Digvijaya Singh
MENU

16 अप्रैल 1984 ध्यानाकर्षण चर्चा-रीवा जिले के हनुमना एवं नईगढ़ी विकासखण्ड के किसानों की फसलों की सिंचाई

16 अप्रैल 1984  ध्यानाकर्षण चर्चा-रीवा जिले के हनुमना एवं नईगढ़ी विकासखण्ड के किसानों की फसलों की सिंचाई

(44) दिनांक 16.04.1984

ध्यानाकर्षण चर्चा-रीवा जिले के हनुमना एवं नईगढ़ी विकासखण्ड के

किसानों की फसलों की सिंचाई।

(1) रीवा जिले के हनुमना एवं नईगढ़ी विकास खण्ड के किसानों की फसलों को सिंचाई बांध

    गोरमा से पानी न दिया जाना

समय : 12.25 बजे

                श्री अच्युतानन्द मिश्र, (श्री रामचन्द्र वाजपेयी, श्री हजारीलाल रघुवंशी, श्री शिवकुमार श्रीवास्तव, श्री बालकवि बैरागी) (सदस्य)

अध्यक्ष महोदय,

                मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-

                रीवा जिले के हनुमना एवं नईगढ़ी विकास खण्ड के अन्तर्गत आने वाले ग्रामों के किसानों के विकास खण्ड हनुमना स्थित सिंचाई बांध गोरमा से सिंचाई हेतु पानी दिया जाता रहा है। इस वर्ष भी रबी के फसल के लिए कमाण्ड एरिया में रहने वाले किसानों से सिंचाई हेतु एग्रीमेन्ट कराए गए थे। नईगढ़ी विकास खण्ड द्वारा माढ़व ग्राम निवासी हरिजन किसानों को विपुल उत्पादन के तहत सिंचाई हेतु सिंचाई विभाग से एग्रीमेन्ट करवाया था। बांध में पानी रहते हुए भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की लापरवाही से संपूर्ण सिचाई एरिया की फसल क्षतिग्रस्त हो गई। अधिकांश फसल पूर्णरूपेण नष्ट हो गई हैं। चोरगवां, माईन एवं करह माईनर दो के सिंचाई रेंज में आने वाले कृषकों की खड़ी फसल सूख गई है। जो आज भी खेतों में खड़ी है। इस घटना की सूचना जिलाध्यक्ष रीवा एवं मुख्य अभियन्ता गंगा कछार को भी दी गई है। और हनुमना विकास खण्ड की 20 सूत्रीय में भी उठाया गया। इस बांध की कमाण्ड एरिया में सिंचाई उपलब्ध नहीं होने से लाखों रूपयों की फसल हानि हुई है। माड़व निवासी हरिजन किसानों श्री दीनबन्द, श्री शारदा, श्री हरिबंश, श्री अतिबल, श्री शरमन जो विपुल उत्पादन के तहत नईगढ़ी विकास खण्ड के माध्यम से फसल बोए थे, पूरी की पूरी सूख गई है। इसी तरह से अन्य ग्रामीण कृषकों की फसल भी सूखी है। सहमय रहते किसानों को दौड़ घूप के बाद भी अधिकारियों की उपेक्षापूर्ण नीति के कारण काश्तकारों की फसलों को नहीं बचाया जा सका। इस घटना से विकास खण्ड नईगढ़ी विकास खण्ड हनुमना को भारी क्षति हुई हैं। लगभग 50 हजार आबादी वाले गांवों में निवास करने वाले ग्रामीणों के सामने खाद्य सामग्री एवं पशुओं की चारा की समस्या हो गई है। सिंचाई विभाग द्वारा सिंचाई लगान भी माफ नहीं हुई हैं। इस घटना से गोरमा बांध के कमाण्ड एरिया में आने वाले कृषिकों एवं अधिकांश हरिजन कृषकों में भय एवं रोष व्याप्त है।

                वृह्द एवं मध्यम सिंचाई मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले के नईगढ़ी एवं हनुमना विकास खंडों में गुरमा तालाब से सिंचाई हेतु पानी दिया जाता है। गुरमा तालाब योजना का निर्माण कार्य वर्ष 1968 में आरम्भ कर 1973 में पूर्ण किया गया। इस योजना से कुल 6273 हेक्टर भूमि की सिंचाई प्रस्तावित है।

