Digvijaya Singh
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27 दिसम्बर 1993 श्री बाबूलाल गौर के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा

27 दिसम्बर 1993 श्री बाबूलाल गौर के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा

(49) दिनांक 27.दिसंबर.1993


श्री बाबूलाल गौर के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा। डरने की कोई बात नहीं है। अभी जो एक व्यक्ति मरा है, उसके छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गये हैं। मेडिको लीगल संस्थान की जो रिपोर्ट आयी हैं और राज्य मन्त्री जी ने जो वक्तव्य दिया है, सभी को ध्यान में रखते हुए इसको ग्रहण करना चाहिए। जब यह ग्रहण  होगा, तब बहस होगी और बाकी के तथ्य हम उस समय भी ढंग से रख सकेंगे। अतः इसको ग्रहण  किया जाना आवश्यक है। 
    श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आयी है। क्या वह सदन के पटल पर रखी गई है, उसमें स्पष्ट है कि गले पर चोट के निशान पाये गये हैं, उसको करंट लगाया गया है, शरीर पर कहां-कहां चोट आयी है, सभी बातों को इस बारे में बताया गया है। क्या मुख्य मंत्री जी रिपोर्ट को पढ़कर सुनायेंगे या सदन के पटल पर रखेंगे। 
    अध्यक्ष महोदय  : गौर साहब क्या पोस्ट मार्टम रिपोर्ट यहा पर आ सकती है ? जबकि उसमें जांच हो रही है।
    श्री बाबूलाल गौर  : भले ही जांच हो रही हो, सदन सबसे बड़ा जनता का दरबार है। 
    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर घटना है, न्यायिक जांच होनी चाहिए।
    अध्यक्ष महोदय  :  न्यायिक जांच के तो वे आदेश दे चुके हैं ?
    श्री बाबूलाल गौर  : न्यायिक जांच के आदेश नहीं हुए, दण्डाधिकारी से जांच कराने के आदेश हुए हैं।
(व्यवधान)
    अध्यक्ष महोदय  :  आप सब पुराने माननीय सदस्य हैं, जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हो अथवा सदन के नेता खड़े हों उस समय किसी को भी बीच में व्यवधान नहीं करना चाहिए। सदन के नेता को मैंने पुकार लिया है, वे खड़े हैं। मैं नहीं सुन सकता इस तरह से, आप बैठिये।
    डॉ. गौरीशंकर शैजवार  :  क्या हम बोलेगे ही नहीं ?
    अध्यक्ष महोदय  :  आप बोलेंगे, उसकी एक प्रक्रिया है।
    डॉ. गौरीशंकर शैजवार  :  श्रीमान आपने कोई बात कही, अगर उसमें मुझे कोई शंका है, तो आपसे ही तो पूछूंगा।
    अध्यक्ष महोदय  :  आप किसी प्रक्रिया के माध्यम से पूछिये।
    डॉ. गौरीशंकर शैजवार  :  आपने कहा कि जांच हो रही है। यहां पोस्टमार्टम रिपोर्ट कैसे आ सकती है, हमारा निवेदन है कि जब सदन में किसी विषय पर चर्चा चल रही है, तो यहां पर हर चीज आ सकती है, सदन सर्वोपरि है और न्यायिक जांच नहीं हो रही है, मजिस्ट्रियल जांच हो रही है। 
