दिनांक 08.09.1980
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा-छत्तीसगढ़ क्षेत्र में अकाल की स्थिति
श्री वासुदेव चन्द्राकर (खेरथी) : अध्यक्ष महोदय, मैं नियम 138 (1) के अधीन मुख्यमंत्री महोदय का ध्यान निम्न अविलंवनीय सार्वजनिक महत्व के विषय की ओर आकर्षित करता हूं और अनुरोध करता हूं कि वे इस पर अपना वक्तव्य देने का कष्ट करें। विषय इस प्रकार है :-
छत्तीसगढ़ अंचल में वर्षाभाव के कारण कई स्थानों में धान के पौधों की बीयाली नहीं हो पाई है सिंचित क्षेत्रों में भी जहां सिंचाई विभाग के साथ अनुबन्ध है धान की बीयाली के लिये नहरों में से पानी नहीं दिया जा रहा है। जहां उद्वहन सिंचाई हेतु नलकूप खोदे गये हैं उनमें भी विद्युत पम्प अभी तक नहीं बिठाये गये हैं।
जहां कुछ वर्षा हुई है और फसल ठीक है वहां कई तरह की संक्रामक बीमारियों को प्रकोप शुरू हो गया है। इन क्षेत्रों को अभी तक शासन द्वारा एपेडेमिक क्षेत्र घोषित नहीं किया गया हैं। पूरे छत्तीसगढ़ अंचल में यूरिया खाद का अभाव है तथा जिन निजी व्यापारियों के पास थोड़ा बहुत स्टाक है वे 15,20 रू. प्रति बोरे के हिसाब से अधिक दाम लेकर किसानों को बेच रहे हैं।
इन सब स्थितियों से सारे छत्तीसगढ़ क्षेत्र के किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। अकाल की भयावह स्थिति स्पष्ट परिलक्षित हो रही है। खेतिहर मजदूर व छोटे किसान वर्षाभाव के कारण बिल्कुल बेरोजगार हो गये हैं। राहत कार्य बन्द है। जिससे लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उठ खड़ी हुई हैं।
श्री दिग्विजय सिंह : (लिखित वक्तव्य पढ़ा)
राज्य मन्त्री कृषि (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग के तीनों जिलों के सभी गांवों में बियाली हो चुकी है लेकिन बिलासपुर जिले के मालखरौद, जैजेपुर और डमरा विकास खन्डों के 84 गांव भर ऐसे हैं जिसमें आंशिक रूप से बियाली हो पायी है। रायपुर संभाग में रायपुर जिले की बलौदा बाजार तहसील के 36 गांवों तथा दुर्ग जिले की बेमेतरा तहसील के 38 गांवों में बियाली अभी तक नहीं हो सकी है।
रायपुर जिले के तीन तथा दुर्ग जिले के तीन मुख्यालयों के जलग्रहण क्षेत्र में वर्षा कम होने के कारण उनमें दिनांक 6-9-80 तक 13 प्रतिशत से 68 प्रतिशत तक ही जल भरा है। अतः संभागीय वाटर यू ट्रिलाईजेशन समिति ने निर्णय लिया है कि इन तालाबों से 15 सितम्बर से पानी छोड़ा जाय। समिति 7 सितम्बर को स्थिति की पुनः समीक्षा करेगी और यदि संभव हुआ तो उसके पहले भी पानी छोड़ा जा सकता हैं।
छत्तीसगढ़ क्षेत्र में नलकूपों के लिए 370 नलकूपों के लिए औपचारिकताएं पूर्ण की गई है। जिनमें से 647 नल-कूपों के लिए लाइनों का बिस्तार किया जा चुका हैं। और केवल 23 नलकूपों के लिए लाइने बिछाने का कार्य प्रगति पर है। 562 किसानों ने विद्युत कनेकशन ले लिए हैं और केवल 85 किसानों द्वारा पंप स्थापित कर कनेकशन लेना शेष है।
छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों से उनके कुछ विकास खण्डों में धान की फसल पर कीट व्यापि का प्रकोप होने सम्बन्धी सूचनाएं प्राप्त हुई हैं और तदनुसार रायपुर जिले के धमतरी विकास खण्ड, दुर्ग जिले के 6 विकास खण्ड ( दुर्ग पाटना, गुण्डरदेही, गुरूर, बालोद एवं विरोल तथा बिलासपुर जिले के चार विकास खण्ड विलाह, मस्तूरी, पामगढ़, एवं अकलतरा) की धान फसल के गंगई एवं हरा माहों कीड़े के लिए संक्रामक क्षेत्र घोषित किया गया है।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों को पौध संरक्षण तकावी के लिये निम्नलिखित राशि आवंटित कर दी गई है :-
