Digvijaya Singh
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13 मार्च 1984 ध्यानाकर्षण चर्चा -सतना रीवा बाणसागर परियोजना के संबंध मे

13 मार्च 1984 ध्यानाकर्षण चर्चा -सतना रीवा बाणसागर परियोजना के संबंध मे

दिनांक 13.03.1984

ध्यानाकर्षण चर्चा -सतना रीवा बाणसागर परियोजना में 5 वर्ष से अधिक समय से

कार्यरत कर्मचारियों द्वारा अपनी मॉगों को लेकर आमरण अनशन

 समय 12-30 बजे

                श्री नागेन्द्र सिंह (श्री राधारमण भार्गव, श्री कैलाश चावला) : अध्यक्ष महोदय, सतना जिले की बाणसागर योजना का कार्य कई वर्षो से चल रहा है। इस योजना में 3000 से अधिक व्यक्ति कई वर्षो से निरन्तर दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य कर रहे हैं इनमें से कई बी. ई. डिप्लोमा होल्डर, आई. टी. आई. ट्रेंड स्नातक तथा अन्य व्यक्ति भी हैं जो 5 वर्ष से भी अधिक समय से कार्य कर रहे हैं। ये व्यक्ति कई दिनों से यह मांग कर रहे थे कि उन्हें नियमित किया जाये। इनकी जायज मांग से प्रभावित होकर शासन द्वारा भी एक कमेटी इस उद्देश्य से बनाई थी कि हजारो की संख्या में कार्यरत कर्मचारियों को किस प्रकार नियमित किया जावे, कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट भी शासन को दे दी गई किन्तु शासन द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही हैं। जिसके कारण हजारों की संख्या में कार्यरत कर्मचारी अपनी मांगों के लिये रीवा में जो कि बाण सागर परियोजना का मुख्यालय हे, पर दो-दो की संख्या में आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। अनशन पर बैठे हुये कई व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है तथापित अनशन निरन्तर रूप से चालू है। गिरफ्तार लोगों के साथ प्रशासन बुरा वर्ताव कर रहा है तथा जबरदस्ती अनशन तुड़वाता है। हजारों कर्मचारियों की जायज मांग पर शासन द्वारा निराकरण न करने से हजारों तथा अनेक परिवारों में रोष तथा क्षोभ व्याप्त है। कर्मचारियों के अनशन व आन्दोलन से किसी भी क्षण स्थिति गम्भीर हो सकती है। पुलिस तथा प्रशासन आन्दोलनकारियों को दवा रहे हैं तथा असामाजिक तत्वों को कर्मचारियों के विरूद्ध भड़का रहे हैं। सैकड़ो कर्मचारियों की आयु अधिक हो जाने के कारण उनको शासकीय सेवा में लिया जाना भी कठिन हो जायेगा। शासन द्वारा कोई निर्णय न करने से सम्पूर्ण सतना जिले की जनता में विशेष कर कर्मचारियों व मजदूरों में भारी असन्तोष छाया हुआ है उनके सामने जीवन मरण का प्रश्न बना हुआ हैं।

                वृहद तथा मध्यम सिंचाई मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, बाणसागर परियोजना में दैनिक वेतन पर तकनीकी ता मिनिस्ट्रीयल पदों पर तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को कार्य पर लगाया गया है। ये कर्मचारी कई वर्षो से कार्यरत हैं। दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित सेवा में लेने का नियमों में कोई प्रावधान नहीं हैं। इनकी मांगों पर विचार करने के लिये सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तकनीकी विभागों के सचिवों की एक समिति गठित की गई। इस समिति ने अपना प्रतिवेदन राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग को दिनांक 20 जनवरी 1984 को प्रस्तुत कर दिया है।

                समिति का प्रतिवेदन सामान्य प्रशासन विभाग में विचाराधीन है। प्रतिवेदन में अन्तरग्रस्त सिफारिशों का संबंध वित्त विभाग, श्रम विभाग व अन्य विभागों से होने के कारण सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उस पर संबंधित विभागों का परामर्श प्राप्त किया जा रहा है। परामर्श प्राप्त होते ही समिति के प्रतिवेदन पर मंत्रीपरिषद में विचार किया जावेगा। तदुपरांत ही अग्रिम कार्यवाही की जावेगी।

