Digvijaya Singh
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13 अगस्त 1979: शिक्षा विभाग से संबन्धित तारांकित प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा

13 अगस्त 1979: शिक्षा विभाग से संबन्धित तारांकित प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा

दिनांक 13.04.1979
आधे घंटे की चर्चा।


दिनाँक 21-3-79 को पूछे गए ताराँकित प्रश्न संख्या 83 से उद्भूत विषय पर-

 

सभापति महोदय : अब दिनांक 21 मार्च 1979 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 83 से उद्भूत विषय पर नियम 52 के अन्तर्गत चर्चा होगी। श्री दिग्विजयसिंह चर्चा प्रारम्भ करेंगे।
    

 श्री दिग्विजय सिंह (राधोगढ़) : सभापति महोदय, आपने जो नियम 52 के अन्तर्गत मेरे द्वारा पूछे गये तारांकित प्रश्न पर आधे घन्टे की चर्चा करने के लिए मौका दिया है। उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। माननीय सखलेचा के मन्त्रिमण्डल में जिस तरह से शिक्षा विभाग पूर्ण रूप से अक्षमता से, अकर्मण्यता से काम कर रहा है, नेपोटिज्म की दृष्टि से काम कर रहा है उस पर 10 घन्टे की चर्चा का मौका दिया जाता तो वह भी बहुत कम होता और पूरी बात नहीं कही जा सकती थी।
    

सभापति महोदय : आप तो आधे घंटे में ही कहिए।
    

श्री दिग्विजयसिंह : मैं आधे घन्टे में ही शिक्षा के सम्बन्ध में एक प्रकरण का हवाला देते हुए सदन का ध्यान आकर्षित करूंगा जिसके अन्दर केवल एक शिक्षक की वजह से दो अनुभवी, पुराने प्राचार्यों को निलंबित किया गया। केवल उस शिक्षक के वर्चस्व वढ़ाने के लिए उनका निलम्बन किया गया। सभापति महोदय, जबसे जनता पार्टी का शासन आया है, हमेशा यह देखा गया है कि जनसंघ के घटक में शिक्षा विभाग को अपने पास रखने का प्रयास किया है।
  

 श्री सूरजमल जैन : आर. एस. एस. भी कहिए।
    

श्री दिग्विजयसिंह : मैं आ रहा हूं उस पर।
    

श्री बाबूलाल गौर : जनसंघ नाम की कोई समस्या है क्या ? यहां तो केवल जनता पार्टी हैं।
    

श्री दिग्विजयसिंह : आप बैठ जायें। 
    

श्री बाबूलाल गौर : सभापति महोदय, क्या माननीय सदस्य सीधे बैठने के लिए कह  सकते हैं ?
    

सभापति महोदय : जी नहीं आप सीधे बात न करें।
    

श्री दिग्विजयसिंह : सभापति महोदय, मैं तो आपके माध्यम से निवेदन कर रहा हूं कि  माननीय सदस्य बैठ जाये।
    

सभापति महोदय : मैंने कह दिया कि कोई सदस्य अनाधिकार चेष्टा न करें।
  

 श्री दिग्विजयसिंह : ठीक है आपके आदेश का पूर्ण रूप से पालन होगा। सभापति महोदय, मैं यह कह रहा था कि जनसंघ घटक के मन्त्रीगण आर. एस. एस. का वर्चस्व शिक्षा विभाग में बढ़ाने के लिए शिक्षा विभाग को अपने पास रखे हुए हैं। सभापति महोदय मैं आर. एस. एस. का कायल हूं। वे साइन्टिफिक और साईक्लोजिकल तरीके से वे सोचते हैं और शिक्षा विभाग में अपना वर्चस्व कायम करने के लिये उन्होंने जो कदम उठाये हैं वे बड़े महत्व के हैं। सभापति महोदय, किसी भी व्यक्ति का माइन्ड 6 वर्ष से 16 वर्ष तक की आयु तक इम्प्रेशएबल रहता है। इस अवधि में आर. एस. एस. के लोग उस व्यक्ति के माइन्ड में आर. एस. एस. के सिद्धांतों को इतना अधिक उतार देना चाहते हैं कि जब वह बड़ा हो तो उनके सामने उस पार्टी पर चलने के सिवाय दूसरा तरीका नहीं,
    

श्रीमती जयश्री बनर्जी : सभापति महोदय, माननीय सदस्य क्या बतला रहे हैं क्या यह प्रश्न की परिभाषा बतला रहे है ? 
    

