दिनांक 19 अप्रैल 1979
श्री दिग्विजय सिंह (राघोगढ़) : उपाध्यक्ष महोदय, मैं पर्यटन और पुरातत्व की जो मांग सदन के सामने प्रस्तुत की गई है उसका विरोध करता हूं और उन पर जो कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए हैं उन समस्त कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं। उपाध्यक्ष महोदय, जब माननीय वित्त मन्त्री जी वर्ष 1979-80 का बजट भाषण पढ़ रहे थे तो मैंने उसको बड़े ध्यान से सुना। लेकिन अपने बजट भाषण में माननीय वित्त मन्त्री जी ने एक बार भी इस महत्वपूर्ण विभाग पर्यटन और पुरातत्व के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा और इससे ऐसा लगता है कि इन विभागों के साथ माननीय मन्त्री जी ने सौतेला व्यवहार किया हैं।
उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहले पुरातत्व विभाग के बारे में कहना चाहूंगा। पुरातत्व विभाग के मन्त्री श्री मरावी जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने पुरातत्व विभाग के संचालनालय को आई.ए. एस. से, जो हर मर्ज की दवा मानी गई है, मुक्ति दिलाई, लेकिन जो दूरदर्शिता पुरातत्व विभाग के बारे में दर्शाई है, मुझे खेद है पर्यटन विभाग की तरफ नहीं दर्शा पाये हैं। हमारा प्रदेश पुरातत्व के मामले में अत्यन्त समृद्धशाली है, अग्रणी है किन्तु हमें खेद है कि इस प्रदेश में एक्सकैवेशन और एक्सप्रोरेशन में डा. वाक्याकर के अतिरिक्त कोई लाइसेंस नहीं नहीं प्राप्त कर पाया जो गवर्नमेंट आफ इंडिया से प्राप्त होता है। इस बजट के अन्दर एक्सकैवेशन और एक्सप्लोरेशन इसके लिए 1,24,000 रू. का प्रावधान किया गया है जो स्वागत योग्य है। इसमें प्रकाशन सेल की कमी थी, उसके लिए मन्त्री जी ने 1 लाख 24 हजार का प्रावधान किया है। कम हुए भी इसके लिए मैं उनको धन्यवाद दूंगा। इस प्रदेश में ‘भीम बैठका’ भोपाल से 15-20 मील दूर होशंगाबाद रोड पर है, वहां पेन्टेड रॉक शैल्टर का बड़ा समूह है जो पूरे संसार में सबसे बड़ा और पुराना माना जाता है, उसकी तरफ शासन का ध्यान नहीं गया है और इस बजट में उसके विकास के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया। आप उसके विकास की ओर ध्यान दें। पुराने चित्रों के रेस्टोरेशन के लिए, उन्हें सुरक्षित रखने के लिए, पेटिंग की सुरक्षा के लिए फिजिकल लेव्रोटरी की सख्त जरूरत है। इसके लिए मांग भी की है। मै निवेदन करूंगा कि इस कार्य को शीघ्र हाथ में ले ताकि प्रदेश में जो पुराने चित्र हैं उनका सही ढंग से रखरखाव हो सकें इसलिए फिजिकल लेव्रोरेटरी की व्यवस्था शीघ्र करें। अभी तक यह परम्परा चली आ रही हैं कि पुरानी मूर्तिया, पुराने मन्दिर के अंश वहां से हटाकर शहरों के अन्दर संग्रहालय बनाकर वहां स्थापित करते हैं। यह उन शिल्पकारों के साथ, उन स्थानों के व्यक्तियों, निर्माताओं के साथ घोर अन्याय होगा। इनको वहां से नहीं हटाना चाहिए बल्कि वहां के कल्चर को देखते हुए वहीं पर रखना चाहिए, जो टूटे फूटे मंदिर है उनको रिकस्ट्रक्ट किया जाये, शहरों में न लायें। चंदेरी में हजारों मूर्तिया पड़ी हैं वहां म्युजियम बनाइए, ..... में मूर्तिया पड़ी हैं वहां म्युजियम बनाइए। हर जिले में डिस्ट्रिक्ट आर्केलाजिकल एसोशियेशन बनाया गया था जबकि आर्केंलाजी के नाम से कोई काम नहीं किया गया न लेखा-जोखा दिया गया, न पैसे का किसी प्रकार से सदुपयोग किया गया। मंत्री जी से कहूंगा इस राशि को तत्काल बन्द करें और डिस्ट्रिक्ट आर्किलाजिकल एसोशियेशन को बन्द करें और स्टेट के विभाग के माध्यम से काम कराइए।
