दिनांक 05.04.1978
श्री दिग्विजय सिंह (राघोगढ़) :
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1978-79 का बजट मैंने देखा, उसमें न तो श्री जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति का आभास हुआ है और न ही जनता पार्टी के घोषणा पत्र का कहीं दर्शन हुआ है। यह बजट व्यापारियों के लिये है, और व्यापारी ने बताया है। इसमें जो ये बातें कहते हैं कि हम ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ ध्यान देंगे सर्वथा गलत है इसके लिये मैं आपके सामने तथ्य प्रस्तुत करता हूं। इस बजट में जो भी सुविधायें दी गई हैं, वे सब व्यापारियों को दी गई हैं ‘उद्योगपत्तियों को दी गई हैं। किसान का केवल चुनाव चिन्ह लेकर ये किसान के हितैषी बनते हैं, यह गलत है। सुविधायें देखिये। इन्होंने कन्ट्रोल पर बिकने वाले गेहूं पर बिक्री कर समाप्त किया है, यह स्वागत योग्य है, किन्तु व्यवहारिक नहीं हैं इसलिए कि यह सारा कन्ट्रोल का गेहूं शहरी क्षेत्र मे ही वितरित किया जाता है, गांवों में नहीं पहुच पाता। दूसरा फायदा इन्हें लघु उद्योगों को अंग्रेजी बन्धक करने के लिये मुद्रांक शुल्क में रियायत दी है। लेकिन साथ साथ काश्तकार को यदि ट्रेक्टर के लिये ऋण लेना पड़े तो उससे मुद्रांक शुल्क लिया जाता है। कोई भी अन्य राज्य में, उत्तर प्रदेश में हरियाणा में, ट्रैक्टर लेना हो तो उससे मुद्रांक शुल्क नहीं लिया जाता। माननीय सभापति जी मैं वित्त मन्त्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं इस बजट में ट्रेक्टर पर से मुद्रांक शुल्क नहीं लिया जाय। इसके बाद मैं, सभापति महोदय, उद्योगपतियों को ब्याज की राशि में अनुदान दिए जाने की घोषणा वित्त मन्त्री जी ने की है। इस तरह की घोषणा का कारण है कि प्रदेश में गरीब काश्तकार को ऋण दिया जाता है, तो उससे दूसरे वर्ष भी किसान ब्याज ले लिया जाता है, जबकि उद्योगपतियों को व्यापारियों को ब्याज की राशि के भुगतान के लिये अनुदान दिया जा रहा है। यदि एक वर्ष भी किसान ब्याज नहीं दे पाता, तो उससे दन्ड लिया जाता है। में माननीय भु-मन्त्री जी से निवेदन करूंगा कि उद्योगपतियों के साथ साथ इस कृषि प्रधान देश के लघु कृषकों को भी राहत देंगे। जितनी सुविधायें दी गई हैं आप देखेंगे कि ये सारी की सारी उद्योगपतियों को और बड़े व्यापारियों को दी गई है। अध्यक्ष महोदय, मैं जनता पार्टी का ध्यान जनता पार्टी के घोषणा पत्र की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। इन्होंने घोषणा पत्र में बताया था ढ़ाई हेक्टेयर भूमि लगान से माफ कर देंगे। आज एक साल हो गया है, जनता पार्टी पूरे देश में एक साल से कार्य कर रही है लेकिन उसने लगान माफ नहीं किया। कैसे ये किसानों के हितैषी कहलाना पसन्द करेंगे।
सभापति महोदय : जल्दी कीजिए आपका समय समाप्त हो रहा है।