    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय बाबूलाल गौर साहव को बधाई देता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की ओर से आपने ओपनिंग बेटिंग शुरू कर दी है। जो तेवर उधर दिखाने चाहिए, किन्तु दुःख की बात हैं कि वे तेवर हमें दिखा रहे हैं।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, इस घटना का जहां तक प्रश्न है, प्रशासन ने और शासन ने जो कुछ करना चाहिए था, वह सब कर चुके हैं। घटना का उल्लेख 15 और 19 दिसम्बर के बीच का है। 13 तारीख को चोरी हुई, रिपोर्ट दर्ज हुई और उसके पश्चात शक में श्री अरविन्द गुप्ता और श्री किशनलाल अग्रवाल को थाने पर बुलाया गया। 22 तारीख को श्री किशनलाल अग्रवाल ने पुलिस अधीक्षक भोपाल के सामने आवेदन प्रस्तुत किया कि उनके साथ ज्यादती हुई है, उन्हे पीटा गया है, उनसे पैसा मांगा गया है। पुलिस अधीक्षक महोदय ने उसी दिन जांच के आदेश दिए और उसी दिन उसको डाक्टरी जांच के लिए भेज दिया गया। जो प्राइमाफेशी है, उसमें उसको एम्सटर्नल इंजूरी है, उसी दिन एस. पी. महोदय ने सहायक पुलिस निरीक्षक रामसेवक दिवाकर को और प्रधान आरक्षक अक्षयवर सिंह को निलंबित कर दिया और नगर निरीक्षक ए. के. धगट को भी निलंबित कर दिया। जिस दिन शिकायत हुई, जिस दिन जांच हुई एम्सटर्नल इंजूरी पाई गई, उसी दिन निलंबित कर दिया। प्रशासन इससे ज्यादा और क्या कर सकता था। 24 तारीख को श्री किशनलाल अग्रवाल का देहान्त हुआ, उसी दिन मजिस्ट्रीरियल इन्क्वॉयरी के आदेश दिए गए। यह सही मायने में कस्टडी की डेथ है कि नहीं, यह भी विचारणीय प्रश्न है, क्योंकि जो व्यक्ति 22 तारीख को आकर रिपोर्ट दर्ज कराता है, उसके बाद उसका परीक्षण होता हैं, उसके बाद उसकी किडनी की सूजन का आदेश भी मालूम होता है, 24 तारीख को जो डेथ हुई, उसमें उसका पोस्टमार्टम भी किया गया और उसके पश्चात जो कार्डिक अरेस्ट की इंटरिम रिपोर्ट आयी है। लेकिन साथ में यह भी दिखाया गया है कि चूंकि उसकी किडनी की सूजन थी, इसलिए हिस्टोपेथोलाजिक टेस्ट होता है, वह करने का निर्णय लिया हैं, जिसमें थोड़ा समय लगता है, क्योंकि उसकी प्रक्रिया होती है। उसमें थोड़ा समय लगेगा। मैं आपके माध्यम से सदन को निवेदन करना चाहता हूं कि प्रदेश के किसी भी नागरिक के साथ किसी भी स्तर पर अमानवीय व्यवहार पुलिस द्वारा नहीं किया जाना चाहिए और जहां-जहां भी शासन के पास ऐसे प्रकरण आए हैं, शासन ने कड़ी कार्यवाही सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ की है। मेरी आपत्ति आदरणीय सदस्य कंकर मुंजारे के इस बयान पर है कि उन्होंने एक घटना को लेकर समूचे पुलिस विभाग पर जो आरोप लगाए हैं, यह पुलिस विभाग के साथ अन्याय है। अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि वे इस पर पुनर्विचार करें और यदि उनके इस उल्लेख को सदन की कार्यवाही से आप निकाल दें, तो पुलिस फोर्स के लिए यह एक सम्मानजनक बात होगी।
(व्यवधान)
    श्री गोपाल भार्गव : झाबुआ हो, चाहे बस्तर हो, सभी जगह नई सरकार आने के बाद पुलिस द्वारा यही व्यवहार नागरिकों के साथ चल रहा हैं।
    श्री दिग्विजय सिंह :  प्रश्न इस बात का आता है कि आखिर जिस व्यक्ति के बारे में यही तय नहीं हो पाया है कि उनकी मृत्यु किस कारण से हुई हैं। पुलिस की कस्टडी में हुई है या किसी और कारण से हुई है। मैं आपके माध्यम से और शासन की ओर से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यदि यह साबित होता है और पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में आती, है कि किशनलाल अग्रवाल की मृत्यु पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण की गई पिटाई के कारण हुई है, तो कानून