श्री दिग्विजयसिंह : सभापति महोदय, वही बतला रहा हूं। शिक्षा विभाग में कब्जा करने के लिये पूरे प्रदेश में आर. एस. एस. की ओर से यह कार्यक्रम चला हुआ है और जो प्रश्न मैंने पूछा हैं उसका यह ज्वलन्त उदाहरण है। मेरी यह मान्यता हैं कि आर. एस. एस. - एक फस्ट क्लास संस्था है। जैसे आप जर्मनी का इतिहास देखेंगे तो पता लगेगा कि वहां नाजी पार्टी थी ........
    

सभापति महोदय : आप प्रश्न से उद्भूत जो बातें हों वही कहिये। इर्रेलिवेट मत कहिए।
    

श्री दिग्विजयसिंह : सभापति महोदय, वही कह रहा हूं। जब से मध्यप्रदेश में जनता पार्टी का शासन आया है....
    

सभापति महोदय : आपके सामने प्रश्न होगा उसको आप पढ़िये। जो आपके प्वाइन्ट हैं उनको आप मेकआउट कर लें और अपने प्वाइन्ट के बाहर न जायें।
    

श्री दिग्विजयसिंह : सभापति महोदय, ठीक है मैं आपके आदेश का पालन करूंगा। सभापति महोदय, मैं कह रहा था कि आज पूरे मध्यप्रदेश में एक मध्यप्रदेश शिक्षक संघ नाम की संस्था बनाई गई है और उसमें ऐसे शिक्षकों को भर्ती किया गया है जिनका कि बहुत समय से आर. एस. एस. से सम्बन्ध रहा है। सभापति महोदय, एक शिक्षक चित्रांशी हैं उनकी गुना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नम्बर 1 में ट्रांसफर किया गया है। सभापति महोदय, वे जब से गुना उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नं. 1 में आयें हैं तब से वे गुना शिक्षक संघ के सदस्य बन गये हैं......
    

सभापति महोदय : मैं सदन से अनुमति चाहता हूं कि सदन का समय 15 मिनट के लिये बढ़ा दिया जावे।
अनुमति प्रदान की गई।
    

श्री गौरीशंकर कौशल : सभापति महोदय, सदन का समय बढ़ाये जाने पर मुझे आपत्ति है यदि विषय पर माननीय सदस्य बोलें तब तो समय का बढ़ाया जाना ठीक है नहीं तो केवल अनर्गल प्रलाप करने से कोई काम होने वाला नहीं है।
    

श्री दिग्विजय सिंह : सभापति महोदय, मैं तो बतला रहा था कि पहले तो उन शिक्षक महोदय ने यह प्रयास किया कि.......
    

श्री माधवराव इन्दापुरकर : सभापति महोदय, सदन का समय जिस काम के करने लिये नियत किया है उसी पर माननीन सदस्य कहे तो आप समय बढ़ाईये और दुनिया भर की बाते करते हैं, शिक्षकों को फिजूल में राजनीति में घसीटना चाहते है। इसी तरह से गुना में उनको बदनाम कर राजनीति में घसीटा और तकलीफ में डाला। मैं व्यक्तिगत रूप से उन शिक्षकों को जानता हूं आज फिर गुना के मित्र उसी तरह का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए मैं समय बढ़ाने का विरोध करता हूं।
    

श्री दिग्विजय सिंह : आपके माध्यम से सदस्य महोदय को बताना चाहता हूं कि इसमें जितना मेरा हाथ है उतना धर्म स्वरूप सक्सेना का भी हाथ है, वह भी इस प्रकरण से पीड़ित है। मैं आपसे कह रहा था कि जैसे ही वे गुना आये........
    

श्री गौरीशंकर कौशल : पन्द्रह मिनट का समय बढ़ाया गया है या नहीं, यह तय नहीं हुआ ? 
    

सभापति महोदय : बढ़ाया गया है।
    

श्री दिग्विजयसिंह : उन्होंने भय और आंतक का वातावरण निर्मित किया उन्होंने यह बात कहना चालू किया कि फलां आदमी का ट्रांसफर करा दूंगा, प्राचार्य का ट्रांसफर करा दूंगा.....
    

श्री माधवराव इन्दापुरकर : प्वाइन्ट आफ आर्डर, जो प्रश्न हमारे विधायक रख रहे है वह श्रीमान के सामने होगा माननीय सदस्य के सामने भी होगा। क्या प्रश्न पर मुद्दे की बात करने को आप सदस्य महानुभावों को कहेंगे।
    

सभापति महोदय : आपको मुद्दे की जो बात कहनी है वह कहिये वनी भूमिका बांधने मे ही समय समाप्त हो जायेगा।
    