श्री दिग्विजयसिंह : अध्यक्ष महोदय, आपने श्री कोचर और श्री तिवारी जी को 10-10 मिनिट का समय दिया है अध्यक्ष महोदय, वित्त मन्त्री जी का बजट उठाकर देखें तो उसके पृष्ठ 20 और पैरा 48 में वित्त मन्त्री जी ने संकेत दिया है कि आगे चलकर सिंचाई दरों में वृद्धि करेंगे। इसके साथ साथ फसल की बीमा का योजना का भी प्रावधान नहीं किया है। इस साल ओला वृष्टि के कारण पूरे प्रदेश में काफी नुकसान हुआ है। अध्यक्ष महोदय, जनता पार्टी कहती है कि हम गांव की तरफ ज्यादा विकास करेंगे। मैं आपके चालू वर्ष 1977-78 के अन्दर बार्षिक आयोजनों के चालू वर्ष में 80.05 प्रतिशत कृषि क्षेत्र में खर्च करने का प्रावधान किया था, लेकिन इस वर्ष घटाकर यह 75.05 प्रतिशत कर दिया गया है। मैं माननीय वित्त मन्त्री जी से कहूंगा कि वे इसको बढ़ायें या कम से कम 80.05 प्रतिशत रहने दें। अध्यक्ष महोदय, हमेशा जनता पार्टी के लोग मितव्ययिता की बात करते है। आप उनके इस बजट को उठाकर देखेंगे, तो मन्त्रिमण्डल के प्रत्येक मद में खर्च बढ़ा है। इस पर जहां पिछले वर्ष लाख 70 हजार था, वह बढ़कर 5 लाख 17 हजार हो गया है। सहकारी भत्ते 62 से 86 हजार कर दिए हैं। टेलीफोन का खर्च पिछले वर्ष 7 लाख था इस वर्ष 8 लाख 20 हजार कर दिया गया है। मन्त्रियों की गाड़ियों के पेट्रोल का खर्च 3 लाख 6 हजार से 4 लाख 18 हजार कर दिया है। बताइये, अध्यक्ष महोदय, क्या यह राशि कम हैं सभापति महोदय, अंग्रेजी में एक कहावत है, ‘प्रेक्टिस बिफोर यू प्रीच‘
अगर फिजूलखर्ची कम करना है, तो मन्त्रिमण्डल के खर्च कम करना चाहिए। हवाई जहाज और हेलीकोप्टर के खर्च तो अलग बात है सभापति महोदय, विकेन्द्रीकरण की बात सभी लोगों ने कही, है इसलिये में कहना पसन्द नहीं करता। और आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं जैसा कि सदस्य ने इस बारे में कहा है कि यह बजट केवल मन्त्रियों का बजट है। सिंचाई का विभाग मुख्यमन्त्री महोदय के पास है, सारी सिंचाई की योजनायें वे मन्दसौर क्षेत्र में चालू कर रहे हैं, जबकि गुना जिले में केवल 3 प्रतिशन सिंचाई क्षेत्र है और जिसमें रघौगढ़ में सिर्फ .05 प्रतिशत सिंचाई का क्षेत्र है। सिंचाई के लिये क्षेत्रों का सर्वेक्षण हो चुका है, लेकिन उसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
पुलिस के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि पुलिस प्रशासन के लिये कम से कम 50 नए थाने और डेढ़ सौ चौकियों का प्रावधान किया जाना चाहिये। हालांकि जनसंख्या के अनुपात से कम हैं, साथ ही साथ यह भी कहना चाहूंगा कि पुलिस की खराब व्यवस्था हर क्षेत्र में फैल रही है। मैं आपको उदाहरण देना चाहूंगा कि हमारे क्षेत्र के पास के थाना चिचौड़ा में एक आदिवासी महिला के साथ बलात्कार किया गया, मैं पुलिस की निर्ममता का उदाहरण दे रहा हूं उसके अन्दर जगन्नाथ सिंह सिपाही का नाम जो कि स्थानीय जनता पार्टी का अध्यक्ष है एफ. आई. आर. में था लेकिन पुलिस द्वारा उसका नाम काट दिया गया सिर्फ रामचरण को ही कोर्ट भेजा गया। इस तरह से सभापति महोदय जनता पार्टी के कार्य करता पुलिस प्रशासन पर दबाव डालते हैं, उनको काम नहीं करने देते।