य ही ग्राह्य किया जाये। यही कहते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूं।

    श्री भंवर सिंह शेखावत (इन्दौर-5) : माननीय अध्यक्ष महोदय, कल जो घटना घटी है, वह हमारे मध्यप्रदेश की राजधानी के अन्दर जहां पर सत्तारूढ़ पार्टी के शीर्षस्थ माननीय मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी उपस्थित हों और जहां पर राष्ट्रीय नेताओं का एक बहुत बड़ा जमावड़ा हुआ हो, उन सभी की उपस्थिति अत्यन्त ही महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसे स्थल की सुरक्षा को बड़े महत्वर्पूण तरीके से देखा जाना चाहिये था। कल जो घटना घटित हुई है, जो पार्टी सत्ता में है उनके कार्यकाल में उनके सत्ता में रहने के दौरान घटित हुई है। जो पार्टी सत्ता में है उसके रहते यह घटना घटित होने के कारण सारे शहर के अन्दर आतन्क व्याप्त है अशांति व्याप्त है और प्रदेश की सारी जनता में रोष भी व्याप्त है। यह कल की घटना कोई पहली बार घटित नहीं हुई है। इसका आभास पूर्व से ही माननीय मुख्यमंत्री जी को था। जब गुफराने आजम शाम को फ्लाइट से आते हैं तो मुख्य मंत्री जी यह कहते हैं कि एयरपोर्ट पर गुफराने आजम से जरा निपट लेना। मामला बड़ा साफ होने वाला है। और गुफराने आजम दो दिन पहले प्रेस में यह बोलते हैं कि अजीत जोगी के लोगों को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी मेरी है अगर वह आयें तो मैं उनको निपटा कर रख दूंगा। मैं यह पूछता हूं कि जब यह पहले से ही मालूम था कि घटना घटने वाली है तो.....

    श्री सत्यनारायण शर्मा  : माननीय अध्यक्ष महोदय, प्वाइन्ट आफ आर्डर है मेरा कि क्या स्थगन प्रस्ताव में इस तरह से जो विषय वस्तु है, उस के बाहर जा कर चर्चा कर सकते हैं ? इस तरह की काल्पनिक बातें स्थगन में नहीं आ सकती हैं। ऐसी काल्पनिक बातों पर स्थगन हर्गिज नहीं आ सकता। इन्होंने यह कहा है कि मुख्यमंत्री जी को पहले से आभास था इनको आप रोकें जरा।

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन सुन लें सत्यनारायण शर्मा जी प्वाइंट आफ आर्डर पर मेरा प्वांइट आफ आर्डर है कि जो घटना क्रम में लोग जुड़े हुए होंगे, जो घटना पर उपस्थित रहे होंगे जिनके बीच में लड़ाई और मारपीट हो रही है, जो पुलिस का डंडा पकड़ते हैं और पुलिस का उनको हाथ जोड़ते हुए फोटो अखबार में छपा हो, क्या उनके नामों का उल्लेख नहीं होगा ? जिनके नाम आये हैं, उन सबमें उनके ही नामों का उल्लेख कर रहे हैं।

    श्री भंवर सिंह शेखावत : मैं इसलिये उनके नामों का उल्लेख करना चाहता हूं कि सारे समाचार पत्रों में उनका फोटो बयान और सारा घटना क्रम छपा है इसलिये यह जो स्थगन है, इसको आप ग्राह्य करें इसकी ग्राह्यता इसलिये भी बनती है कि कल के इस प्रदर्शन में अतिथिगण कोई कांग्रेस के कार्यकर्ता महिला कार्यकर्ता पदाधिकारी कोई, कोई जिले के पदाधिकारी यह नहीं थे इस तरह के जीव जन्तु वहीं पर उपस्थित नहीं थे। वहां पर तो उपस्थित थे भोपाल रेल्वे स्टेशन के पड़ोस में जो ईरानी हथियार बनाने वाले लोग हैं, मुन्ना ईरानी और उसके लोग जिन्होंने दिसम्बर, 84 में भोपाल में आयातित, प्रायोजित दंगा करवाया था वे सारे लोग वहां पर उपस्थित थे। वे सारे लोग वहां उपस्थित थे हथियोरों से लैस होकर।..(व्यवधान)....

    अध्यक्ष महोदय : कृपया समाप्त करें।

    श्री सत्यनारायण शर्मा : दंगे भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुए। कितने दंगे हुए इसको मध्यप्रदेश की जनता ने देखा है। इसमें से आपने जितने जातीय दंगे कराये मध्यप्रदेश में उसकी मिसाल नहीं हैं.....(व्यवधान)

    श्री शेलेन्द्र प्रधान : बंबई में भी दंगे कराये ......(व्यवधान)

    श्री सत्यनारायण शर्मा : आप भूल गए पार्टी के चुनाव हुए थे...(व्यवधान) शेलेन्द्र प्रधान जी, आप पर तो खून का मुकदमा चला था......(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : अग्रवाल साहब, आप बैठिये, मैं खड़ा हूं।......(व्यवधान)

    श्री किशोरीलाल वर्मा : अध्यक्ष महोदय, आप बृजमोहन अग्रवाल को डांटते हैं सत्यनारायण जी को नहीं कहते ......(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : आप बैठ जाइये।

    श्री भंवर सिंह शेखावत : वहां जो लोग उपस्थित थे, वे रेल्वे स्टेशन के पास ईरानी लोग हथियार बनाते हैं। लक्ष्मी टाकीज के गुण्डों के तीन नाम पुलिस की लिस्ट में है। वे सारे गुण्डे हथियार लेकर वहां उपस्थित थे। हमारा यह कहना नहीं है कि दो दलों के अंदर आपस में झगड़ा हो, उसमें हमें कोई दिक्कत नहीं है। अजीत जोगी को अध्यक्ष बनने दे या न बनने दें उससे भारतीय जनता पार्टी को, जनता को कोई लेना देना नहीं है। उनकी पार्टी के आंतरिक मामलों को लेकर भोपाल के सरीखे शहर में बम फेंके गए, गोलियां चलाई, लाठियां चलाई, गुप्तियां चलाई गयी। इतनी संख्या के अंदर आम नागरिक घायल हुए जिनको अस्पताल नहीं पहुंचाया गया। शासन का जवाब आया कि कोई घायल नहीं हुआ। फिर अस्पताल में गये क्या करने, घायल नहीं हुए तो ? पुलिस की गिरफ्तारी के बाद मेडिकल के लिए भेजा गया। मंत्री जी का जवाब आया है घायल नहीं हुए। गुण्डागर्दी, आंतक माननीय दिग्विजय सिंह की उपस्थिति मैं, राष्ट्रीय नेताओं की उपस्थिति में राजधानी भोपाल, में कल हुआ उससे पूरे प्रदेश में क्या संदेश देना चाहते हैं ? पूरे प्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था की बात करने वाली सरकार इस तरह का आंतक फैलाये ? अध्यक्ष महोदय, दो मुद्दे और देना चाहता हूं।

