Digvijaya Singh
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25 फरवरी 1994 गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बॉध की ऊॅचाई  के जलद्वार बंद कर दिये जाने से उत्पन्न स्थिति

25 फरवरी 1994 गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बॉध की ऊॅचाई  के जलद्वार बंद कर दिये जाने से उत्पन्न स्थिति

(58) दिनांक 25.फरवरी.1994


स्थगन प्रस्ताव चर्चा-गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बॉध की ऊॅचाई 
के जलद्वार बंद कर दिये जाने से उत्पन्न स्थिति।

......(व्यवधान)......

    श्री शैलेन्द्र प्रधान : अध्यक्ष महोदय, सामान्य श्रेणी के साथ अन्याय हुआ है।
 

    अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठ जाईये, बात आ चुकी है -
समय : 11.30 बजे
स्थगन प्रस्ताव
    गुजरात सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई के द्वार बंद कर दिये जाने से उत्पन्न स्थिति,


    अध्यक्ष महोदय : मेरे पास गुजराज सरकार द्वारा सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई के जल द्वार बंद कर दिये जाने से उत्पन्न स्थिति के संबंध मे स्थगन प्रस्ताव की पांच सूचनाये प्राप्त हुई हैं :-

पहली सूचना      -    श्री जनकलाल ठाकुर, श्री कंकर मुंजारे
दूसरी सूचना      -    श्री बच्चन नायक, श्री ओंकार सिंह
                            श्री  जैपाल सिंह, श्री डोमन सिंह नगपुरे
तीसरी सूचना     -    श्री प्रकाश सोनकर
चौथी सूचना       -    श्री रामलखन शर्मा
पांचवी सूचना     -    श्री बाबूलाल गौर, सदस्य की है-

    चूंकि श्री जनकलाल ठाकुर एवं श्री कंकर मुंजारे सदस्य की ओर से स्थगन प्रस्ताव की सूचना सबसे पहले प्राप्त हुई, अतः मैं उसे पढ़कर सुनाता हूं :- 

    ‘‘ गुजरात सरकार द्वारा 23 फरवरी, 1994 को अचानक सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई के जल द्वार बंद किये जाने से गंभीर स्थिति निर्मित हो गई है। जल द्वार बंद किये जाने का स्पष्ट अर्थ है स्थायी डूब और जल संग्रहण क्षेत्र में वृद्धि जिससे विस्थापन व अन्य कई समस्याएं जटिल हो गई हैं तथा आदिवासियों की विनाश लीला शुरू होने जा रही है। गुजरात सरकार की यह मनमानी कार्यवाही नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के पर्यावरण उप समूह के 4 जनवरी, 1994 के निर्देश का उल्लंघन एवं प्रधानमंत्री की 5 जनवरी, 1994 की घोषणा की अवहेलना है, जिसमें कहा गया था कि पर्यावरण संबंधी अध्ययन पूरे नहीं किये गये हैं, अतः जल द्वार बंद न किये जाये, ऐसे समय जबकि मध्यप्रदेश के सभी प्रमुख  राजनीतिक दलों ने सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई घटाए जो हेतु सर्वसम्मत पहल शुरू की है, गुजरात का उपरोक्त कदम मध्यप्रदेश के जन प्रतिनिधियों की भावनाओं पर कुठाराघात और जनता का अपमान है। गुजरात सरकार को मनमानी करने से तुरन्त न रोका गया तो प्रदेश की जनता में बढ़ते असंतोष और रोष को थामना जटिल होगा।’’
        इसके संबंध में शासन का क्या कहना है ?


