दिनांक 16.04.1979
गुना जिले में मण्डियों के मूल्य पर गेंहू बिकने के संबन्ध में।
श्री दिग्विजय सिंह (राघौगढ़) : (श्री हजारीलाल रघुवंशी) अध्यक्ष महोदय, मैं नियम 138 (1) के अधीन खाद्य मन्त्री महोदय का ध्यान निम्न अविलम्बनीय सार्वजनिक महत्व के विषय की ओर आकर्षित करता हूं और अनुरोध करता हूं कि वे इस पर अपना वक्तव्य देने का कष्ट करें। विषय इस प्रकार है :-
गुना जिले की अधिकतर मन्डियों में गेहूं की आवक प्रारम्भ हो गई है। उक्त मन्डियों में गेहूं रू. 120 प्रति कि्ंवटल से लेकर रू. 90) तक बिक रहा है, जबकि शासन की पिछले वर्ष को मिनिमम सपोर्ट प्राइज रू. 112) प्रति कि्ंवटल है। काश्तकारों को पैसे की आवश्यकता के कारण रूपये 112) प्रति कि्ंवटल से कम भावों में भी बेचना पड़ रहा है, जिसके कारण समस्त क्षेत्र के कृषकों में शासन के प्रति असंतोष का वातावरण व्याप्त है।
खाद्य मंत्री (श्री सीताप्रसाद शर्मा) : अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार गुना जिले की मंडियों में अभी जो गेहूं आ रहा है उसमें किसानों द्वारा गत वर्ष के उत्पादन का गेहूं भी सम्मिलित है जो अधिकतर घुना हुआ व अच्छी औसत किस्म का नहीं है। केन्द्रीय शासन ने अच्छी औसत किस्म के गेहूं के लिये गत वर्ष 112 रू. 50 पैसे प्रति कि्ंवटल आधार मूल्य निर्धारित किया था। जो गेहूं एक ग्रेड नीचे का होता है उसका खरीदी भाव 2 रू. प्रति कि्ंवटल कम होता है। अर्थात् वह 110 रू. 50 पैसे प्रति कि्ंवटल के मूल्य पर खरीदा जाता है। भारतीय खाद्य निगम द्वारा इससे नीचे की किस्म का गेहूं आधार मूल्य पर नहीं खरीदा जाता। कृषकों को यह समझाईश दी गई है कि वे गेहूं साफ कर निर्धारित क्वालिटी को ध्यान में रखते हुए मंडी में लायें ताकि आधार मूल्य पर उसका क्रय किया जा सके। गत वर्ष भारतीय खाद्य निगम द्वारा गुना जिले में 4,540 कि्ंवटल गेहूं की खरीदी की गई। मार्च 79 के अन्तिम सप्ताह में गुना जिले में गेहूं के भाव 125 रू. से 150 रू. प्रति कि्ंवटल थे। अभी गुना जिले में मण्डी में आवक अधिक नहीं है और जो गेहूं आ रहा है उसका अधिकतम मूल्य 160 रू प्रति कि्ंवटल तक है। केवल उसी गेहूं का मूल्य कम है जो अच्छी औसत किस्म से नीचे के ग्रेड का है अर्थात् जो घुना हुआ है तथा खबड़ा किस्म का है अथवा जिसमें कचरा मिट्टी अधिक है। गत वर्ष गुना जिले में भारतीय खाद्य निगम द्वारा 7 खरीदी केन्द्र खोले गए थे तथा इस वर्ष भी इन्हें चालू रखा जायेगा तथा और भी आवश्यकता होगी तो अधिक केन्द्र खोले जायेंगे। इस वर्ष के लिए गेहूं का समर्थित मूल्य केन्द्र शासन द्वारा रू. 115 प्रति कि्ंवटल घोषित कर दिया गया है। इस बात की पूर्ण व्यवस्था की गई है कि अच्छी औसत किस्म का गेहूं समर्थित मूल्य से नीचे न बिके। कृषकों में असन्तोष व्याप्त नहीं है।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अभी जो बताया कुछ गेहूं एक सौ साढ़े बारह रूपये प्रति कि्ंवटल के नीचे बिका है। इसमें थोड़ी विचारों की भिन्नता है। अभी कल ही मैंने डिप्टी डायरेक्टर से बात की थी. उन्होंने स्वीकार किया कि शासकीय खरीद अभी प्रारम्भ नहीं हुई है इसलिए गेहूं सपोर्ट प्राइज के नीचे बिक रहा है। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम ने अपने खरीदी केन्द्र वहां कायम किये हैं, जहां मंडियां हैं। शासकीय मंडी स्थापित करने के लिये नियम इतने कठिन बना दिये गये हैं कि जिससे छोटे कस्बों में शासकीय मडियां कायम नहीं हो सकती। मेरे पूरे चुनाव क्षेत्र के एक ब्लॉक में एक भी मण्डी नहीं है जिसके कारण व्यापारी अपने संगठन बनाकर मण्डी कायम कर लेते हैं और 80-85 रू. प्रति कि्ंवटल के भाव पर गेहूं खरीद लेते हैं। मैं शपथपूर्वक यह कह सकता हूं कि हमारे यहां 80-85 रू. प्रति कि्ंवटल के भाव पर गेहूं बिक रहा है- नया गेहूं। अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मन्त्री जी से इस सम्बन्ध में दो प्रश्न पूछना