श्री दिग्विजयसिंह  (राधोगढ़) : सभापति महोदय, मैं भूमिका बांध चुका। दिनांक 12 तारीख को प्राचार्य महोदय से कहा सुनी हुई। उन्होंने खुले रूप से कहा कि इस व्यक्ति को कल सुबह तक इस पद पर नहीं रहने दूंगा। खुले रूप से कह कर रात की बस में बैठकर यहांआये, 13 तारीख को सुबह 11 बजे दोनों प्राचार्यों के पास तार पहुंच गया कि आप निलंबित किये जाते है। मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियन्वण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 9 के अन्तर्गत आप देखेंगे तो उसमें स्पष्ट है कि किन कारणों से निलंबित किये जा सकते हैं। जहां उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाना अपेक्षित हो या अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाना लम्बित हो या जहां उसके विरूद्ध किसी भी दाण्डिक अपराध के सम्बन्ध में कोई मामला अन्वेषण, जांच या परीक्षण के अधीन हो। ‘‘ निलम्बित कर सकेगा। मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षिक करूंगा कि साधारणतः जब किसी के खिलाफ कोई आरोप आता है तो प्रारम्भिक जांच की जाती है यदि उसमें तथ्य पाया है तो आरोप पत्र दिया जाता है, आरोप पत्र दिये जाने के बाद यदि इन्क्वायरी अफसर पाये कि उसके अन्दर इतने तथ्य हैं कि उसके खिलाफ डिपार्टमेंटल इन्क्वायरी बैठाई जाती है और जांच अधिकारी समझे कि उस व्यक्ति को वहां रखने से विभागीय जांच में बाधा पड़ सकती है तब दूसरी जगह उसका स्थानांतरण किया जाता है या सस्पेन्ड किया जाता है।......


    सभापति महोदय, आप यदि इस प्रकरण को देखेंगे तो पता चलेगा कि इसमें किसी भी नियम का पालन नहीं किया गया है, सारी कार्यवाही केवल एक व्यक्ति विशेष को सन्तुष्ट करने के लिए की गई है, उसका वर्चस्व कायम करने के लिये की गई है। सभापति महोदय, अभी मन्त्री जी से पूछना चाहूंगा कि क्या उनके पास इस तरह की शिकायत पहले आई थी। दोनों प्राचार्य 20-25 वर्ष पुराने अनुभवी प्राचार्य हैं, क्या उनके खिलाफ कभी इस तरह की शिकायत आई। शिक्षा विभाग के पास उनकी गोपनीय च्मतेवदंस चरित्रावली रहती है, यदि उनकी चरित्रावली में एडवर्स रिमार्क लगाया गया होता तो उसकी सूचना भी उन्हें कन्वे की जाती। मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि किसी के भी माध्यम से क्या उनके पास कभी कोई शिकायत आई थी।


    माननीय सभापति महोदय, आप देखेंगे कि यह व्यक्ति रोज शासकीय प्रांगण में आर. एस. एस. की शाखा लगा रहा है, जबकि शासन का सरकुलर है, अभी कुछ दिन पूर्व माननीय मुख्यमन्त्री जी ने इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहा है जी.ए.टी. का सरकुलर क्रमांक 2904/3793/3/66, दिनांक 23 दिसम्बर 66 मैं आपके सामने पढ़ना चाहूंगा....


    

सभापति महोदय : इसको पढ़ने की आवश्यकता नहीं है।
    

श्री दिग्विजय सिंह : इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी शासकीय कर्मचारी आर. एस. एस. संगठन में भाग नहीं ले सकता। इसी तरह से एक और सरकुलर है, जो धर्मस्वरूपजी के उत्तर में आया है कि शासकीय भूमि में आर. एस. एस. की शाखा नहीं लगाई जा सकती। ये दोनों चीजें इस व्यक्ति, द्वारा की जा रही हैं। मै इस बात को पूरे दावे के साथ शपथ पूर्वक यहा पर कह सकता हूं क्या मेरे इस दावे के पश्चात् माननीय मन्त्रीजी और शिक्षा मन्त्रीजी उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे ?
    

सभापति महोदय : आपने अपना जवाब कह दिया। 
    

श्री दिग्विजय सिंह : सारे के सारे प्रदेश में शिक्षक संघ का वर्चस्व है......
    

सभापति महोदय : इस बारे में शासन का क्या कहना है ?
    