    अध्यक्ष महोदय : अभी आपके और साथी हैं।

    श्री भंवर सिंह शेखावत : राज्यमंत्री का जवाब आया है। राज्यमंत्री ने धारा 107, 116, 151 लगा कर उनको छोड़ दिया गया जो लोग बम फेंक रहे थे। जिनके प्राप्त बम पकड़ाये, लाठियां चली, गुप्ती, सरिता चले उसमें धारा 116 लगाई जाती हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी कहां गया आपका टाडा ? एक साधारण नागरिक पर आप रासुका लगाते हैं। गुण्डागर्दी करने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। उनको एक रात बंद कर के छोड़ दिये...(व्यवधान) इस तरीके से कांग्रेस कानून व्यवस्था समाप्त कर के शहर में आंतक फैला रही है। इसलिए इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाय।

    श्री कंकर मुंजारे (परसवाड़ा) : अध्यक्ष महोदय, जो घटना घटी है कांग्रेस कार्यालय पर ये बहुत ही निंदनीय है। इस तरह से एक राष्ट्रीय दल के अंदर, जिस दल की यहां पर सरकार बनी है उसके अंदर, इस तरह से सत्ता संघर्ष हो इसको लेकर प्रदेश में संदेश क्या जाएगा ? इससे सरकार की ओर से यहां की जनता को कोई रास्ता मिलने वाला नहीं है सिवाय इसके कि मारकाट और सत्ता के लिए खूनखराबा हो, इसके कोई अच्छा संदेश जाने वाला नहीं है। अध्यक्ष जी, इसलिए यह बहुत गंभीर मसला है। राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश के बड़े लोग जो सांसद हैं और राष्ट्रीय नेता आये हुए हैं, ऐसा प्रदर्शन करके हम लोगों को क्या संदेश देना चाहते हैं ? सत्तारूढ़ पार्टी को यह सोचने के लिए बहुत बड़ी बात है। दरअसल ये जो संघर्ष है वह बड़े लोगों और छोटो लोगों के बीच वर्ग संघर्ष है। बड़े लोग नहीं चाहते हैं कि कोई दबे कुचले लोग, जंगल मे रहने वाले लोग या खेती बाड़ी करने वाले लोग सत्ता के उच्च शिखर पर पहुंचे। ये वे किसी कीमत पर नहीं चाहते, चाहे वह भारतीय जनता पार्टी के लोग हो या कांग्रेस पार्टी के हो। दोनों की संस्कृति एक जैसी है वह कभी नहीं उनको आगे पहुचने देना चाहते। इस मामले में दोनों की एक समान राय है इसमें कोई शक नहीं हैं। भोपाल में ये घटना घटी है  इससे यहां नागरिक बहुत दुःखी हैं और उनमें काफी घबराहट और आंतक है। अन्य नागरिक भी इसमें घालय हुए हैं। काफी नागरिक इसमें घायल हुए हैं, अजीत जोगी को जिस तरह से गुफराने आजम ने चेलेन्ज किया है।

    अध्यक्ष महोदय : आप वहां थे क्या ? आप ग्राह्यता पर बोलें।

    श्री कंकर मुंजारे : मेरा निवेदन है, मैं यह कहना चाहता हूं कि इसको क्यों ग्राह्य किया जाय। अजीत जोगी को चेलेन्ज किया गया है, वे सारे तथ्य हम आपके सामने रखेंगे। आप कानून और व्यवस्था की बात करते हैं लेकिन कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब कोई घटना नहीं होती हो। अजीत जोगी की कालर को पकड़ा गया और बोला गया कि तुमको ठीक कर देंगे, यह वहां कांग्रेस कार्यालय में कहा गया। मैं संक्षेप में ही बोल रहा हूं। चूंकि जोगी जी आदिवासियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और वे आगे आ रहे हैं और हमारे लाभ के लिए बोलना चाहते हैं.....(व्यवधान)

    श्री रामेश्वर अखंड : (.......)(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : यह बहुत ही आपत्तिजनक है। यह विलोपित किया जाय। (व्यवधान)

    श्री जालम सिंह पटेल : अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार से नहीं चलेगा। आसंदी का अपमान हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम प्रस्ताव करते हैं कि इस प्रकार से बोलने के लिए अखण्ड जी को सदन से निलंबित किया जाय (व्यवधान)

    श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, जल तक रामेश्वर जी अखण्ड क्षमा नहीं मांगेगे....

    अध्यक्ष महोदय : कृपया सब लोग बैठ जायें।

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, हमको विपक्ष द्वारा हमेशा अपमानित किये जाता है, यह बर्दाश्त नहीं होगा। (व्यवधान)    

    श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, लगातार हम देख रहे हैं। जब तक रामेश्वर जी अखण्ड खेद प्रगट नहीं करेंगे तब तक उनको एक शब्द भी हम बोलने नहीं देंगे। (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : नेता प्रतिपक्ष कुछ बोल रहे हैं, आप लोग बैठ जायें।

    श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, आसंदी की यह अवमानना है इस सदन में लगातार इनका इस प्रकार का रवैया हैं। यह केवल आसंदी का अपमान ही नहीं बल्कि पूरे सदन का अपमान है।

    अध्यक्ष महोदय : जो वाक्य हमनो विलोपित कर दिये उस पर उत्तेजना का काम नहीं है। अब आप लोग बैठ जाईये। (व्यवधान)

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को लगातार सदन में अपमानित किया जाता है।

    अध्यक्ष महोदय :  आप लोग बैठ जाईये, उनकी बात सुन लें, कृपया बैठ जाईये।

    श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, यह तो जानबूझकर किया जा रहा है। प्रतिपक्ष के नेता से लेकर भारतीय जनता पार्टी के सारे सदस्य इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं।

    श्री रामलखन शर्मा : हम लोग सत्य बात कहते हैं। क्या हम लोगों को ये इसी प्रकार से अपमानित करेंगे ? सदन में रोज नये-नये  लांछन लगा रहे हैं, इस तरह रोज-रोज लांछन लगांयेगे ? हम इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोगों की संख्या कम है तो क्या आप लोग हम लोगों की आवाज को दबाना चाहते हैं ?