    उप-मुख्यमंत्री नर्मदाघाटी विकास (श्री सुभाष यादव) : अध्यक्ष महोदय, सरदार सरोवर निर्माणाधीन कांक्रीट बांध, जिसकी कि ऊँचाई 138 मीटर होगी, अभी तक बांध का कार्य सबसे नीचे वाले खण्ड की ऊँचाई लगभग 69 मीटर तक पहुंचा है। बांध में 18 मीटर की ऊँचाई पर 10 निचले स्तर के जल द्वार निर्माण की सुविधा के लिये वनाए गये हैं, जिन्हें बांध की सुरक्षा और स्टिलिंग बेसिन ट्रीटमेंट के लिये बन्द किया जाना आवश्यक है। इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 23 फरवरी, 1994 को समस्त 10 द्वार लगभग 5 ........ बंद किये गये। गुजरात द्वारा यह कार्य भारत सरकार के जल संसाधन सचिव द्वारा अधिकृत करने के पश्चात् सम्पन्न किया गया है। इन द्वारों को बंद करने के फलस्वरूप गुजरात एवं महाराष्ट्र की कृषि भूमि एवं जनसंख्या प्रभावित होगी और मध्यप्रदेश की कृषि भूमि तथा जनसंख्या पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। महाराष्ट्र सरकार को इस संबंध में द्वार बंद करने के पूर्व सूचना दी गई थी।


    श्री जनकलाल ठाकुर (डोंडीलोहारा)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा कि मध्यप्रदेश पर असका असर नहीं पड़ेगा। यह बात नहीं है। सरदार सरोवर बांध को बनाने के लिये 4 प्रदेशों की एक कमेटी बनी थी, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश शामिल है। इस समिति के माध्यम से यह बांध बनाये जाने की कार्यवाही काफी लम्बे समय से चली आ रही है। यहां के जनसंगठन और उस क्षेत्र के लोग, बांध की ऊँचाई न बढ़ाई जाय इसलिये प्रयासरत है और इन्होंने लगातार अपनी बात सरकार के सामने रखी है। कई बार मध्यप्रदेश के मुख्यमत्री और हमारे देश के प्रधानमंत्रियों ने भी इस संबंध में बीच-बीच में अपनी बात रखी है। परन्तु आज गुजरात सरकार ने इस बांध की ऊँचाई बढ़ाने के लिये जो 18 मीटर ऊपर 4-4 स्लूस गेट बनाये है, उन गेट्स को बंद करने के कारण, मध्यप्रदेश की जनता और विशेष कर उस जंगल क्षेत्र के प्रभावित आदिवासी हरिजन और गरीब लोगों के साथ एक निंदनीय बात है। मैं मध्यप्रदेश सरकार से इस बात का निवेदन करता हूं, और माननीय मंत्री महोदय और उद्योग मंत्री महोदय ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि बस्तर के आदिवासी संस्कृति व सामाजिक व्यवस्था को बचाये रखने के लिये हमने डाईकेम कंपनी को स्वीकृति नहीं दी है। एक तरफ तो सरकार के प्रतिनिधि जब यहां बातें करते हैं तो आदिवासियों की संस्कृति की बाते करते हैं दूसरी तरफ सरदार सरोवर बांध में जो आदिवासी लोग डूब में आने वाले हैं क्या उन आदिवासियों की गिनती इस देश-प्रदेश के इंसानों में नहीं हैं यदि सरदार सरोवर बांध पूरी ऊँचाई से बनाया जाता है तो लगभग डेढ़ सौ ग्रामों के 3 लाख आदिवासी इसकी डूब में आ सकते है। जब भोपाल में गैस कांड हुआ तो उससे प्रभावित लोगों के मामलों का निराकरण आज तक नहीं हो सका। उसकी व्यवस्था आज तक नहीं हो पाई है।

    अध्यक्ष महोदय : केवल ग्राहयता पर संक्षिप्त में कहे।

    श्री जनकलाल ठाकुर : अध्यक्ष महोदय, मै उसी पर आ रहा हूं, भारत सरकार से गैस पीड़ितों के लिए इतने रूपये आने के बाद भी राशि नहीं मिल पाई है। सरदार सरोवर बांध की नाली को रोक कर बांध की ऊँचाई को आगे बढ़ाने के लिए जो नाली को रोका गया है तो वहां के निवासियों को कहां बसाया जाएगा ? जबकि इस बांध को बढ़ाने के लिए या उसके स्लूस गेट को बंद करने से पहले, एक साल पूर्व से व्यवस्थापन पूर्ण रूप से करना चाहिये था ताकि जो उनके ग्राम और भूमि है, पाठशालाएं है और जल-विद्युत आदि का समय पर बंदोबस्त हो सकें। मध्यप्रदेश सरकार ने उस क्षेत्र के एक गांव को भी बसाने के लिए पहले से व्यवस्था नहीं की है। इस हालत में उस क्षेत्र के आदिवासियों की क्या हालत होगी ? मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार उनके प्रति पूरी तरह से उदासीन है।