                श्री नागेन्द्र सिंह (नागोद) : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रसंग बहुत दिनों से चल रहा है, सात वर्षो से भी अधिक समय बीत चुका हैं, जब यह कर्मचारियों को दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त किया गया था और बहुत लंबे समय से इनकी नियमित किए जाने की मांग चल रही है। अब 9 जनवरी से वहां के कर्मचारी नियमित रूप से अनशन पर बैठ रहे है। आज दो ढ़ाई महीने हो गए हैं। इसके पहले एक कमेटी नियुक्त की गई थी। मैं मंत्री महोदय से केवल यह जानना चाहता हूं कि क्या कमेटी की रिपोर्ट आपके पास आ गई है और उसमें क्या दिया है ? यह अगर बताना संभव हो तो बता दें और अगर संभव न हो तो यह बता दें कि इन कर्मचारियों को नियमित करने में अभी कितना और समय शासन को लगेगा ? कोई निश्चित अवधि बता दें ?

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग द्वारा यह बताना संभव नहीं है क्योंकि यह प्रकरण सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा डील किया जा रहा है और वह संबंधित विभागों से चर्चा करने के उपरांत मंत्रिपरिषद को बैठक में प्रस्तुत करेंगे।

                श्री राधारमण भार्गव : इसमें व्यवस्था का प्रश्न यह है अध्यक्ष महोदय, कि जैसा माननीय मंत्री जी ने बताया कि यह बताना संभव नहीं है। माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रिमंडल का सामुहिक उत्तरदायित्व होता है। आप जब ध्यान-आकर्षण ले आए, तो उसकी सूचना ले आए, तो क्या यह नहीं बता सकते, क्या यह सामूहिक उत्तरदायित्व में नहीं है। निश्चित रूप से जवाब देना चाहिए......।

(व्यवधान)

                श्री नागेन्द्र सिंह : यह तो मंत्रिमंडल की रेस्पोंसिबिलिटी होती है। जब मंत्रीजी खड़े हुए इस प्रश्न का उत्तर देने, तो यह कहना दूसरे विभाग का प्रश्न है, काफी नहीं। अवधि निश्चित बताएंगे क्या ?

इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

                अध्यक्ष महोदय : आपने अपने उत्तर में कहा है कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा उस पर संबंधित विभागों का परामर्श प्राप्त किया जा रहा है। इसलिए समय नहीं बता पा रहे हैं।

                श्री राधारमण भार्गव (सिरोंज) : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह स्वीकार किया है कि इस परियोजना पर कई हजार कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे है। मैं मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हूं कि कितने दिन तक एक व्यक्ति नियमित रूप से काम करें, तो शासकीय सेवा में नियमित हो जाता है ? जहां तक मेरी जानकारी है 90 दिन तक अगर कोई नियमित रूप से काम करता रहे, तो उसे नियमित किया जाना चाहिए शासन द्वारा। तो क्या मंत्री जी, यह जानकारी देंगे कि ये कर्मचारी कई वर्षों से काम कर रहे हैं, तो कितने दिनों तक वे दैनिक वेतन भोगी हों, ताकि उनको नियमित किया जा सकें ?

                श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर चुका हुं अपने वक्तव्य में कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित सेवा में लेने का नियमों में कोई प्रावधान नहीं हैं।

                श्री राधारमण भार्गव : यही तो हमारा पूछना है कि जो शासन के नियम बने हुए हैं, उनमें स्पष्ट है कि अगर नियमित रूप से दैनिक वेतन भोगी एक सीमा तक बराबर काम करता रहे, तो उसको नियमित करेंगे। यह शासन का कर्तव्य हो जाता है। इसलिए हमारा यह प्रश्न है कि कितने दिन का आपके यहां प्रावधान हैं ?