    अध्यक्ष महोदय :  बैठिये। यहां किसी की आवाज नहीं दबाई जाएगी। ....(व्यवधान)

    श्री बच्चन नायक : यह रोज का अपमान सहन नहीं किया जाएगा।....(व्यवधान)

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, आपका अपमान, हम सब का अपमान और हम सब लोगों के ऊपर टिप्पणी की जाती हैं और उसके बाद भी आप सुनते रहते हैं। हमारे साथ यह अन्याय बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ....(व्यवधान)

    श्री सत्यनारायाण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, यहां हर सदस्य का सम्मान होता है लेकिन इनका लगातार यह रवैया चल रहा है ....(व्यवधान)

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, सदन इस तरह से दबे भाव से नहीं चलेगा....(व्यवधान)

    श्री चन्द्रप्रकाश बाजपेयी : उनको खेद वयक्त करना चाहिए।
(.......) विलोपित

    अध्यक्ष महोदय : आप बैठिये। शुक्ल जी बोल रहे हैं।

    संसदीय कार्य मंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल) : अध्यक्ष महोदय, आपने शालीनता की द्रष्टि से उसको विलोपित किया। लेकिन जो बात कही गई, जिस बात को सदन में सुना गया और कहने का जो आशय था, उसका सम्प्रेषण हुआ, उसका प्रभाव केवल विलोपित करने से नहीं जाता। आप यहां आसंदी पर बैठे हैं, हम सब आपके संरक्षण के अंतर्गत आते हैं और विधान सभा की कार्यवाही को गरिमा-मंडित रूप में चलाने का दायित्व भी आपके ऊपर है। हम लोगों से यहां भूल हो सकती है लेकिन आपको अधिकार है कि आप ऐसी परिस्थिति में बिना किसी प्रस्ताव के सदस्य को कह सकते हैं कि आप एक दिन के लिए बाहर किए गए। ऐसा आप कह सकते हैं, इसके लिए किसी प्रस्ताव की आवश्यकता नहीं हैं, यह आपके अधिकार में हैं, आपके नियमों में है। आखिर कहीं न कहीं कुछ तो अंकुश लगना चाहिए। इस तरह की जो परम्परा है, उसको कहां तक प्रोत्साहन दिया जाएगा ? मैं समझता हूं कि प्रतिपक्ष के नेता भी कहेंगे कि गलती हो गई लेकिन उसका थोडा सा परिणाम तो निकलना चाहिए। आप माननीय सदस्यों को भावनाओं को देख रहे हैं। आप भी कह रहे हैं कि गलत काम हुआ है तो उसको विलोपित करने से उसका प्रभाव समाप्त नहीं हो जाता।
 

   श्री विक्रम वर्मा (नेता प्रतिपक्ष) : अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्य मंत्रीजी ने जो कुछ कहा, मैं उसकी बहस में नहीं जाना चाहता नहीं तो फिर बहुत सारे विवरण और बहुत सारे विवरण और बहुत सारी बातें, सदन में पटल पर मुझे रखनी पड़ेगी इसलिए मैं उन सब बातों में नहीं जाना चाहता। अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे माननीय सदस्य श्री अखंड जी ने भावावेश में आसंदी में प्रति जो शब्द कहे हैं, मैं मानता हूं कि वे उचित नहीं हैं क्योंकि आप यहां पर बैठकर सभी को बोलने का समुचित अवसर देते हैं। आपने भी उसको अनुचित माना हैं। मैं उनकी तरफ से ......(व्यवधान)

    श्री बच्चन नायक : लेकिन हम लोगों के बारे में क्या होगा ?

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, अब इनके बारे में क्या बात करूं फिर उत्तेजना की बात होगी। उनके भाषण की शब्दावली....(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : कृपया आप बैठ जाइयें।

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय सदस्य की तरफ से मैं खेद प्रकट करता हूं। आपने भी उसको विलोपित कर दिया है। आप आगे कार्यवाही चलाइये। ....(व्यवधान).......

    श्री सत्यनारायाण शर्मा : जब तक माननीय सदस्य क्षमा नहीं मांगेगे, खेद प्रकट नहीं करेंगे....(व्यवधान).......

    एक माननीय सदस्य : श्री अखंड को सस्पेंड किया जाए। इस प्रकार की उद्दंडता नहीं चलेगी। ....(व्यवधान).......

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के बारे में जो टिप्पणी की गई, उसका क्या होगा ? क्या वह ठीक हैं ?

    अध्यक्ष महोदय : आप बैठिए, मैं बताता हूं।

    श्री रामेश्वर अखंड : अध्यक्ष महोदय, मैंने एक बार आपके कंक्ष में आकर निवेदन किया था और आपसे कहा था कि ....(व्यवधान).......

    अध्यक्ष महोदय : क्या एक साथ सभी सदस्य बोलेंगे ? देखिये, नेता प्रतिपक्ष ने आपकी तरफ से खेद प्रकट किया है क्या आप सहमत हैं उससे ....(व्यवधान).......
समय 12.00 बजे

    श्री रामेश्वर अखण्ड : अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके कक्ष में कहा था....

    श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, वे खेद प्रकट नहीं कर रहे हैं। जो चर्चा आपके कक्ष में हो गयी है उसकी चर्चा माननीय सदस्य यहां कैसे कर सकते हैं ? उन्होंने जो आसंदी के प्रति शब्द कहें हैं उसके लिए सीधे-सीधे उन्हें खेद प्रकट करना चाहिए।....(व्यवधान).......

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष जी, आपने रामेश्वर अखण्ड को एक बार उठाया ओर वे खड़े हुए तो हम जानना चाहते हैं कि वे क्या कहना चाहते हैं ?