    अध्यक्ष महोदय : कृपया समाप्त करे, बैठ जाये।

    श्री जनकलाल ठाकुर : सीधे-सीधे वनों में रहने वाले उन आदिवासियों को उजाड़ने का  प्रयास किया जा रहा है। मैं आपका संरक्षण चाहता हूं। मध्यप्रदेश सरकार ने तीन दिन पूर्व ही बैठक बुलाकर कहा था कि बांध की ऊँचाई को कम करना हैं।
इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

     अध्यक्ष महोदय : मैं कह रहा हूं कि आप अब बैठ जाएं, क्या इसी तरीके से चलेगा ?

    श्री जनकलाल ठाकुर : ठीक हैं, मै बैठ जाता हूं।

    श्री कंकर मुंजारे (परसवाड़ा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव की ग्राह्यता पर चर्चा करने का काम आपने शुरू कराया हे, मैं आपको धन्यवाद देता हूं क्योंकि यह स्थगन प्रस्ताव पूरे प्रदेश की जनता के लिए महत्वपूर्ण है। एक तरफ तो मध्यप्रदेश की सरकार और सभी राजनैतिक दल अपनी पूरी ताकत से एक बैठक करके सर्वसम्मति से इस निर्णय पर पहुंचे है कि इस बांध की ऊँचाई को कम करना है सरदार सरोवर बांध की ऊँचाई को कम करने संबंधी इस घोषणा की, मध्यप्रदेश की भावना की गुजरात सरकार बिलकुल भी कद्र नहीं कर रही है और लगातार प्रदेश की जनता और जनप्रतिनिधियों का मजाक उड़ातेहुए कुठाराघात कर रही है। दादागिरी और मनमाने तरीके से मुख्यमंत्री जी को घोषणाओं की अवहेलना की गई और पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली की घोषणा की भी अवहेलना की गई है।

    अध्यक्ष महोदय : ‘‘दादागिरी’’ के स्थान पर कोई और शब्द कहें, यह ठीक नहीं है।

    श्री कंकर मुंजारे  : ठीक है, मनमाने तरीके से, अपनी मनमानरी से गुजरात सरकार मध्यप्रदेश को जनता को निरंतर अपमानित करने का काम कर रही है इसलिए इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य करना बहुत आवश्यक हैं चूंकि वहां के आदिवासियों के जनजीवन का सवाल है। नर्मदा नहीं मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है और इस पर यदि सरकार और हम लोगों ने चिन्ता नहीं की तो मध्यप्रदेश की जनता किसी को भी नहीं बख्शेगी। इस स्लूस गेट के बंद होने से जैसा कि फिलहाल मध्यप्रदेश में इसका कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, ऐसा माननीय उप-मुख्यमंत्री जी ने अभी कहा है, मुझे उन पर दया आती है। यादव जी पर मुझे रहम और तरस आत है।..(व्यवधान).. वे गुजरात सरकार के हाथों दब गये हैं ओर सबकी अनदेखी कर रहे हैं और कह रहे है कि कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है। वे लंबे चौड़े, डीलडौल के व्यक्ति है, सारी जनता आपके साथ है आप हिम्मत और ताकत से गुजरात सरकार को जवाब दें। उनकी मनमानी की कार्यवाही कों ताकत से दबायें और आगे बढ़े करीब 23 गांव इसकी डूब में आने वाले है। गुजरात सरकार की मंशा है गांव के आदिवासी लोगों, जानवरों पशु-पक्षियों को डुबाकर मार डाले, कोई उनको बचाने के लिए सामने नहीं आयेगा। 21 फरवरी को गुजरात सरकार ने यह मनमानी की हमारी सरकार सोती रहेगी तो कोई काम बनने वाला नहीं है। इसलिए इसकों आप ग्राह्य करें तो और भी ज्यादा तथ्य चर्चा में सामने आयेंगें। इसमें 150 गांवों के डूब का सवाल है पूरे प्रदेश का जनजीवन प्रभावित होगा।