चाहता हूं। पहला तो यह कि शासकीय खरीद कब प्रारम्भ की जा रही है ? ऐसा देखा जाता है कि काश्तकारों के हाथ से जब फसल निकलती है तो वह व्यापारियों के हाथ में पहुंच जाती है। इससे पहले कि शासकीय खरीद प्रारम्भ हो, व्यापारी उनकी उपज खरीद लेते है जिसका लाभ व्यापारियों को मिलता है और कृषकों को नहीं मिलता। अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न मेरा यह है कि क्या वहां खरीदी केन्द्र कायम करेंगे जहां मंडिया नहीं है, ताकि काश्तकारों को वहां अपना गेहूं बेचने की सुविधा मिल सके ? मंडियों के अभाव में वह अन्य स्थानों पर अपने गेहूं की बिक्री करते हैं।
श्री सीताप्रसाद शर्मा : जहां मंडियां नहीं हैं वहां खरीदी केन्द्र खोलने का विचार शासन करेगा। केन्द्रीय शासन द्वारा समर्थन मूल्य पर 115 रू. प्रति कि्ंवटल निर्धारित किया गया है। यदि इससे कम भाव पर गेहूं बिकेगा और यदि अधिक मंडियां खोलने की जरूरत है तो अधिक मंडियां खोलने का प्रयास करेंगे। अभी 4-4 79 को यानी इसी महीने में खाद्य विभाग के संचालक ने भारतीय खाद्य निगम को और कलेक्टरों को दिर्नेश जारी किये हैं कि इसमें शिथिलता न आने दें जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सकें। किसानों को उचित कीमत दिलानें के लिये ही केन्द्रीय शासन ने 115 रू प्रति कि्ंवटल का भाव निर्धारित किया है-
श्री दिग्विजय सिंह : शासकीय खरीद कब चालू की जा रही है ? मण्डियों के अतिरिक्त खरीद केन्द्र कब स्थापित करेंगे ?
श्री सीताप्रसाद शर्मा : यदि मंडियों के अलावा खरीद केन्द्र खोलने की आवश्यकता हुई तो जरूर खोले जायेंगे।
अध्यक्ष महोदय : उन्होंने यह भी पूछा है कि खरीद कब आरम्भ की गई ?
श्री सीताप्रसाद शर्मा : खरीदी के लिये निर्देश कर दिये गए हैं।
श्री दिग्विजय सिंह : क्या किसानों का गेहूं मंडियों में आने लगा है, अधिकतर ऐसे लोग है जो चैत करने जा रहे हैं जैसे ही चैत कट जाता है, किसान अपना गेहूं व्यापारी को बेच देते हैं और उनको उचित मूल्य नहीं मिलता। अगर बाद में आपने केंद्र खोले तो उन केन्द्रों को खोलने से किसान को क्या फायदा होने वाला हैं ? इसलिए मैं मंत्री जी से स्पेसिफिक उत्तर चाहता हूं कि वह खरीदी केन्द्र कब चालू करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय : मंत्रीजी ने उत्तर दे दिया है कि इसके लिये निर्देश दे दिए गए हैं।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, समस्या तो यही है कि मन्त्री जी के आदेशों का पालन ही नहीं होता है। इसीलिये मैं मन्त्री जी से निश्चित अवधि पूछना चाहता हूं, वह कृपया बता दें।
अध्यक्ष महोदय : देखिये आपका काल अटेन्शन मोशन था आपने मन्त्रीजी का ध्यान आकर्षित कर दिया उनका उत्तर भी आ गया।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा। मेरा मन्त्रीजी से केवल एक ही सवाल है कि वह निश्चित अवधि बता दें कि वह खरीदी केंद्र कब तक चालू करवा देंगे।
श्री सीताप्रसाद शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैंने ऊपर ही उत्तर दे दिया है कि खरीदी केंद्र जितनी जल्दी हो सकेंगे शुरू करवा दिये जावेंगे। इसके लिये एफ. सी. आई. को निर्देश दे दिए गये हैं। डायरेक्टर ने भी 4-4-79 को प्रत्येक जिला कलेक्टर को तथा एफ. सी. आई. को निर्देश जारी कर दिये हैं।
श्री हजारीलाल रघुवंशी : अध्यक्ष महोदय, एफ. सी. आई. सारे प्रदेश की मंडियों से अनाज खरीदता है और भाव केन्द्रीय सरकार निश्चित करती है जितना भी अनाज है वह माह मार्च से जून तक पूरा का पूरा मंडियों में बिकने आता है। दूसरी ओर एफ. सी. आई. हमारे प्रदेश के राज्य शासन के अंतर्गत नहीं है। विधान सभा में हम जितना भी पूछ लें और मन्त्री जी आश्वासन दे दें पर यह सही बात है कि एफ. सी. आई. वाले इनके निर्देयों का पालन नहीं करते। जिस प्रकार गुना एक जिला है होशंगाबाद भी एक जिला है और एफ. सी. आई. इनकी बातों को मानने को तैयार नहीं हैं.......