    अध्यख महोदय : अब आप बैठिए। जैसा नेता प्रतिपक्ष ने आंसदी के प्रति आक्षेप करने में खेद प्रकट किया तो क्या आप उससे सहमत है और खेद प्रकट करेंगे ?

    श्री रामेश्वर अखण्ड : अध्यक्ष महोदय, आप कार्यवाही उठाकर देख लीजिए, एक भी शब्द मैंने गलत नहीं बोला।....फिर भी एक शब्द न बोलने के बाद भी अगर मेरे शब्द अपमानजनक लग रहे हैं तो मैं खेद प्रकट करता हूं।

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, आसंदी की गरिमा तो आपने बचा ली लेकिन जो हमारे बारे में टिप्पणी हुई हैं उसका क्या हुआ, हमारा क्या होगा क्या आप सिर्फ आसंदी की गरिमा के लिए है, हम लोगों की गरिमा के लिए नहीं हैं।

    अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठिए। उन्होंने खेद प्रकट कर दिया है। अब आप सुन लीजिए।

    जहां तक आसंदी की गरिमा का प्रश्न है, हम समझते हैं कि सभी माननीय सदस्यों की गरिमा आंसदी की गरिमा में ही निहित है। इसमें कहीं कोई अलग नहीं है (मेजों की थपथपाहट) उत्तेजना में अगर किसी माननीय सदस्य ने कहा, उसे मैंने विलोपित कर दिया है माननीय नेता प्रतिपक्ष ने उस पर खेद व्यक्त कर दिया है और माननीय सदस्य ने भी उस पर खेद प्रकट कर दिया है लेकिन फिर भी मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करना चाहूंगा कि आसंदी उनकी बनाई हुई है और आसंदी के प्रति अगर इस प्रकार के वाक्य आयेंगे तो मैं समझता हूं कि ये उनका खुद का अपमान है। ऐसी स्थिति में निवेदन करूंगा और चाहूंगा कि माननीय सदस्य बोलते समय इस बात का ध्यान रखें और भविष्य में इस प्रकार की बात न हो। अब आगे की कार्यवाही चलायें।

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, अपराधी की बात तो समझ में आती हैं, लेकिन आदतन अपराधी के लिये क्या करेंगे ?

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी : ये आदतन अपराधी की बात कैसे कर रहे हैं।....(व्यवधान)......

    अध्यक्ष महोदय : ओंकार जी आप बैंठे।

    श्री चन्द्रप्रकाश बाजपेजी : अध्यक्ष महोदय, आप कार्यवाही उठाकर देखें, जब प्रतिपक्ष के नेता अपने विचार व्यक्त करने उठे तो उन्होंने कहा कि जिस तरह से पक्ष के लोग उत्तेजित हो रहे हैं, हम भी उत्तेजना में आ जायेंगे। उनका आशय क्या है, वे क्या कहना चाहते हैं ? रोज इस प्रकार की घटनायें घट रही हैं।....(व्यवधान).....

    श्री भंवरसिंह शेखावत : आप उत्तेजना में आ सकते हैं तो ये भी आ सकते हैं।

    अध्यक्ष महोदय : मेरा निवेदन है और मेरी यह व्यवस्था है कि भविष्य में सदस्य लोग भी अपनी भाषा पर संयम रखें और एक-दूसरे पर किसी प्रकार का आरोप न लगायें। ये उनके लिये भी उचित है, जनता के लिये भी उचित है, जहां से चुनकर आये हैं उनके लिये प्रदेश के लिये और इस विधानसभा के लिये भी उचित है जहां हम सब लोग बैठे हैं। इसलिये एक-दूसरे पर इस तरह के आरोप न लगायें, चाहे इधर के हों, या उधर के हों।

    श्री कंकर मुंजारे : माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से ये बम-काण्ड हुआ है उससे एक ऐसी संस्कृति का निर्माण हो रहा है जो हिंसा और गुण्डागर्दी को शुरू करती है। अखबारों में अपशब्द छपे हैं फोटोग्राफ आये हैं डंडा मारते हुए और लाठियां चलाते हुए। हमारे पास बहुत सारे प्रमाण हैं, इसलिये इस स्थगन को ग्राह्य किया जाय। और इस पर व्यापक चर्चा कराई जाय।

    श्री गोपीकृष्ण नेमा (इन्दौर-3) : अध्यक्ष महोदय, में पांच मुद्दे आपके समक्ष रखना चाहता हूं, जिनके आधार पर इस स्थगन को ग्राह्य किया जाय।
    (1) आज प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी अपने अध्यक्ष की प्रसव वेदना से तड़प रही है और उसके बमों धमाके सड़कों पर गूंज रहे हैं। इसलिये इसे स्वीकार किया जाय।
    (2) आज के अखबारों में हमारे सदन के नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री जो कांग्रेस के अध्यक्ष हैं अपना उत्तराधिकारी चुनने के लिये इस बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर चुके हैं कि पूरी घटना की जिम्मेदारी वे अपने सिर पर लेते हैं। इसलिये सदन में इस बात पर चर्चा होना जरूरी है कि कैसे सदन के नेता ने इस घटना की जिम्मेदारी अपने सिर पर ली है।
    (3) अखबारों में इस बात का विवरण छपा है कि वहां हथियारों का खुलकर प्रर्दशन हुआ, और महिलाओं के साथ अभ्रद व्यवहार हुआ। कांग्रेस संस्कृति में महिलाओं के साथ जो व्यवहार हुआ है, उस संस्कृति पर चर्चा के लिये इसे ग्राह्य किया जाय। सरकार क्या चाहती हैं ?
    (4) इसे इसलिये भी ग्राह्य करना चाहिये क्योंकि इन्दौर और भोपाल के कुख्यात गुण्डे, निगरानी शुदा बदमाश और हिस्ट्रीशीटर कांग्रेस के पदाधिकारियों की गलबहियां डाले थे जिनके अखबारों में फोटो छपे हैं। क्या कांग्रेस की यही संस्कृति हैं ?
    (5) माननीय राजा दिग्विजय सिंह जी अपना कैसा उत्तराधिकारी देना चाहते हैं ? राजाओं के यहां जो उत्तराधिकारी होते थे, उनको तोपों से सलामी दी जाती थी तो क्या अब आप अपने उत्तराधिकारी के लिये बमों की सलामी देना चाहते हैं ? प्रदेश को वे क्या संदेश देना चाहते हैं ? ‘‘अंधेर नगरी चौपट राजा, गुण्डों के सरदार कांग्रेस में आजा’’ क्या ये संदेश देना चाहते हैं ? यह सब चर्चा सदन में हो, इसलिये भी इसे ग्राह्य करना चाहिये।