    अध्यक्ष महोदय : अब आप समाप्त करें।

    श्री कंकर मुंजारे  : इस विषय पर ज्यादा सदस्यों को बोलने का अवसर देकर मेहरवानी करें, इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप ग्राह्य करें। सारे तथ्यों को हम आपके सामने लायेगें।

    अध्यक्ष महोदय : कृपया आप समाप्त करें, और भी सदस्यों को इस पर अपने विचार रखना है।
इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

    श्री कंकर मुंजारे : अध्यक्ष महोदय, उन गांवो के आदिवासियों ने तय कर लिया है कि जल द्वार बंद हो जाने के कारण से जल समाधि ले लेंगे।

    अध्यक्ष महोदय : अब नहीं लिखा जायेगा, यह तरीका ठीक नहीं है।

    श्री कंकर मुंजारे : (.........)

    अध्यक्ष महोदय : कृपया इस बात को सुनें कि कितने माननीय सदस्य बोलने वाले हैं और वह भी महत्वपूर्ण बात ही कहेंगे जैसे आप महत्वपूर्ण बात कह रहे हैं, कृपया उनको भी अवसर देने का कष्ट करें।

    श्री बच्चन नायक (बड़वारा) : अध्यक्ष महोदय, सरदार सरोवर के गेट बंद हो जाने से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा के लिए ग्राह्यता के प्रश्न पर सुनवाई का अवसर देकर आपने हम लोगों को समय दिया है उसके लिए हमस ब आपके आभारी है। एक तरफ इस मामले पर मध्यप्रदेश सरकार ऊँचाई कम करने के सवाल पर सभी राजनैतिक दलों से विचार विमर्श करके एक मतेन निर्णय से आगे की कार्यवाही करने का विचार कर रही थी दूसरी तरफ गुजरात की (.....) सरकार जो कि न्यायाधिकरण के फैसलों को नहीं मानती, अदालतों के फैसलों को नहीं मानती। प्रधानमंत्री जी को गलत जानकारी देकर गुमराह कर निरंतर बांध की ऊँचाई बढ़ा रही है और ऐसे समय जबकि मध्यप्रदेश सरकार वार्ता से समस्या को हल करना चाहती थी ऐसे समय पर अचानक गेट बंद करकेउनकी नियत भी उन्होंने काफी स्पष्ट कर दी हैं कि बरसात के पहले उसकी ऊँचाई को और निरंतर बढ़वायेंगे। इस तरह से समय रहते यदि हम लोगों ने विस्तृत चर्चा सदन में करके इस पर कोई रूख अख्तियार नहीं किया, कोई रास्ता तय नहीं किया तो निश्चित तौर पर लाखों किसान, उनकी उपजाऊ जमीन, सारी स्थिति पेरे प्रदेश में गड़बड़ा जायेगी। इस संबंध में मरा निवेदन है कि ग्राह्यता के सवाल पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए जब तक गुजरात सरकार विस्थापितों को मकान की व्यवस्था, उनकी जमीनों की व्यवस्था न कर दे, उनके मुआवजे की व्यवस्था न कर दें, अन्य प्रकार की तमाम व्यवस्थाये न कर दे तब तक गेट बंद करने की अनुमति न दी जाये, मंत्री जी ने बताया कि आज मध्यप्रदेश की जमीन नहीं डूब रही है लेकिन क्या निरंतर ऊँचाई बढ़ाने से मध्यप्रदेश की जमीन, उससे डूब क्षेत्र के प्रभावित लोग है वे प्रभावित नहीं होंगे ? यदि होंगे तो ग्राह्य करें और इस पर खुली चर्चा करने की अनुमति प्रदान करें। चर्चा के लिए जो समय दिया उसके लिए मैं आभारी हूं।