1- रायपुर 5,00,000/- 4- बस्तर 50,000/-
2- राजनांदगांव 5,00,000/- 5- बिलासपुर 5,00,000/-
3- दुर्ग 5,00,000/- 6- रायगढ़ 50,000/-
7- अम्बिकापुर 50,000/- 8- बालाघाट 3,00,000/-
छत्तीसगढ़ के जिलों के कृषकों को पौध संरक्षण यंत्रों को खरीदने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान देने हेतु निम्नलिखित राशि आवंटित कर दी गई है
1- बिलासपुर संभाग 5,00,000/- (2) रायपुर संभाग 15,00,000/-
अन्य संभागों के दवाई छिड़कने के 800 यंत्र बिलासपुर संभाग को भेजे जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों को कृषि उद्योग निगम द्वारा औषधियां भेज दी गई है। और इसके अलावा निजी विक्रेताओं द्वारा अलग से विक्रय किया जा रहा है। मण्डियों को भी पौध संरक्षण औषधियां क्रय कर वितरित करने के निर्देश दिए गये हैं। सहकारी समितियां भी पौध संरक्षण औषधियां वितरित कर रही हैं।
बियाली के समय यूरिया खाद की मांग बढ़ जाती है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों की खरींफ की मांग को ध्यान में रखते हुए निम्नानुसार यूरिया सहकारी विपणन संघ द्वारा उपलब्ध कराया गया था।
(1) रायपुर 11,998 टन (2) दुर्ग 3,863 टन (3) राजनांदगांव 1822 टन
(4) बिलासपुर 5127 टन (5) रायगढ़ 1153 टन (6) बालाघाट 2162 टन
अतिरिक्त मांग प्राप्त होने पर राज्य के अन्य क्षेत्रों में सहकारी विपणन संघ द्वारा ट्रकों से यूरिया पहुचाया जा रहा है। दिनांक 6-9-80 तक निम्नलिखित मात्रा पहुंचाई जा चुकी है।
(1) रायपुर 1900 टन (2) दुर्ग 1050 टन (3) राजनांदगांव 310 टन
(4) बिलासपुर 390 टन (5) रायगढ़ 110 टन (6) बालाघाट 130 टन
कुल 3890 टन
फिलहाल प्रतिदिन 60 ट्रक भेजे जा रहे हैं और दिर्नेश दिए गये हैं कि यथा संभव 100 ट्रक प्रतिदिन भेजने की व्यवस्था की जाये।
छत्तीसगढ़ के रायपुर एवं बिलासपुर संभाग में जिलेवार दिनांक 31-8-80 तक वर्षा की जानकारी, राहत कार्यों एवं उन पर कार्यरत मजदूरों की जानकारी निम्नानुसार है :-
रायपुर संभाग
नाम जिला 31-8-80 31-8-80 राहत कार्यो कार्यरत मजदूर संख्या
तक की तक हुई वर्षा की संख्या
सामान्य वर्षा
रायपुर 979.4 881.5 1448 56309
दुर्ग 883.9 816.0 938 45,546
राजनांदगांव 933.2 606.5 268 24,169
बस्तर 1008.2 906.0 670 19,539
बिलासपुर संभाग
बिलासपुर 959.60 842.6 1360 1,02,947
रायगढ़ 1210.3 1074.2 1352 51,769
सरगुजा 1225.3 1132.5 2046 1,09,381
(अप टू 23-8-80)
वर्षा के कारण जो कार्य करना संभव नहीं थे वे तथा पूर्ण हुए कार्य ही केवल बंद किए गए हैं। अतिरिक्त कार्यों को खोलने की यदि आवश्यकता हुई तो खोलें जावेंगे।
राहत कार्यों की अवधि जो पूर्व में 30-9-80 तक थी 31-10-80 तक बढ़ा दी गई है।
श्री वासुदेव चन्द्राकर : अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के वक्तव्य से संतुष्ट होते हुए भी उनसे 2 प्रश्न पूछना चाहूंगा। एक तो दुर्ग जिले में उद्वहन सिंचाई में नलकूप खूदे हुए हैं, अभी तक कनेक्शन नहीं दिए गए हैं उनमें पंप भी बैठाये नहीं गए हैं, जिससे धान की फसल को क्षति पहुंच रही है।
अध्यक्ष महोदय : आप केवल प्रश्न पूछिए, जानकारी मत दीजिए।
श्री वासुदेव चन्द्राकर : अध्यक्ष महोदय, एक तो उनमें कब तक मोटर पंप बैठा दिए जायेंगे तथा दूसरा नहरों से पानी कब तक दिया जाएगा ?