    श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी है और यहां पर कानून और व्यवस्था की स्थिति दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। कल सुबह से रेल्वे स्टेशन पर जो वाक्या हुआ, अध्यक्ष महोदय, यह कल की ही घटना है। भोपाल रेल्वे स्टेशन के प्लेटफार्म पर कर्फ्यू लगा हुआ था और किसी को अंदर आने नहीं दिया गया। आई. जी., डी. आई. जी. वहां पर गये। किसी पुलिस अधिकारी को प्लेटफार्म पर नहीं जाना चाहिये लेकिन श्री पंडित, महेश शुक्ला आदि वहां पर गये। जहां पर हैड कांस्टेबल और टी. आई. को जाना चाहिये था वहां पर डी.आई.जी. और बड़े बड़े पुलिस अधिकारी घूम रहे थे।सारे शहर मे आतंक था एक तरह का। शिवाजी नगर के सामने मेन रोड पर चार घंटे तक आवागमन व्यवस्था को रोक दिया गया और बच्चे स्कूल पढ़ने नहीं जा सके। यह कानून और व्यवस्था गिर रही है या सुधर रही हैं ? इतना ही नहीं, कांग्रेस कार्यालय के सामने कांग्रेस के महामंत्री श्री रसूल अहमद सिद्दकी, विट्ठल भाई पटेल, माणक अग्रवाल आदि ने धरना दिया। ये सारे तथ्य आने चाहिये। यह किसी भी पार्टी को अधिकार नहीं दिया जा सकता है कि वह पूरी कानून और व्यवस्था को अपने हाथ में लेकर के पूरी व्यवस्था को ही तहस-नहस कर दे। इसलिए इस पर चर्चा कराने के लिए इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाये और मुख्यमंत्री जी सारे सदन के अंदर माफी मांगे, कल की घटना के लिए। मुख्यमंत्री जी, सारे प्रदेश के अन्द माफिया मांगने में उस्ताद नम्बर एक हैं। आज तक किसी भी मुख्यमंत्री जी ने इतनी माफी नहीं मांगी होगी। रिकार्ड देख लें एक हजार तो हो चुकी हैं। जितनी घोषणाएं नहीं हुई हैं उससे ज्यादा तो माफियां हो चुकी हैं।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : इन्होंने दिन में 3 बार और पूरे सत्र में 100 बार माफी मांगने का रिकार्ड बनाया है।

    श्री बाबूलाल गौर : ये अखबार में फोटो आये हैं (नई दुनिया अखबार दिखाते हुए) गुफराने आजम, पुलिस का और मुख्यमंत्री जी का फोटो आया है। ऐसा कैसे चलेगा ? महाबली राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल जी यहां पर बैठे हैं। आप कहते हैं कि यहां पर ठीक होना चाहिये लेकिन बाहर कैसा होना चाहिये ? ये महाबली हैं देखिये आप खड़े होइये, जरा....(हंसी)

    श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल : आपको हमारी चिंता ज्यादा हैं, अपनी तरफ तो देखें। आपके विधायक बैठ करके कुछ और फैसला करते हैं और किस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल करते हैं ? आक्रोश व्यक्त करते हैं। कांग्रेस का यह हुजूम खड़ा हो गया, मालूम नहीं वो कांग्रेस के थे या नहीं थे। बिना वजह ही आपने यह हंगामा मचा रखा है, सिर पर आसमान खड़ा कर दिया हैं। .......(व्यवधान)......

    श्री बाबूलाल गौर : मैं यह जानना चाहता हूं कि जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया था क्या उनको मुचलकों या जमानत पर छोड़ा है कि अब जाओ भाई... यह भी बता दें।

    श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल : बता देंगे।

    श्री बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर नगर) : माननीय अध्यक्ष महोदय, कल जो घटना भोपाल में हुई, वह एक पूर्व नियोजित घटना थी। घटना के पूर्व रात को माननीय मुख्यमंत्री जी और डी. जी. पी. रेल्वे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था देखने के लिए गये थे। इन्हें यह अहसास था कि ऐसी घटना घटित होने वाली है। उसके बाद भी बमों का वहां पर फोड़ा जाना और गोलियों का चलना, हथियारों से लैस लोगों का जीपों में घूमना, इस बात को साबित करता है कि मध्यप्रदेश की सरकार प्रदेश की कानून और व्यवस्था को बनाये रखने में अक्षम है। यह मैसेज नीचे तक जाएगा ? कांग्रेस के कार्यकर्ता यदि यहां पर ऐसा करते हैं तो फिर ब्लॉक और जिलों में भी ऐसा ही होगा। इसमें सांसद, विधायक और मंत्री शामिल हैं। स्वयं मुख्यमंत्री जी वहां पर उपस्थित थे। यह स्थगन प्रस्ताव ग्राह्य करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि सत्ता रूढ़ दल, जिसकी यहां पर सरकार है, उसके लोगों के द्वारा पूरे भोपाल में आतंक का वातावरण पैदा किया गया। गृह राज्य मंत्री जी ने जो वक्तव्य दिया है उसमें कहीं पर भी घातक हथियारों से लैस लोगों के बारे में विवरण नहीं दिया है और बम फोड़ने वालों को गिरफ्तार करने की बात भी नहीं की है। अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया है। यदि मध्यप्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति को सुधारना है तो इस स्थगन प्रस्ताव के ग्राह्य किया जाये। धन्यवाद। 