    श्री रामलखन शर्मा (सिरमौर)  :  अध्यक्ष महोदय, आज नर्मदा किनारे के रहवासियों के जीवन और मरण का प्रश्न खड़ा हुआ है। मैं इस बात से इन्कार नहीं करता कि सरदार सरोवर न बने लेकिन आज जो उसकी शर्ते हैं, जो आज उसकी आवश्यकतायें है जो जरूरी है बनने के पहले, गेट बंद होने के पहले उन शर्तो का, गरीबों के हितों का उल्लंघन हुआ है। माननीय मंत्री जी ने कहा है कि एक भी गांव डूब में नहीं आएगा। 18 मीटर की ऊँचाई उस बांध बढ़ाने से 5 गांव डूब में आ जाएंगे। अलीराजपुर तहसील के आंगनवाड़ा, झण्डाना सहित 5 गांव 2 ही दिन में पानी आने से डूब में आ जाएंगे। दूसरे उस बांध में जो काम होने वाला है तो क्या नर्मदा की घाटी पर कुछ योजनाएं हैं - नमदासागर, ओंकारेश्वर, महेश्वर इन बांधों का काम बंद हो जाएगा। जो स्वीकृत योजनाएं हैं, जिनमें कि मध्यप्रदेश की फायदा होने वाला  है और उस बांध के स्लूस गेट बंद होने के बाद मध्यप्रदेश में जो 5-6 क्यूसिक मीटर पानी, इससे हमे लेने का अधिकार है, जिनमें 
(.......) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया    (......) विलोपित
    इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।
उद्वहन सिंचाई योजनाओं के जरिए काम कर सकते थे, वे काम भी हम नहीं कर सकेंगे, क्योकि गुजरात सरकार यह कहेगी कि आपने पहले इसका उपयोग क्यों नहीं किया, यह तो हमारा बांध हैं। मध्यप्रदेश की जो 3 योजनाएं है, वे डूब में आ जाएंगी, उनका निर्माण कार्य भी नहीं हो सकेगा, इसलिए यह समस्या खड़ी होगी। अतः इस स्थगन को आप ग्राह्य करें, जो उत्तर दिया गया है कि कोई भी गांव डूब में नहीं आएंगे, मैं कहता हूं कि 7 हजार एकड़ जमीन डूब में आ जाएंगी ओर उन गांवों के एक भी आदिवासी की बसाहट का क्या इंतजाम किया है, यह आपने नहीं बताया हैं। कहीं इंतजाम नहीं है, पुनर्वास की व्यवस्था नहीं है, करोड़ों रूपये के वन लगे हैं, उनको कटना चाहिए, वे डूब में आ जाएंगे और इस तरह से मध्यप्रदेश के हितों का भारी नुकसान और नर्मदा घाटी पर बनने वाले 3-4 बांध जो कि स्वीकृत हैं का हमेशा-हमेशा के लिए पटाक्षेप हो जाएगा। जो मालवा की धरती सोना उगलती थी, अब वैसा नहीं हो पाएगा, इसलिए इसको ग्राह्य कीजिए। मध्यप्रदेश की सारी सिंचाई योजनाएं समाप्त होगी, आदिवासी , पिछड़े और किसान उजड़ जाएंगे, पहले उनके बसाहट का इंतजाम कीजिए, मंत्री जो यह बताएं, आप इसे ग्राह्य करें तो और भी तथ्य, कुकृत्य उजागर होंगे, गुजरात सरकार की साक्षागिरी के ये गुजरात सरकार का कितना मनोबल बढ़ा रहे हैं। अभी हमारे चुनाव होने वाले है, अभी हमारे चुनाव होने वाले है, 2 महीने और 4 महीने से आप चुनाव लड़ो, मध्यप्रदेश को बेच दो और इसलिए अध्यक्ष महोदय इस स्थगत पर और भी तथ्य आने के लिए आप इसको ग्राह्य करें तो बड़ी कृपा होगी। मध्यप्रदेश की नई सरकार किसानों का कोई संरक्षण नहीं कर रही है, पर कम से कम आप तो कीजिए।