अध्यक्ष महोदय, मुझे अत्यन्त खेद है कि मध्यप्रदेश शासन ने यहां के पर्यटन विभाग ने इस प्रदेश के दर्शनीय और पुरातत्व के स्थानों की कोई विस्तृत योजना नहीं बनाई है और न कोई सर्वेक्षण तक ही कराया हैं। इसके लिए यदि
परिशिष्ट (2)
विदेशी विशेषज्ञों की राय की आवश्यकता होती इसमें भी शासन का कतई हिचकिचाना नहीं चाहिए। अध्यक्ष महोदय, .... आप मध्यप्रदेश का नक्शा देखेंगे तो आप देखेंगे कि मध्यप्रदेश के दर्शनीय स्थानों के सौ डेढ़ सौ मील रेडियस में सभी दर्शनीय स्थान आ जाते हैं। यहां सबसे पहले आवागमन के साधनों को उपलब्ध कराने की बड़ी आवश्यकता है। बम्बई, कलकत्ता और दिल्ली इन तीनों स्थानों को एयर सर्विस से जोड़ा जाना चाहिए। अजन्ता-एलोरा से जबलपुर खजुराहो होते हुए जयपुर और दिल्ली जाने का साधन हो तो इससे पर्यटन विभाग को बहुत मदद मिलेगी राजस्थान के पर्यटन मन्त्री जी ने उदयपुर जुड़वा लिया जिससे उनको लाभ मिला है हमारे मध्यप्रदेश को भी एयर सर्विस के लिए ज्यादा से ज्याद प्रयत्न करना चाहिए।
रेल मार्ग की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि आवागमन के साधन लोगों के सुलभ हो जायें। दर्शनीय स्थलों में आवास और भोजन की व्यवस्था पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। ताज एक्सप्रेस के आगरा से महोबा तक बढ़ जावे। वहां इतनी मंहगी सब चीजें होती है कि देशी पर्यटकों को काफी असुविधा होती है।
इसके अलावा परिवहन सेवाओं में भी वृद्धि की जानी चाहिए। परिवहन सेवाओं में एयरकन्डीशन होना चाहिए। खजुराहो, ग्वालियर, कान्हा, जगदलपुर, भोपाल, इन्दौर इस प्रकार से परिवहन व्यवस्था की जानी चाहिए, कि इससे पर्यटकों ज्यादा से ज्यादा स्थान देखने को मिल सकेंगे।
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में सबसे बड़ी कमी हमारे दर्शनीय स्थानों में मनोरंजन के साधन न होने की है। विदेशी पर्यटक आते हैं, वे रिलेक्स होना चाहते हैं, लेकिन मनोरंजन का वहां कोई भी साधन नहीं होता है। खजुराहो में फेस्टीवल होता जरूर है लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। यह एक बुन्देलखंडी क्षेत्र है वहीं के नाटकों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उपाध्यक्ष महोदय : अब आपका समय समाप्त।
श्री दिग्विजय सिंह : केवल दो प्वाइंट मुझे और रखने हैं।
( व्यवधान )
श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश की नदियों में ....... नाम की मछली होती है यह बहुत महत्वपूर्ण है उपाध्यक्ष महोदय विदेशों में करोड़ो रूपये फिशिंग पर खर्च किया जाता है। अतः मछली के शिकार का प्रबन्ध करें।