    श्री रामलखन सिंह (त्योंथर) : अध्यक्ष महोदय, यह स्थगन प्रस्ताव इसलिए ग्राह्य होना चाहिए क्योंकि मध्यप्रदेश की सरकार वहां पर मौजूद थी। वहां पर जिस प्रकार की स्थिति बन गई थी, उसमें प्रदेश की जनता क्या सबक सीखेगी ? कांग्रेस के कार्यकर्त्ता आपस में ट्रेलर दिखाकर के पूरे प्रदेश के गरीब लोगों के मन में भय व्यप्त करने का काम कर रहे थे। हम प्रदेश में इस प्रकार की मुहिम चला सकते हैं तो इन लोगों को नेस्तनाबूद कर सकते हैं, इस भावना को प्रेरित करने का काम किया है। इसलिए अध्यक्ष महोदय, यह प्रस्ताव ग्राह्य करने योग्य है कि अनुसूचित जाति, आदिवासी सांसद के साथ निंदनीय ढंग से अपमानित करने का काम किया है। एक सांसद का कालर पकड़कर मारा जाए और सारे के सारे राजनेता जो पकड़े गए बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इस प्रकार की कानून व्यवस्था आप प्रदेश में नहीं चला सकते हैं, इसलिए मेरा निवेदन है कि इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य करके उस पर चर्चा कराई जाए।

    श्री रामलखन शर्मा (सिरमौर) : अध्यक्ष महोदय, मैं केवल 3-4 लाइनों में अपनी बात कहना चाहता हूं जो इनका सुनियोजित षड़यंत्र हैं, उसके बारे में बता दूं और ग्राह्य करने के बाद के तथ्य मैं बाद में दे दूंगा। एक्स और जोड सुरक्षा प्राप्त सांसद और माननीय नेता गण वहां आए थे और कांगेस के कार्यालय के सामने जब एक बार मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में धक्का मुक्की रेल्वे स्टेशन तथा हवाई अड्डे पर हो चुकी थी, तो क्या वहां सुरक्षा के लिए गाड़ियां लगाई थीं ? क्या वहां सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी ? सुरक्षा के उपाय पर्याप्त नहीं किए गए। दूसरे जब बम-विस्फोट हुआ, मंत्री-गण, विधायक-गण उपस्थित थे, सरकार उपस्थित थी और स्टेशन पर धक्का-मुक्की हो चुकी थी तो निश्चित रूप से वहां उपाय करने चाहिए थे यह सरकार की कमी थी और जानबूझकर वहां झगड़ा कराया गया। वर्तमान मुख्यमंत्री जी अध्यक्ष बने रहें, इसलिए यह सुनियोजित ढंग से जानबूझकर षड़यंत्र किया गया। महिलाओं और जनता को पीटा गया, उनका मेडिकल नहीं कराया गया। मुख्यमंत्री जी ने अजीत जोगी और गुफराने आजम को पत्रकार वार्ता में अगल बगल में बैठने का कहा, तो अजीत जोगी ने कहा कि हम प्रदेश में गुण्डई नहीं चलने देंगे, उसको ठीक करेंगे। इसलिए इस स्थगन को स्वीकार करने का कष्ट करें।

    श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी : अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाह रहा हूं।

    श्री विक्रम वर्मा : आप क्या स्थगन प्रस्ताव पर बोल रहे हैं ?

    श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी (चंदला) : मैं अध्यक्ष महोदय, का ध्यान आकर्षित करना चाह रहा हूं। यह परम्परा रही है कि आप जहां पर स्थगन पर ग्राह्यता के विचार सुनते हैं, वहीं यह भी परम्परा रही है कि स्थगन को ग्राह्य क्यों न किया, इस दिशा में पक्ष के विचार सुनने के लिए भी अनुमति देते हैं। आपसे मैं निवेदन करूंगा कि विरोध पक्ष के विचार पर्याप्त रूप में आ चुके हैं तो दो मिनट का अवसर मुझे भी देने का कष्ट करें। इसे ग्राह्य क्यों न किया जाए इस बारे में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं।

    अध्यक्ष महोदय : ये ग्राह्य करने की बात कहेंगे आप अग्राह्य करने की बात कहेंगे। ठीक है, संक्षेप में अपनी बात कह लें।

    श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी : अध्यक्ष महोदय, कल की जिस घटना को लेकर यहां यह स्थगन प्रस्ताव लाया गया है, निश्चित रूप से कोई भी सभ्य व्यक्ति ऐसी घटना से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। इसे स्वीकार करने में मुझे बिल्कुल हिचक नहीं है। ऐसी कोई घटना जिससे राजनीति के स्वच्छ वातावरण में। (व्यवधान)

    श्री भंवरसिंह शेखावत : आप बम फोड़ने वालों में हैं, या बम फुड़वाने वालों मैं हैं ? (व्यवधान)

    श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी : अध्यक्ष महोदय, ऐसे किसी भी प्रयास की निंदा की जानी चाहिए। मैं इस बात का द्रण समर्थक हूं। अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कल का है। जब वह घटना कांग्रेस कार्यालय के समक्ष होती, चाहे वह किसी के भी द्वारा की जा रही हैं, तब हमारे प्रतिपक्ष के साथियों को स्थगन प्रस्ताव लागे की आवश्यकता महसूस होती है, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके यहां पर चुनाव होते हैं और वहां पर तलवारें, कट्टे चलते हैं लोग घायल होते हैं ओर दफ्तरों के अंदर घुसकर तोड़-फोड़ होती है तो उस समय कौन सी संस्कृति का परिचय दिया जाता हैं ? अपने दल के ऊपर आचरण के संबंध मे कोई टिप्पणी करने की बात नहीं की है। यह स्थगन प्रस्ताव इसलिए अग्राह्य होना चाहिए क्योंकि जो भी घटनाक्रम हुआ है उस पर शासन ने कार्यवाही की है। लोग गिरफ्तार हुए हैं और हमारे मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो भी अपराधी गतिविधियों में पाये जायेंगे उनको गिरफ्तार किया जायेगा और कानून उसके विरूद्ध कार्यवाही करेगा। किसी से पक्षपात का प्रश्न नहीं है और तत्काल उस पर कार्यवाही की गयी है। इसलिए इसको ग्राह्य करने का औचित्य नहीं है। (व्यवधान)

    श्री जयकरण साकेत : इसकी ग्राह्यता पर हम बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों को भी बोलने का अवसर दिया जाय।

    अध्यक्ष महोदय : जिनके नाम मेरे पास हैं उनको ही पुकारा है।

    श्री रामलखन शर्मा : श्री जनकलाल ठाकुर जी का तो नाम है उनको तो बोलने का अवसर दिया जाय।

