दिनांक 12.10.1984
ध्यानार्कषण
(1) ग्वालियर के हर्सी बांध से पानी न मिलने से धान की फसल सूखना तथा रोगग्रस्त होना
श्री जगन्नाथ सिंह रावत (डबरा) : अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार हैं :- ग्वालियर जिला
समय : 12-50 हर्सी बांध से धान की फसल को पानी न मिलने के कारण 70 प्रतिशत धान की फसल सूख गयी है एवं ...... के अभाव से सारी फसल में खेरा रोग लग गया हैं नहरों की हालत अत्यंत खराब हो गयी है सिल्टे नहीं उठायी गयी हैं लाइनिंग का कार्य धन के अभाव में बंद की हालत मे है पूरे डैम से संबंधित नहरे कतई खराब हो गयी है टेल प्रोशनि में पानी देने में असमर्थ हैं। मुख्य नहर भी इतनी जरजर हो गयी है के कई बार टूट जाती है इन्तजाम पानी कतयी नहीं हो रहा है, अधिकारी कर्मचारी अर्कमणय हो गये है फसलों को पानी दिलाने में असर्थ हैं, फसलें समाप्त हो रही है नहरों के आभिनवीकरण को धन शासन नही ंके बराबर दे रहा है ठेकेदारान बिल भुगतान के अभाव में नहरों में कार्य नहीं कर पा रहे है फसले सूखने से किसानों में बैचैनी होकर हाहाकार मचा हुआ है क्षेत्र में भीषण अशांति का वातावरण हो गया है। अविलम्बनीय सार्वजनिक महत्व के विषय पर चर्चा करने हेतु अनुरोध करता हूं।
श्री लक्ष्मनदास अहिरवार : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि कल आपके कार्यालय में मैंने विशेषाधिकार भंग की सूचना दी थी उस संबंध में मुझे आज तक न तो कोई सूचना मिली है और न चर्चा के लिए कोई व्यवस्था हैं, मैं चर्चा करना चाहता हूं।
अध्यक्ष महोदय : उस पर कार्यवाही हो रही हैं।
वृहद तथा मध्यम सिंचाई मन्त्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, हरसी जलाशय सन् 1935 में बताया गया। वर्ष 1984-85 में कुल 29,200 एकड़ रकबे में खरीफ फसल बोई गई है। इनमें से 23,500 एकड़ रकबे में अंतिम पानी प्रदान किया जा चुका है। और शेष रकबे में सिंचाई हेतु पानी दिया जा रहा हैं। वर्तमान में नहर में 1014 क्यूसेक पानी चल रहा हैं एवं अगले एक सप्ताह में शेष बचे रकबे में पानी प्रदाय कर दिया जावेगा। जहां तक माननीय सदस्य ने फसलों में सिंचाई के पानी के अभाव से खैरा रोग लग जाने की चर्चा की हैं, सिंचाई के पानी का अभाव उसका कारण नहीं हैं।
माननीय अध्यक्ष महोदय हरसी नहर प्रणाली 48 वर्ष पुरानी हैं, एवं नहरों का कुछ भाग ऊपर भूमि से निकलने के कारण कभी कभी नहर टूट जाती है परन्तु इसका दुरूस्तीकरण यथासंभव जल्द से जल्द किया जाता है। इस नहर प्रणाली के आधुनिकीकरण का कार्य किया जा रहा है। जिसके अन्तर्गत नहर की लायनिंग का कार्य किया जा रहा है। लायनिंग कार्य की धीमी गति धन की कमी के कारण नहीं है। वस्तुस्थिति यह है कि सिंचाई हेतु नहरों में लगभग 10 महीने पानी चलाये जाने के कारण लायनिंग के कार्य हेतु कम समय मिलता है। इस कार्य में कार्यरत ठेकेदारों को उनके द्वारा किये गये कार्यों का भुगतान समय से किया जाता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार फसल अधिकांशतः ठीक पाई गई। अधिकारीगण, किसान भाईयों से संपर्क कर उनकी कठिनाईयों का समाधान किया करते हैं, एवं वे आकर्मणय नहीं हैं।
माननीय अध्यक्ष महोदय जैसा कि मान. सदस्य ने इस क्षेत्र के किसानों में हाहाकार एवं भीषण अशांती की चर्चा की है। वस्तुस्थिति वैसा कुछ नहीं है। शासन अपने किसान भाईयों को सभी प्रकार की सुविधा देने हेतु प्रयासरत है।