                वर्ष 1983-84 में गुरमा तालाब के सिंचाई हेतु नहरों से 15 नबंबर से पानी देना आरंभ किया गया था। गुरमा नहर प्रणाली में करहा मायनर क्र. 2 के कमांड क्षेत्र में माढ़व ग्राम निवासी खेती करते हैं। इस वर्ष माढ़व गांव के कृषकों ने करहा मायनर क्र. 2 के अंतर्गत 39.24 हेक्टर भूमि में गेहूं, चने की सिंचाई हेतु अनुबंध किये थे। इस ग्राम में कृषकों द्वारा कुल 71.65 हेक्टर भूमि में सिंचाई की है। यह कहना सही नहीं है कि माढ़व गांव के निवासी हरिजन किसानों को विपुल उत्पादन के गेहूं के लिये एग्रीमेन्ट किये गये।

                बांध में उपलब्ध जलराशि के समुचित वितरण हेतु ओखरा बंदी कार्यक्रम लागू किया गया था। चुरगवां मायनर एवं करहा माइनर क्र. 2 गुरमा नहर प्रणाली के अंतिम छोर की अंतिम माइनर है जिनमें पानी पहुंचने में कठिनाई आती है। जिन कृषकों के नाम ध्यानाकर्षण सूचना में दर्शाये है, उनमें से केवल श्री दीनबंधु, श्री हरिवंश प्रसाद, श्री सरमन के खेत

करता मायनर क्र. 2 में आते हैं, उनका क्षेत्रफल क्रमशः 2.56 हेक्टर, 1.40 हेक्टर एवं 1.2 हेक्टर है। शेष दो कृषकों क्रमशः श्री अतिबल एवं श्री शारदा ने कोई एग्रिमेंट नहीं किया। श्री दीनबंधु, श्री हरिवंश प्रसाद एवं सरमन ने अपने खेतों में साधारण गेहूं एवं चने में पानी हेतु अनुबंध किया था परन्तु विपुल उत्पादन गेहूं बोया एवं पानी लिया। विभाग द्वारा उन्हें पर्याप्त मात्रा में कुल 5 बार पानी दिया गया।

                श्री दीनबन्धु ने सिंचाई विभाग के अनुविभागीय अधिकारी को पानी न मिलने की शिकायत दिनांक 12-3-84 को की थी। तत्काल पुलिस की सहायता लेकर उनके खेत में दिनांक 12-3-84 से 19-3-84 तक, दिनांक 23-3-84 से 26-3-84 तक एवं दिनांक 29-3-84 से 30-3-84 तक पानी दिया गया। और कोई कृषक ने शिकायत नहीं की थी। दिनांक 2073-84 को हनुमना विकास खंड की 20 सूत्रीय समिति की बैठक में श्री अनसुईया प्रसाद ने पानी न मिलने की बात कही थी। बैठक के पश्चात् अनुविभागीय अधिकारी (सिंचाई) श्री अनसुईया प्रसाद को साथ लेकर चुरगवां के लिये पानी उपलब्ध होता है। उन्हें वितरण व्यवस्था से अवगत कराया। क्षेत्र में कोई फसल का सूखना नहीं पाया गया।

                कार्यपालन यंत्री सिंचाई ने विभाग के अनुविभागीय अधिकारी के साथ दिनांक 27-3-84 को संबंधित क्षेत्र का सघन दौरा किया। उनके द्वारा पानी के अभाव में कोई फसल का सूखना नहीं पाया गया। चूंकि कृषकों द्वारा सिंचाई हेतु पानी लिया गया है एवं उनकी फसलें अच्छी हैं, अतः किसी प्रकार की जलदर में छूट देने का प्रश्न नहीं उठता।

                कृषकों को यथासंभव उचित मात्रा में पानी प्रदाय किया गया है एवं क्षेत्र में कोई फसल का सूखना प्रतिवेदित नहीं है। कृषकों में भय एवं रोष नहीं है एवं स्थिति पूर्णतः शांत हैं।