                अध्यक्ष महोदय : उन्होंने बताया कि नियमों में कोई प्रावधान नहीं है। अगर हो, तो आप पढ़कर सुनाएं।

                श्री राधारमण भार्गव : यह तो ऐसी जानका है कि जो सभी सदस्यों को मालूम है।

                अध्यक्ष महोदय : कानून और नियमों में हमारी और आपकी जानकारी का प्रश्न नहीं है।

                श्री राधारमण भार्गव : मैं आपका संरक्षण चाहता हूं। पांच हजार से अधिक कर्मचारी पंच-सात वर्षो से दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम कर रहे हैं उनकी उग्र 28 वर्ष पूरी हो जायेगी। नियमों में क्या प्रावधान है यह मंत्री जी को भी जानकारी है। मेरी जानकारी में 90 दिन के बाद दैनिक वेतन भोगी को नियमित कर देना चाहिए। आप कब तक इनको नियमित कर देंगे ?

                अध्यक्ष महोदय : सहानुभूमि होना अलग बात है और नियमों में प्रावधान होना अलग बात है।

                श्री कैलाश चावला (सीतामऊ) :  अध्यक्ष महोदय, वे नियमित वेतन पर कका कर रहे है। कोई बी. ई., स्नातक एवं डिण्लोमा होल्डर्स हैं उनकी बहुत बड़ी समस्या है। दैनिक वेतन भोगी के रूप में पांच-सात वर्षों से काम कर रहे है अस्थायी रूप से। उनकी एज बार होती चली जा रही है। मेरा निवेदन है कि उनकी सर्विस की कोई गारण्टी नहीं है। इस योजना को बिहार, उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश तीन सरकार मिलकर चला रही है और इनका वित्तीय भार भी तीनों सरकार वहन करेगी। मध्यप्रदेश की सरकार आने निवासियों के लिये...

                अध्यक्ष महोदय : आप ध्यानाकर्षण में प्रश्न पूछिए।

                श्री कैलाश चावला  : मैं यह जानना चाहता हूं कि कर्मचारियों का सर्वप्रथम मांगपत्र शासन को कब प्राप्त हुआ ? कमेटी का गठन कब तक हो जाएगा और कब तक सिफारिश देंगे ?

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 9-1-84 को उनका आवेदन प्राप्त हुआ था और में पहले निवेदन कर चुका हूं कि शासन उनकी समस्याओं के प्रति पूरी तरह से सजग है उनके प्रति सहानुभूमि हम लोगों की है, उसके लिये सचिवों की एक समिति बनाई गई है। यह केवल सिंचाई विभाग में ही नहीं हैं बल्कि लोक निर्माण विभाग में भी दैनिक वेतन कर्मचारी हैं उन सभी के बारे में विचार किया जा रहा है। सचिवीय समिति ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया है उसमें सभी लीगल आस्पेक्ट, फायनेन्शियल आस्पेक्ट को देखते हुए समस्याओं का गहन अध्ययन करके शीघ्र ही निर्णय लिया जायगा।

                अध्यक्ष महोदय : ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक-2 को अगले दिन लिया जायगा।

                श्री दत्तात्रय माधवराव जगताप : अध्यक्ष महोदय, एक महिला नसबंदी केम्प में ही मर गई ......(व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : आपको यह जानकारी है क्या कि वह स्वीकार हो गया है या नहीं ? ग्राह्य हुआ है या नहीं यह जानकारी है आपकों ?

                श्री दत्तात्रय माधवराव जगताप : अध्यक्ष महोदय, वह महिला.......

                अध्यक्ष महोदय : आज की सूची में वह नहीं है आप बैठ जाइये। श्री शीतला सहाय जी लोक लेखा समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे।

                श्रीमती जयाबेन : अध्यक्ष महोदय, रविशंकर सागर परियोजना के कर्मचारी हड़ताल पर थे। मैंने उसका समझौता करवाया था उसके बाद माननीय मंत्री महोदय वहां आये थे, उन्होंने आश्वस्त किया था कि शीघ्रातिशीघ्र कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा।

                अध्यक्ष महोदय : इसकी आप अलग से सूचना दीजिए। यह बाणसागर से संबंधि प्रश्न नहीं है आप बैठ जाइये।