शिक्षा राज्य मन्त्री (श्री विभाषचन्द्र बनर्जी) : सभापति महोदय, माननीय सदस्य ने जो यहां पर वक्तव्य दिया, उससे स्पष्ट है कि उन्होंने राजनीतिक दृष्टि से लाभ उठाने के लिए वह वक्तव्य यहां पर दिया है। उसमें बहुत सी अनर्गल बाते यहां कही गई, जिनका उत्तर मैं यहां पर देना आवश्यक नहीं समझता। मुख्य मुद्दे की बात यह है कि जिन प्राचार्यों के विरूद्ध कार्यवाही की गई, उस कार्यवाही का आधार क्या था और वह न्याय संगत है या नहीं ? माननीय सभापति महोदय, मैं सदन को यह बतला देना चाहता हूं कि शिकायत आने पर, जो कि वहां के शिक्षक गौरीशंकर द्वारा की गई थी, यह कार्यवाही की गई। 
    

श्री दिग्विजय सिंह : क्या वे वहां शिक्षक संघ के सचिव हैं ?
    

श्री विभाषचन्द्र बनर्जी : वे गुना शिक्षक संघ के सचिव हैं, यह शासन शिक्षक किस संघ में है इसका विचार नहीं करना, एक शिक्षक ने, यदि वह किसी भी संघ का सदस्य हो, अगर उसने गम्भीर किस्म के आरोप लगाये है- जो घटनायें शिक्षा विभाग की छवि को घूमिल करती हैं, तब शासन के लिए आवश्यक हो जाता है कि उसकी छानवीन की जाए। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि शासन ने इस विषय में बिल्कूल निष्पक्ष रूप से कार्य किया है। इस सम्बन्ध में थोड़ा सा भ्रम माननीय सदस्य को है। उनका ऐसा कहना है कि आरोप पत्र नहीं दिया गया। यह उनके मन में भ्रम है।
    

सिविल सेवा वर्गीकरण अपील और नियन्त्रण अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत नियम 9 में यह प्रावधान है कि शासन अगर अपने विवके से समझता है कि शिकायतें गम्भीर किस्म की हैं तो निलम्वित किया जा सकता है।
    

श्री अर्जुन सिंह : सभापति महोदय, मन्त्री महोदय बाद वाली स्टेज पर आ गये हैं। वे शिकायतें क्या थीं और कैसी थीं, इसी पर से कार्यवाही हुई है। गम्भीर कहने से गम्भीर नहीं हो जायेंगी।
    

श्री विभाषचन्द्र बनर्जी : सभापति महोदय, मैं माननीय विरोधी दल के नेता को बताना चाहता हूं कि प्रश्नों के उत्तर में यह दिया है कि असौजन्यपूर्ण व्यवहार अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया है। उन्होंने स्कूल प्रांगण में सब स्टाफ के सामने शासन को अपशब्द कहा है, साथ ही स्टाफ के लोगों के साथ अभद्रतापूर्ण किया, असौजन्यपूर्ण व्यवहार किया। नियम 9 के अन्तर्गत शासन स्वयं विवके से निर्णय लेता है कि शिकायत गम्भीर किस्म की है जिसमें निलम्बन करना आवश्यक है। शासन को जो अधिकार प्राप्त है उसका शासन ने पूरी क्षमता के साथ उपयोग किया। इसमें यह बात नहीं थी कि शिकायतकर्त्ता विशेष संघ से सम्बन्धित शिक्षक है। शासन के मन्त्री के खिलाफ, शासन के खिलाफ कोई भी प्राचार्य स्कूल प्रांगण मे अपशब्दों का प्रयोग करता है, अभद्र व्यवहार करता है तो उसको शासन कभी वरदाश्त नहीं करेगा।
    

श्री दिग्विजय सिंह : 3 मार्च 1979 को बहाल कर दिया गया यह उत्तर में दिया है तो क्या आरोप सही पाया ?
    

श्री विभाषचन्द्र बनर्जी : आरोप आने के बाद प्रारम्भिक जांच की गई। प्रारम्भिक जांच में यह पाया गया कि अभद्रतापूर्ण, असौजन्यपूर्ण व्यवहार किया गया। मेजर पनिशमेंट का मामला नहीं था। माइनर पनिशमेंट में जरूरी नहीं रहता है कि विभागीय जांच हो, शोकाज नोटिस देकर, स्पष्टीकरण लेकर अप्रसन्नता जाहित कर सकते हैं, मेजर पनिशमेंट में औपचारिक रीति से आरोप पत्र देते हैं, पूरी प्रक्रिया होती है। प्रकरण में जांच के लिए यहां से निष्पक्ष अधिकारी भेजा गया। पूरी जांच और अध्ययन करने के बाद यह पाया गया कि यह प्रमाणित हुआ, आरोप सिद्ध हुआ कि अभद्रतापूर्ण और अशोभनीय व्यवहार किया, इसीलिए नोटिस दिया अप्रसन्नता जाहिर करने का, उनका जवाब आया और इसीलिए बहाल किया गया। आगे क्या कार्यवाही हो उसका परीक्षण किया जा रहा है। मुझे इतना ही वक्तव्य देना है।