श्री जगन्नाथ सिंह रावत : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ग्वालियर जिले का मुख्य डेम है और उसकी मुख्य नहर से लाखों एकड़ जमीन सिंचाई होती है अध्यक्ष महोदय, इसकी दुबारा बनाने के लिये, चौड़ा करने के लिये शासन ने 14 करोड़ रूपये स्वीकृत किया जिसमें लाइनिंग कार्य 95 प्रतिशत पूरा हो चुका है। उसके बावजूद इस नहर की क्षमता के अनुसार पानी नहीं मिल पाता है। माननीय मन्त्री जी यह बतायें कि नहर एक वर्ष में, दो वर्ष में जनवरी 83 में और 10 अक्टूबर 84 तक कितनी बार टूट चुकी हैं ? यह नहर हर सीजन में टूट जाती है जिनके कारण किसानों को 10 दिन तक पानी नहीं मिलता है जिसके कारण लाखों रूपये बरबाद हा जाते हैं। इस बार अध्यक्ष महोदय, लाइनिंग की, उसको जाकर देखे तो वह लाइनिंग सारी की सारी खराब हो गई है, पानी मिलना दुस्वार हो रहा है। गर्वनमेंट ने पैसा दिया 14 करोड़। उस 14 करोड़ में से प्रति वर्ष 20 लाख रूपये दिये जा रहे हैं। इस वर्ष 30 लाख दिया है। अगर इस तरह पैसा दिया गया तो 70 वर्ष में भी नहर की लाइनिंग नहीं हो पायगी जबकि नहर की लाइनिंग प्रतिवर्ष टूट जाती है। अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मन्त्रीजी ने यह कहा कि फसल बिल्कुल नहीं सूखी, बिल्कुल गलत हैं। मैं आपसे निवेदन करूंगा कि जाकर उस क्षेत्र का दोरा करें, 10 प्रतिशत फसल सूख गई है।
अध्यक्ष महोदय : समाप्त करें।
श्री जगन्नाथ सिंह रावत : मेरा प्रश्न यह है कि मन्त्री जी यह बतायें मोबिलाइजेशन के कारण 13 सौ क्युसेक पानी चलना चाहिये था आज कितने क्युसेक पानी ले सकते हैं ?
श्री दिग्विजय सिंह : मैं पूर्व में ही निवेदन कर चुका हूं कि नहर एक प्रोजेक्ट है। योजना काफी पुरानी है। 48 वर्ष पुरानी है। इससे एक हजार चौदह सौ क्युसेक पानी मिल रहा है ओर गुंजाइश और भी हैं।
श्री रमाशंकर सिंह : अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि पिछले वर्ष ग्वालियर हर्सी नहर प्रणाली के मेन्टेनेन्स के लिये कुल कितनी रकम आबंटित की गई और उसमें से कितनी वेतन और भत्तों आदि में खर्च की गई ?
श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ध्यानाकर्षण 1984-85 के बारे में है। जो पूछ रहा हूं इससे उदभूत नहीं होता हैं।
श्री रमाशंकर सिंह : अध्यक्ष महोदय, मौजूदा वर्ष में नहर की मेन्टेनेन्स व रखरखाव के लिये कितना पैसा आबंटित किया गया और कितना अनुमानित वेतन और भत्ते पर खर्च किया गया ?
श्री दिग्विजय सिंह : 20 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से मेन्टीनेन्स की ग्रान्ट आबंटित की गई है। पैसा कितना खर्च हुआ है बताना सम्भव नहीं हैं लेकिन यह बात अपने आप में सत्य है कि हर्सी कमान्ड में परमानेन्ट गैंग कार्यरत हैं। मेन्टेनेन्स की अधिकांश राशि उनकी तनख्बाह में चली जाती हैं।
श्री रमाशंकर सिंह : मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया तो मेरा स्पेसिफिक, स्पष्ट रूप से सवाल है अध्यक्ष महोदय, कि मेन्टेनेन्स पर कितना आबंटित होता है ? अध्यक्ष महोदय, मरमानेन्ट गैंस के वेतन भत्तों पर अनुमानित कितना खर्च होता है बड़ी आसानी से निकाला जा सकता है, एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं। वेतन भत्तों पर गैंग में कितना खर्च होता है, परमानेन्ट गैंग है, बता सकते हैं। कितने लोगों को अपाइन्ट किया, बता सकते हैं। आज नहीं तो कल बता दें कितना खर्च हुआ ?
श्री दिग्विजय सिंह : मैं निवेदन करता हूं कि 20 रूपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिया जाता हैं जिसमें एक लाख 31 हजार एकड़ पर सिंचाई होती है, उसका गुणा 20 से कर दींजिए।
श्री रमाशंकर सिंह : गुणा आप करें, नौकरी आप कर रहे हैं कि हम कर रहे हैं ?