    श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही लोक महत्व का प्रश्न है। नर्मदा, हमारे प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है और सरदार सरोवर बांध, जिसके लिए अनेक सालों से हमारे प्रदेश के समाज सेवी, नेता और बाहर के नेता भी हैं, बाबा आमटे ये हमेशा आंदोलन इसलिए करते रहे है कि झाबुआ, निमाड़, अलीराजपुर के ग्रामीणों की। उनके पुनर्वास का व्यवथापन गुजरात सरकार नहीं कर देती, मुआवजा नहीं दे देती, तब तक किसी भी डूब क्षेत्र के अन्दर जल का द्वार बंद नहीं किया जाएगा। यह स्पष्ट हो गया है कि इसको बंद कर दिया है, डेढ़ सौ गांवों के 3 लाख व्यक्तियों के किसानों की पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं है, उनको कोई मुआवजा गुजरात सरकार ने नहीं दिया है। क्या मध्यप्रदेश की सरकार जो गुजरात में भी कांग्रेस की सरकार है, उसके सामने झुक गई हैं ? क्या उसके सामने समर्पण कर दिया है ? और मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा नहीं की जाएंगी। ये कांतिलालजी भूरिया झाबुआ के हमारे मंत्री है। हमारे आदिवासी बेघरवार हो जाएंगे, उनकी जमीने डूब में आ जाएंगी, खेत डूब में आ जाएंगे तो उनके लिए आप क्या करने वाले हैं? माननीय मंत्री जी का उत्तर संतोषजनक नहीं हैं। क्या आप गुजराज सरकार से अपील करेंगे, उनसे मांग करेंगे कि जो द्वार बंद किए हैं, उसको खोला जाए, बंद करने की व्यवस्था के खिलाफ प्रोटेस्ट जाहिर करेंगे अगर मध्यप्रदेश के अन्दर कोई ऐसा संकल्प लाएंगे, मुख्यमंत्री जी ने जो बैठक बुलाई थी वह 6 घण्टे तक चली थी और उसका निष्कर्ष यही था कि हम पूरी ताकत के साथ मध्यप्रदेश के नर्मदा के किनारे बसे हुए जो गांव हैं, उनके हितों की रक्षा करेंगे। लेकिन उन गरीब आदिवासी लोगों के हितों की रक्षा नहीं हो रही है, आदिवासी उप मुख्यमंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं, आप सब लोग क्या करते वाले हैं ? सदन यह जानना चाहता है, इसलिए इसको ग्राह्य किया जाए। यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, मेरा अनुरोध है कि इसको स्वीकार किया जाएं।

    श्री कांतिलाल भूरिया : तीन साल तक तो आपने आदिवासी, हरिजनों की कोई चिन्ता नहीं की ? अब आप आंसू बहा रहे हैं। हमारी सरकार और हमारे मुख्यमंत्री जी इस बात को प्राथमिकता के साथ देख रहे हैं, आप क्यों चिन्ता कर रहे हैं।

    श्री बाबूलाल गौर : आपकी सरकार के आत ही जलद्वार बंद हो गए।

    श्री विक्रम वर्मा  :  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वास्तव में बहुत ही संवेदनशील प्रश्न है, क्योंकि इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहल की और सभी राजनीतिक दलों के लोगों ने उनको पूर्ण अधिकार दिया। सारा सदन उनके साथ हैं ऊँचाई घटाने के प्रश्न पर उन्होंने पहल की कि हम फिर से इसको रि-ओपन करेंगे, अब चूंकि उसमें लम्बा समय लग सकता है और यह तात्कालिक समस्या आ गई है। दिल्ली में माननीय प्रधानमंत्री जी की अध्यक्षता में जो बैठक हुई थी, उसमें करीब 81 मीटर रखने की बात की थी, लेकिन बाद में 86 मीटर का निर्णय हो कर इस वर्ष गेट बंद होने से मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के कुछ गांव डूब में आ रहे है। इस विधान सभा में पिछली सरकार ने बार-बार दृढ़ता के साथ इस बात को दोहराया हैं, चाहे वह कांग्रेस की सरकार रही हो या भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही हों, यह बात इस सदन में दृढ़ता के साथ आयी है कि जब तक व्यवस्थापन और सारी शर्तो का पालन नहीं होता है हम एक बूंद पानी भी बांध में नहीं भरने देंगे। लेकिन स्थिति यह बनी है कि इस वष लगभग 86-87 मीटर पर गेट बंद होने से पानी भर जाएंगा। इस मामले में गुजरात से कहने से कुछ नहीं होगा, केन्द्र को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री जी को दृढ़ता के साथ केन्द में अपना पक्ष रखना पड़ेगा, तब जाकर इस समस्या का निराकरण होने वाला है। माननीय मुख्यमंत्री जी इसी संबंध में एक वक्तव्य सदन में देने वाले थे, ऐसा उनकी भावना से लगा था। अगर वे इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करेंगे तो यह जो भ्रम का वातावरण पैदा हुआ है, वह दूर होगा। इस संबंध में केन्द्र पर दृढ़तापूर्वक दबाव डालने की आवश्यकता है। इस सदन से यदि किसी प्रकार का प्रस्ताव पारित कराने की आवश्यकता है तो सर्वसम्मति से हम माननीय मुख्यमंत्री जी को अधिकार देकर प्रस्ताव पारित करने को तैयार है और सभी दलों के लोगों को प्रधानमंत्री जी से, केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री जी से मिलने के लिए समय दिलाएं तो हम उसमें भी साथ चलने के लिए तैयार है। लेकिन इसका निराकरण जरूर होना चाहिए, अन्यथा स्थिति गंभीर हो जाएगी।