श्री दिग्विजय सिंह : अतिशीघ्र, अध्यक्ष महोदय।
श्री लंबोदर वलियार : अध्यक्ष महोदय, न मंत्री जी ने खाद के विषय में बताया न दवाइयों के विषय में बताया।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, पौध संरक्षण तकाबी बस्तर जिले को 50,000 की दी है। चूंकि खाद का विवरण मेरे पास नहीं है, यदि माननीय सदस्य चाहेंगे, तो इसके बाद दे दूंगा।
श्री हीरालाल सोनबोईर : मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं, जैसा उन्होंने अभी बताया कि बियासी के लिए 15 सितम्बर तक पानी दे दिया जायेगा। मैं पूछना चाहता हूं कि बे बियासी के बाद भराने के लिए भी देंगे।
श्री दिग्विजय सिंह : यह तो तालाब की क्षमता पर निर्भर करेगा, लेकिन इसके बाद भी बचेगा, तो उसके लिए भी दिया जायेगा।
श्री चेलाराम : अध्यक्ष महोदय, तांदुला जलाशय का पानी पहले काश्तकारों को दिया जाता था, लेकिन भिलाई संयत्र का निर्माण होंने के बाद तांदुला का पानी भिलाई के लिए दिया जा रहा है, इसके बाद गंगरील, खरखरा और गोदली टेंक बन गए, तो क्या तांदुला जलाशय का पानी काश्तकारों के लिए ही रखा जा सकता है।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, मुख्यतः यह मामला सिंचाई विभाग से संबंधित है, लेकिन जैसा कि माननीय विध महोदय बता रहे हैं अगर वहां कनेल सिस्टम मौजूद है तो आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
श्रीमती जया बैन : अध्यक्ष महोदय अभी तक मेरे क्षेत्र धमतरी में गंगई उन्मूलन के लिए 50 प्रतिशत सव-सिड़ी प्राप्त हुई है, दूसरा यह कि अभी हमारे क्षेत्र में मुख्य मन्त्री महोदय पधारे थे, उन्होंने वहां घोषणा की थी कि अगर कोई किसान 3 साल डिफाल्ट भी है तो भी उसको यूरिया के लिए सव-सिड़ी दी जाएगी लेकिन उस संबंध में भी अभी तक कुछ नहीं हुआ हैं।
श्री दिग्विजय सिंह : सव-सिड़ी केसेस तैयार करने में समय लगता है, रोके नहीं गए हैं किसानों को दवाईयां उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
श्री हमीदुल्ला खाँ : अध्यक्ष महोदय मैं जानना चाहूंगा कि राजनांदगांव के कितने गांवों में बियासी नहीं हुई है और वहां सिंचाई बांधों का जल स्तर की क्या स्थिति हैं ?
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, राजनांदगांव जिले के आंकड़े मेरे पास नहीं हैं लेकिन मैं समझता हूं कि राजनांदगांव में किसी भी गांव से ऐसी शिकायत नहीं आई है कि वहां वियासी पूरे गांव में नहीं हो पाई है।
श्री किशोरीलाल शुक्ल : अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने पानी पड़ने के जो फिगर राजनांदगांव के सम्बन्ध में दिए वे शहर के हैं या ग्रामीण क्षेत्र के ? खैरागढ़ व वर्धा एवं राजनांदगांव तहसील में पानी कम गिरा हैं।
श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय पूरे जिले के हैं।