(व्यवधान)
आप मन्त्री जी को बताइये अध्यक्ष महोदय, उनका कहना है कि गुणा कर लीजिये।
श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, 20 लाख प्रतिवर्ष मेंटेनेस यहां दी जाती है।
अध्यक्ष महोदय :- आप बैठिए, आपके कई प्रश्न हो चुके हैं।
श्री रमाशंकर सिंह :- कई कहां हुए। अध्यक्ष महोदय, वेतन भत्तों में कितना खर्चा हो गया, इस वर्ष का बताया नहीं हैं ?
अध्यक्ष महोदय :- वेतन में कितना खर्चा होगा यह जानकारी है क्या ?
श्री दिग्विजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर चुका हूं। इसका काफी अधिकांश भाग खर्च होता हैं।
श्री रमाशंकर सिंह :- काफी कितना होता हैं, इंजीनियर आदमी ऐसे बोल रहे हैं। (व्यवधान) कितना प्रतिशत खर्च होता है 80 प्रतिशत 90 प्रतिशत 95 प्रतिशत, कितना होता है (व्यवधान) बताईये ?
अध्यक्ष महोदय :- अब मैं दूसरा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव ले रहा हूं और मैं सदन से अपेक्षा करूंगा कि सदन अध्यानाकर्षण की कार्यवाही तक बैठेगा।
(व्यवधान)
श्री रमाशंकर सिंह :- एक स्पष्ट जबाव ठीक-ठीक रूप से आना चाहिये काफी खर्चा होता है इससे क्या नतीजा निकलेगा ? एक फीसदी भी काफी आप मान सकते। अध्यक्ष महोदय, 51 फीसदी कि 99 फीसदी। अध्यक्ष महोदय, इस पर आपकी कोई व्यवस्था होनी चाहिये। मन्त्री लोग कायदे से जबाव दें वरना आप गुस्सा हम पर हो जायेंगे अगर मैं कुछ बोलूंगा इस समय तो।
अध्यक्ष महोदय :- देखिए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव को देख लीजिये।
श्री रमाशंकर सिंह :- देख लिया साहब, उसमें यह विषय है।
अध्यक्ष महोदय :- उसमें यह नहीं लिखा है कि कितना खर्चा हो रहा है।
श्री रमाशंकर सिंह :- आप पढ़ लें।
अध्यक्ष महोदय :- मजदूरी में कितना खर्च हो रहा है, यह कह दिया है आपने ?
(व्यवधान)
श्री रमाशंकर सिंह :- अध्यक्ष महोदय, आप देख लें तो इसमें क्या लिखा हुआ हैं।
अध्यक्ष महोदय :- मैंने देख लिया है।
श्री रमाशंकर सिंह :- इसमें लिखा हुआ है लाइनिंग का कार्य धन के अभाव में बंद की हालत है और ये नहरों के आधुनिकीकरण में धन शासन नहीं के बराबर दे रहा है। जिसके आधार पर बिल भुगतान के अभाव में नहरों कार्य नहीं कर पा रहे हैं। यह विषय आया है अध्यक्ष महोदय - (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- एसटेबलिसमेंट में क्या खर्च हो रहा हैं।
(व्यवधान)
श्री दिग्विजय सिंह :- इसमें माडनाईजेशन का है और ये मेंटेनेंश की बात कर रहे हैं।
श्री जगन्नाथ सिंह रावत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मन्त्री जी से जानना चाहता हूं कि जनवरी 83 से 10 अक्टूबर 84 तक नहर कितनी बार टूट चुकी है और इस पर कितना पैसा खर्च किया हैं यह वता दें ?
श्री दिग्विजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस ध्यानाकषर्ण पर यह उद्भूत नहीं होता है। मेरे पास जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।
अध्यक्ष महोदय :- अब आप बैठिए दूसरा ध्यानाकर्षण।
श्री जगन्नाथ सिंह रावत :- अध्यक्ष महोदय, (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- देखिए एक से अधिक प्रश्न एलाऊ नहीं होते। मैंने आपको एलाऊ किया (व्यवधान) प्रश्न उससे संबंधित होना चाहिये। अब आप बैठिए लेकिन देखिए अब मैं नहीं सुनना चाहता हूं। दूसरा ध्यानाकर्षण प्रस्ताव श्री राजेन्द्र मिश्र, श्रीमती माया शालवार का है। श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्र यहां पर हैं।
श्री जगन्नाथ सिंह रावत :- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि हर एक एकड़ में नहर टूट जाती है मन्त्री जी बताये कि वह कितनी बार टूटी और कितना खर्च हुआ ?