                श्री अच्युतानन्द मिश्र (मऊगंज) : अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि गोरमा बांध में आज भी 12 फीट पानी है और सिंचाई विभाग के नियम के तहत टेल एंव तक प्रारंभ करनी चाहिये क्या गोरमा बांध सिंचाई विभाग का जो नियम हैं कि टेलएवं तक सिंचाई प्रारंभ की जाय। इसके बाद ऊपरी हिस्से से उसको पानी दिया है इस नियम का पालन किया गया है ? यदि इस नियम का पालन नहीं किया गया हैं तो जिन अधिकारियों ने निमय का उल्लंघन किया है उनके खिलाफ शासन क्या कार्यवाही कर रहा हैं ? साथ ही सिंचाई मंत्री जी यह व्यवस्था करने का कष्ट करेंगे कि सिंचाई विभाग के अतिरिक्त जिलाध्यक्ष या संभागीय आयुक्त से आज भी उस रकबे की जांच कराके यह निष्कर्ष निकालने की कोशिश करेंगे कि दरअसल इस सिंचाइ के अभाव में कितनी गेहूं की फसल किसानों की क्षतिग्रस्त हुई है यदि इस तरह की व्यवस्था होगी तो सही तथ्य सामने आ जायेंगे इसलिये अनुविभागीय अधिकारी ......(अपूर्ण)

                अध्यक्ष महोदय : अब आप बैंठ जाए।

                श्री अच्युतानन्द मिश्र : अध्यक्ष महोदय, अनुविभागीय अध्किरी, कार्यपालन यंत्री है और जहां दोनों एक ही है यदि अनुविभागीय अधिकारी की जांच में कार्यपालन यंत्री से करायेंगे तो कभी तथ्य सामने नहीं आयेंगे। गत वर्ष राजस्व मंत्री ने स्वयं पाया कि हजारों किसानों की फसलें सूख गई.....

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है उसमें मैं निवेदन करना चाहता हूं कि शासन के इस बारे में निर्देश हैं कि शुरू में टेल एन्ड के कृषकों को पानी दिया जाना चाहिये ताकि टेल एन्ड तक कृषकों को पानी मिल सके ऐसी व्यवस्था हैं। किन्तु हेंड एन्ड के केस है। कुलावा काटकर पानी ले लेते हैं इस तरह की शिकायत हर क्षेत्र में आती है। इस कमान्ड एरिए में इस वर्ष भी 3 कृषकों के विरूद्ध कुलावा काटने के आरोप में केस कायम किया है और उनके खिलाफ विधिवत् कार्यवाही कर रहे हैं। इसलिये शासन ने जो निर्देश दिये हैं उसके मुताविक ही टेल एन्ड  तक पानी देने  का प्रयास किया है। माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक जिन किसानों को पानी नहीं मिला जेसा माननीय सदस्य बता रहे हैं उसकी जांच करने का प्रश्न हैऐसे सिंचाई के नियम में अधीक्षण यंत्री को अधिकार है कि वह मौके पर जाकर देख लें और यदि वहां किसानों की फसल को नुकसान हुआ है तो उन्हें सिंचाई दर माफ करने का भी अधिकार प्राप्त है। अगर माननीय सदस्य इस बात को चाहते है तो अधीक्षण यंत्री जो वहां है उनसे उस क्षेत्र का आकलन करावायेंगे और जांच करा लेंगे।

                अध्यक्ष महोदय : मैं समझता हूं अब इसमें श्री अच्युतानंद मिश्रजी का सवाल पूरा हो गया।

                अध्यक्ष महोदय : अगली ध्यानाकर्षण सूचना श्री रामखेलावन, श्री के. डी. देशमुख, श्री अच्युतानंद मिश्र, श्री शिव कुमार श्रीवास्तव, श्री नन्दराम दास, बालकवि बैरागी, सदस्य की है। वे रीवा जिले के नईगढ़ी शासकीय उ. मा. वि. के छात्रों एवं उनके अभिभावकों को पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने की घटना की ओर मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करेंगें।