    श्री रामचन्द्र सिंहदेव (बैकुण्ठपुर)  :  अध्यक्ष महोदय, बड़ी गम्भीर बात है, स्लूस गेट बंद हो गए, इससे निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के पांच गांव डूबेंगे और उनके सेटलमेन्ट का कोई इन्तजाम नहीं हुआ है। जब परमीशन दी गई थी, उस वक्त यह कहा गया था कि पर्यावरण और पुनर्वास की व्यवस्था के बिना कोई काम आगे नहीं होगा। इसका पूर्ण रूप से उल्लंघन हुआ है और गुजरात सरकार ने हमको कमजोर समझ कर यह कार्य किया। जैसा कि विपक्ष के नेता ने कहा, हम सबको एक जुट होकर दिल्ली जाकर इसका विरोध करना चाहिए और कोशिश करें कि यह जो स्लूस गेट बंद हो गए हैं इनको खोला जाए।

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, मै विपक्ष के नेता का आभारी हूं कि एक मत से उन्होंने मुझे इस विषय में अधिकृत किया है। मैं इस सदन के माध्यम से इस प्रदेश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के जितने भी लोग हैं, जिनकी भूमि या सम्पत्ति सरदार सरोवर से डूब में आएगी उनके विस्थापन करने और संरक्षण की व्यवस्था करने की जबावदारी सरकार की है और यह जबावदारी हम स्वीकार करते हैं। जहां तक स्लूस गेट का प्रश्न है तो नर्मदा कन्ट्रोल अथॉरिटी की बैठक इन्हीं बिन्दुओं पर हुई थी कि स्लूम गेट को बंद करने के लिए इजाजत दी जाय या नहीं दी जाय। इसमें मुझे अवगत कराया गया है कि गुजरात और महाराष्ट्र की जमीन स्लूम गेट बंद करने से प्रभावित होगी परन्तु मध्यप्रदेश की भूमि प्रभावित नहीं होगी। इसलिए हमकों इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी। अतः विभाग द्वारा दो स्लूस गेट बंद करने का निर्णय लिया गया है। इन वर्षा काल में हाई फ्लड की स्थिति में दो गांव पूर्णतः और 13 गांव आंशिक रूप से डूब में आएंगे उनके पुनर्वास की नीति शासन ने बनायी हैं। मैं माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री सुभाष यादव जी से अनुरोध करूंगा कि वे हफ्ते 10 दिन के अंदर वास्तविकता का पता लगाएं और लोगों से चर्चा कर उनकी समस्या का निदान करें। जिससे वर्षा के पूर्व ही उनके पुनर्वास की व्यवस्था हो। इसलिए हर प्रकार के हर बिन्दू पर शासन सजग है और विस्थापितों के पुनर्वास की पूरी व्यवस्था की जाएगी।.........(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : मैने माननीय सदस्यों और माननीय मुख्यमंत्री जी के विचार सुनने के बाद इसको ग्राह्य करने की अनुमति नहीं दी हैं, मेरी बिना अनुमति के जो बोल रहे हैं रिकार्ड नहीं किया जायेगा।

    श्री रामलखन शर्मा  :  (..........) 

    श्री कंकर मुंजारे    :  (..........)

    श्री बच्चन नायक   :  (..........)

समय 11-57 बजे             बहिर्गमन 

    सरदार सरोवर बांध के जलद्वार बंद किए जाने से उत्पन्न स्थिति के विरोध में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी, क्रांतिकारी समाजवादी मंच तथा जनता दल के सदस्यों द्वारा बहिर्गमन।