Digvijaya Singh
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28 जुलाई 1977 मध्यप्रदेश राज्य सतर्कता आयोग की 72वीं एवं 73वीं रिर्पोट पर चर्चा।

28 जुलाई 1977 मध्यप्रदेश राज्य सतर्कता आयोग की 72वीं एवं 73वीं रिर्पोट पर चर्चा।

दिनांक 28.07.1977

श्री दिग्विजयसिंह (राघौगढ़) :

अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राज्य सतर्कता आयोग की वर्ष 72 व 73 की रिर्पोट पर सदन में चर्चा चल रही है और जो कि सदन में रखी गई है जब कि कल इन्दौर में विजिलेंस कमिश्नर ने वयानदिया है कि सतर्कता आयोग का वर्ष 74-75 का सतर्कता आयोग का प्रतिवेदन तैयार हो गया हैं लेकिन उसकी अभी तक सदन के पटल पर नहीं रखा गया है इसलिये मैं चाहता हूं कि शासन सबसे पहले वर्ष 74-75 के सतर्कता आयोग के प्रतिवेदन को सदन के पटल पर रखे और विचार हो। अध्यक्ष महोदय, उन्होंने बतलाया है कि अब को आपरेटिव सेक्टर और नगर निगम क्षेत्र भी आपके कार्यक्षेत्र में आ गया है यह स्वागत योग्य बात है। अक्ष्यक्ष महोदय, हम 72-73 की इस रिर्पोट को पढ़कर इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि मुख्य सचिव के आदेश का शासन के सचिव और विभागाध्यक्ष पालन नहीं करते हैं और जो सतर्कता आयोग से जांच प्रतिवेदन भेजे गये हैं उनपर कोई कार्यवाही नहीं की गई है और इस तरह से उनकी जांच में देरी की जाती है और इसके अलावा कई ऐसे उदाहरण है कि राज्य सतर्कता आयोग ने जिस प्रतिवेदन को चाहा है वह उसको नहीं दिया गया है और उसके वार बार स्मरण पत्र भेजने के बाद भी नहीं दिया गया है इस तरह के अध्यक्ष महोदय, आऊट स्टेंडिंग केसेज है।


    सन् 72 में आऊट स्टेंडिंग कार्य बढ़कर 7647 हो गये हैं इससे जाहिर है कि शासन की तरफ से सतर्कता आयोग के आदेशों की अवहेलना की जाती है। इस संबंध में मैं अपने कुछ सुझाव देना चाहता हूं। मेरा सबसे पहला सुझाव यह है और प्रतिवेदन पढ़ने से जाहिर होता हैं कि जो सतर्कता आयोग का मौजूदा ढांचा है, वह भ्रष्टाचार खत्म नहीं कर पाया हैं और न वह भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई बृहद कार्यवाही कर पाया है इसलिये मेरा सुझाव है कि विधायकों को एक समिति गठित करें जो सब प्रकार से अध्ययन करे और उसके ढांचे में यदि कोई परिर्वतन करना हो तो वह परिवर्तन करे और यदि आयोग को कोई अधिकार कम हैं तो वह अधिकार उनको  देना चाहिये।


    अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा सुझाव यह है कि इसका विकेन्द्रीकरण करना चाहिये। एग्जीक्यूटिव और सतर्कता आयोग को साथ नहीं रखना चाहिये। आज यदि किसी विभाग के व्यक्ति की शिकायत करना है तो हमें उस जिले के कलेक्टर के पास जाना पड़ता है, और कलेक्टर अपने आधीन व्यक्तियों की शिकायत सुनने लगे, तो वे अपने मातहत कर्मचारियों की रक्षा करते हैं। इसमें फ्लाइंग स्क्वायड कायम किये जायें जिनको अधिकार दिये जायें और उनको आगे किया जाय।


    अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में मुझे एक चीज और देखने में आई है। अभी शिकायतकर्ताओं को जिला सचिवालय में जाना पढ़ता है इसलिये सहूलियत को देखते हुये उनको ब्लॉक स्तर पर लाया जाय। इतना ही मेरा निवेदन है।