    अध्यक्ष महोदय : जनकलाल ठाकुर अपनी बात को जल्दी समाप्त करें।

    श्री जनकलाल ठाकुर (डोडीलोहारा) : इस स्थगन प्रस्ताव को इसलिए ग्राह्य किया जाना चाहिए चूंकि सत्ता और विपक्ष के लोगों ने जिस प्रकार के ध्यान दिए हैं और सत्ता पक्ष की तरफ से जो बयान आये हैं यह मारपीट, गोली चलना, बम फूटना और अन्य बातें हैं यह सब कार्यालय में नहीं हुआ हैं यह खुले और बीच बाजार में हुआ है इससे पत्रकारों, महिलाओं, सामान्य व्यक्तियों और यात्रियों को तकलीफें हुई हैं। बसों के कांच फोड़े गये हैं। साथ ही कई लोगों को पीटा भी गया है। यह सब सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी है। इसलिए इस स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना चाहिए। यह बात भी साफ है कि प्रदेश के निचले तबके के लोग जब भी अपनी बात को रखने के लिए खड़े होते हैं, उसको दबाने के लिए यह सरकार मदद करती है।

    अध्यक्ष महोदय : (श्री जयकरण साकेत के खड़े होने पर) जयकरण साकेत जी, आपका नाम नहीं है फिर भी मैं आपको मौका दे रहा हूं और आप दो मिनिट में अपनी बात समाप्त करें।

    श्री जयकरण साकेत (देवतालाब) : अध्यक्ष महोदय, मैं ग्राह्यता के संबंध में बोलना चाहूंगा। कल यहां पर कांग्रेस भवन में जो कुछ हुआ है वह निश्चित रूप से पुरानी संस्कृति की याद दिलाता है यहां पर सब कुछ माननीय अजीत जोगी जी को अध्यक्ष बनाने के संबंध में हुआ है और पिछड़े और निचले तबके के व्यक्ति जब भी अपनी बात को कहने के लिए आगे आते हैं उनको दबाया जाता है यह उसी की परिणिति है। चाहे वह कांग्रेस की संस्कृति हो या भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति हो ब्राम्हणवादियों ने हमेशा इस वर्ग के व्यक्तियों को दबाने का प्रयास किया हैं। चूंकि अजीत जोगी जी एस. सी. एस. टी. के हैं इसलिए उनको और उनके कार्यकर्ताओं को दबाने की कोशिश की है और मारापीटी भी की गयी है। इसलिए इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाय।

    अध्यक्ष महोदय : कृपया साकेत जी अपना भाषण समाप्त करें अब श्री साकेत जी जो कुछ भी बोलें वह रिकार्ड नहीं किया जाय।

    श्री जयकरण साकेत : (..............)

    नेता प्रतिपक्ष (श्री विक्रम वर्मा) : अध्यक्ष महोदय, मैं अजीत जोगी जी की बात नहीं रखना चाहता हूं। मुख्यमंत्री और उनके बीच में हवाई अड्डा पर किन शब्दों का प्रयोग किया गया है उसका उल्लेख नहीं करना चाहूंगा लेकिन जिस दिन से इस प्रदेश में मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह जी बने हैं, एक सामंती शैली विकसित हुई है। राजा मुस्कराते रहेंगे और अपने विरोधियों को पिटवाते रहेंगे और यह चलता रहेगा। कल उस सामंती शैली की परिणित थी, क्योंकि मुख्यमंत्री बनाये जाने के दिन से इस प्रकार का एक स्वर, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों की मांग इस प्रदेश में उठती रही हैं।

    अध्यक्ष महोदय : यह विषय इस स्थगन प्रस्ताव से संबंधित नहीं है।

    श्री विक्रम वर्मा : यह उसी घटनाक्रम से जुड़ा है। ....व्यवधान

    श्री सत्यनारायण शर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रतिपक्ष के नेता स्थगन प्रस्ताव रिलेवेंट बातें ही कहें। स्टोरी बनाने से काम नहीं चलेगा।

    श्री भंवरसिंह शेखावत : सवाल स्टोरी बनाने का नहीं हैं।.....व्यवधान.....