अध्यक्ष महोदय : मन्त्री जी ने विश्वास दिला दिया है कि जल्दी से जल्दी व्यवस्था होगी, निर्देश दे दिये गये हैं.......
श्री हजारीलाल रघुवंशी : माननीय अध्यक्ष समस्या तो यही है कि निर्देश देने से क्या होता है वह आपकी बात कतई नहीं मानते। कब निर्देश दिये कब उनका पालन होगा। स्थिति आज यह हो रही है कि जितना भी अनाज है वहां के व्यापारी किसानों से 80 और 90 रू. कि्ंवटल पर खरीद रहे हैं और अगर सब माल व्यापारियों ने हड़प लिया तो फिर खरीदी केन्द्र खुलने से गरीब किसान को क्या फायदा होने वाला है ? जब एफ. सी. आई. के लोग खरीदी के लिए आवेंगे तब उनको माल ही नहीं मिलेगा।
अध्यक्ष महोदय : आप अपने क्षेत्र की समस्याओं के सम्बन्ध में एक्टिव रहा करें और समय पर शिकायतें मंत्री जी को लिखकर भेजा करें।
श्री हजारीलाल रघुवंशी : हमारे कहने से क्या होता है इनको तो केवल किसान सम्मेलन, किसान रैली यह निकालना है वैसे चाहे किसान मरता रहे....
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय : ठीक है अब आपने बात कह दी उनके निर्देश हो चुके हैं।
श्री हजारीलाल रघुवंशी : दिक्कत तो सबसे बड़ी यही है कि एफ. सी. आई. निर्देश नहीं मानती...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय : (मन्त्रीजी से) अगर वह आपका हुक्म नहीं मानेंगे तो आप क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री सीताप्रदाद शर्मा : अध्यक्ष महोदय, इस सम्बन्ध में भारतीय खाद्य निगम को राज्य सरकार का हुकुम मानना पडे़गा। केन्द्र सरकार द्वारा जो 115 रू. का समर्थन मूल्य निश्चित किया गया है उसका एफ. सी. आई. द्वारा पालन करवाने का हमें अधिकार है।
अध्यक्ष महोदय : इनका कहना यह है कि अगर आदेशों का पालन नहीं होगा और यह शिकायत लेकर आये तो उस पर कार्यवाही करेंगे या नहीं करेंगे।
समय-12-00
श्री सीताप्रसाद शर्मा : निश्चित रूप से कार्यवाही की जायेगी। एक वार माननीय सदस्य फूड कारपोरेशन की व्यवस्था के बावत शिकायत लाये थे मैंने उनके सामने कार्यवाही की थी।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि फूड कारपोरेशन गवर्नमेंट आफ इन्डिया की संस्था है और वे ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से गेहूं खरीदते हैं और पंजाब और हरियाणा में फसल आती है। मई में और अपने यहां मालवा में फसल आती है अप्रैल के पहले हफ्ते में। फूड कारपोरेशन आर्गेनाइज होता है पंजाब हरियाणा के हिसाब से जबकि मध्यप्रदेश के लिये उनको जल्दी आर्गेनाइज होना चाहिये जब तो वे अप्रैल के फर्स्ट वीक में खरीदी कर सकते हैं। क्योंकि हमारे यहां की कंडीशन तो यह है।