में जो भी प्रावधान है, उनके अन्तर्गत सख्ती से कार्यवाही सम्बन्धित के ऊपर की जाएगी, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। (मेजों की थपथपाहट) मैं आपको यह भी विश्वास दिलाता हूं कि जिस परिवार के साथ यह घटना हुई है, मेरी सहानुभूमि उनके साथ है और मैं माननीय सदस्य आदरणीय बाबूलाल गौर को आश्वस्त करता हूं कि यदि यह साबित होता है कि कस्टडी में डेथ हुई है, तो शासन की जो प्रक्रिया है, ऐसे प्रकरणों में 25 हजार रूपए दिए जाते हैं, वे उन्हें दिए जाएंगे। (व्यवधान) 
    श्री विक्रम वर्मा : रिपोर्ट में नहीं आएगा, तो नहीं देंगे। यह संवेदनशीलता नहीं है। उन्होंने इसके साथ ‘‘यदि’’ लगा दिया। रिपोर्ट में आए तो दिया जाए, नहीं तो नहीं दिया जाए।
    श्री गोपाल भार्गव : इसमें कोई समय-सीमा होनी चाहिए, जो कि मुख्यमंत्रीजी ने नहीं बताई है।
    श्री विक्रम वर्मा : माननीय मुख्यमंत्री जी ने केवल एक बात किडनी के बारे में डिफेंस के हिसाव से बताई है। वह आदमी 22 तारीख को चलकर आपके एस. पी. के पास आता है और 24 तारीख को मर जाता है। किडनी डैमेज होने पर एक दिन पहले तक क्या वह आदमी चल फिर सकता था। केवल किडनी फैल्यअर नहीं हैं। उसके साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट की गई, करंट लगाया, इसके कारण मृत्यु हुई है। किडनी स्वैलिंग थी, यह डिफैंस स्टौरी बनान की बात आप कर रहे हैं। किडनी क्या एक दिन में फैल्युअर हो जाएगी और आदमी मर जाएगा। आपको स्वीकार करना पड़ेगा कि कस्टडी में की गई पिटाई के कारण उसकी मौत हुई है, वह उसका कारण है और इसलिए जो कार्यवाही होनी चाहिए, वह भी होनी चाहिए तथा रियायत और सहायता जो मिलनी चाहिए, वह भी मिलनी चाहिए।
(व्यवधान)
    श्री दिग्विजय सिंह :  पोस्ट मार्टम की इंट्रीम रिपोर्ट आई है, उसमें कार्डियक अरेस्ट कारण बताया है।
    अध्यक्ष महोदय  :  विक्रम वर्मा जी का सुझाव इंजूरी के बारे में है।
    श्री दिग्विजय सिंह :  जब तक सह साबित नहीं होता है कि जो किशनलाल अग्रवाल की मृत्यु हुई हैं, वह पुलिस की बर्बरतापूर्ण पिटाई के कारण हुई है, तब तक यह साबित नहीं होता है कि मृत्यु का कारण पिटाई है तो...........(व्यवधान)
    श्री बाबूलाल गौर :  धन्य हो महाराज अपने आप ही उसकी मृत्यु हो गई हो गई हो और मध्यप्रदेश की विधान सभा में आप यह बोल रहे हैं ?
(व्यवधान)
    श्री जालम सिंह पटेल : अध्यक्ष महोदय, जब सदन के नेता खड़े हों, तो बाबूलाल जी गौर जैसे वरिष्ठ सदस्य को खड़े नहीं होना चाहिए। (व्यवधान)
    अध्यक्ष महोदय  :  आप बोलने तो दीजिए।
    श्री कंकर मुंजारे  :  अपराधियों को सजा दिलाना चाहिए।
    श्री बाबूलाल गौर :  एक लाख रूपये राहत राशि दी जाये। (व्यवधान)
    श्री दिग्विजय सिंह :  अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात कह चुका हूं और ऐसा कोई कारण इसमें नहीं है, ऐसा कोई बिन्दु नहीं है, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित की जाये। अतः इसे अग्राह्य  किया जाये।
    अध्यक्ष महोदय  :  माननीय सदस्यों के विचार एवं शासन का वक्तव्य सुनने के पश्चात् मैं इसे प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देता। (मेजों की थपथपाहट)