    अध्यक्ष महोदय : शेखावत जी आप बैठ जाइये।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, दो दिन पहले कांग्रेस के पदाधिकारी, उपाध्यक्ष ने पत्रकार वार्ता में, बकायदा अखबारों में छपा है, मुख्यमंत्री जी का नाम लेकर घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री जी केवल इशारा कर दें, दो मिनट में ठीक कर दूंगा, यह शब्द बोले हैं, इनके सदस्य हैं। उनको मुख्यमंत्री जी ने इशारा कर दिया और उसने ठीक कर दिया। पार्टी चाहे कोई भी हो। कोई भी व्यक्ति उनके खिलाफ न बोल पाये। अध्यक्ष महोदय, इनकी उपस्थिति में यह कांग्रेस कमेटी का झगड़ा नहीं है, हम कई दिनों से कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है, क्योंकि असामाजिक तत्वों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, उनको राजनैतिक संरक्षण होने के कारण वहां असामाजिक तत्व और वही चेहरे कांग्रेस भवन के लान में, मैदान में सरे आम घूमते रहे। उनके नाम माननीय शेखावत जी एवं गोपी कृष्ण नेमा ने बताये हैं। यह मुन्ना ईरानी को क्या प्रदेश नहीं जानता हैं ? मुख्यमंत्री
(.......) आदेशनुसार रिकार्ड नहीं किया गया।
जी आपको नहीं मालूम तो आप गृह सचिव विजय सिंह जी से पूछ लीजिये। जब वे भोपाल के कलेक्टर थे तब यही मुन्ना ईरानी रेल्वे स्टेशन पर एक बारात लूटी थी। इस प्रकरण पर विधानसभा के अन्दर चर्चा हुई है और आज वे कांग्रेस के कार्यकर्ता हो गये, दिग्विजयसिंह के चिंतक हो गये, आपके साथ के हो गये। इसलिये यह प्रश्न केवल दो गुटों के बीच की लड़ाई का नहीं हैं। अध्यक्ष महोदय, आज सारे असामाजिक तत्वों को मुख्यमंत्री जी के इशारे पर इस बात की छूट दी गयी है कि आपको हमारा संरक्षण प्राप्त है। जो हमारे खिलाफ बोले, चाहे वह हमारी पार्टी का हो या किसी भी राजनैतिक पार्टी का हो, उसको पीट दो। अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में यह मनोवृत्ति बढ़ रही है और इसके परिणाम गंभीर होंगे। यह संस्कृति आपकी जो पनप रही है, जो असामाजिक तत्वों को सरंक्षण दिया जा रहा है, गांव-गांव गली-गली तक इस प्रकार से असामाजिक तत्व शासन पर हावी हो रहे हैं। आज की नई दुनिया के फ्रण्ट पेज पर छपा है, आप देख लीजिये। इनके कांग्रेस के पदाधिकारी सांसद बिल्कुल सीना तानकर, जिन लोगों को पुलिस ने जीप में भर दिये थे, उनको उतरने के लिये कह रहे हैं। प्रदेश की जनता इन फोटोज को देखेगी। इस प्रदेश की पुलिस का मनोबल यह हो गया है कि कांग्रेस का व्यक्ति अपराधियों को जीप से उतरने के लिये कह रहा है और पुलिस वाले माई-बाप, हुजूर कर रहे हैं। क्या आप पुलिस के मनोबल को इस तरह से गिराना चाहते हैं ? हमने आपको कल भी कहा था कि जो भोपाल के ब्लैक लिस्टेड गुण्डे हैं, उनको आप बंद कीजिये। शाहजहांनाबाद तीन दिन में दो बार बंद हो चुका है। आपने गिरफ्तार किया धारा 106, 107, 151 और 116 में। दूसरी तरफ आपने उनको शाम को छोड़ दिया। फिर आप कहते हैं कि हमने मुकदमा दर्ज किया है। अपराधी  क्र. 254 धारा 3/5 विस्फोटक अधिनियम, आपने इनको छोड़ दिया, अब आप आरोपी को ढूंढते रहों, फरार हो गये, आरोपी पकड़े नहीं जायेंगे। मुकदमा आपके यहां दर्ज हैं, जब वह मुलजिम आपके जेल में था, कस्टडी में आपके पास था, आपने मुकदमा कायम कर लिया है, तो फिर उनको छोड़ा क्यों ? इन धाराओं के अन्तर्गत इनको गिरफ्तार क्यों नहीं किया ? ज्यूडिशियल लॉक अप में क्यों नहीं लिया ? इसका सीधा मतलब है कि पूरे संरक्षण के साथ गतिविधियां चल रही है।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि इसमें बहुत से चेहरे हैं, जो 6 दिसम्बर 92 को भोपाल के दंगों में विस्फोट करते हुए, लोगों की दुकानों में आग लगाते हुए पाये गये और वो कल कांग्रेस कार्यालय के सामने ‘‘ दिग्विजय सिंह जिन्दाबार’’ के नारे लगा रहे थे। ये असामाजिक तत्व भोपाल और प्रदेश की हवा को बिगाड़ना चाहते हैं। कानून और व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर प्रदेश के मुख्यमंत्री गंभीरता से नहीं सोचेंगे तो स्थिति और बिगड़ेगी।

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के द्वारा जो स्थगन प्रस्ताव लाया गया है, वो केवल एक राजनैतिक उद्देश्य का प्रस्ताव था। उसके मेरिट्स पर कम बात हुई और फेक्टस पर ज्यादा बात हुई। अध्यक्ष महोदय, पिछले कुछ वर्षो में जिस तरह से राजनीति में असामाजिक तत्वों का प्रवेश हुआ है, चाहे इस पार्टी में चाहे उस पार्टी में, चाहे हमारे में हो, उसकी जितनी निन्दा की जाये उतना कम है। आज हम सब जितना भी करते है। हमारी जवाबदारी है, कि ऐसे तत्वों को अपनी अपनी पार्टियों से ऐसे लोगों को अलग करने के लिये पूरी तरह प्रयास करें। ये लोग कभी आपसे राजनीतिक संरक्षण पाते थे, कभी इधर पाने लगे। प्रश्न इस बात का नहीं है। ऐसे लोगों को किसी भी पक्ष द्वारा राजनैतिक संरक्षण नहीं दया जाना चाहिये। घटनायं हुई हैं, भारतीय जनता पार्टी के चुनाव में भोपाल में, तब क्या घटनाएं नहीं हुई। 294, 341, 506, 34 का मुकदमा अपराध क्रमांक 715/92 प्रार्थी राकेश गुप्ता, अपराधी शेलेन्द्र प्रधान, भगवान दास सबनानी, अपराध क्रमांक 705/91 धारा 294, 323, 427, 506/34 प्रार्थी महेश शाक्य अपराधी राकेश गुप्ता, सुरेन्द्र नाथ सिंह।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, ये कौन लोग थे ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कतई इसके पक्ष में नहीं हूं कि जो कुछ घटा उसका समर्थन किया जाये, उसकी घोर निन्दा करते हुए मैं आपके माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहूंगा कि जिसने भी ये घटना की हे, उसके खिलाफ सख्ती बरती जायेगी। मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि यह घटना प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के अन्दर नहीं हुई है, सड़क के बाहर हुई है। किसने की, नहीं की, यह जांच का विषय है इसकी जांच होगी, लेकिन दोषी व्यक्ति के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही की जायेगी। विपक्ष द्वारा राजनैतिक लाभ लिया जा रहा हे, इस प्रकार से लांछन और आरोप कांग्रेस पार्टी पर लगाये जा रहे हैं, वह असत्य है। उसमें कोई दम नहीं है। दोनों हमारे माननीय सांसद श्री अजीत जोगी और श्री गुफराने आजम के साथ बैठकर बातचीत हो गई थी, उसमें कोई घटना संभव नहीं होगी।

    अध्यक्ष महोदय : माननीय सदस्यों के विचार और शासन का वक्तव्य सुनने के पश्चात् मैं इसे प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता।
 बहिर्गमन
समय 12.33 बजे
प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने के विरोध में विपक्ष द्वारा बहिर्गमन

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। हम उसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करते हैं।
( श्री विक्रम वर्मा, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भाजपा के समस्त सदस्यों से सदन से बहिर्गमन किया। )