Digvijaya Singh
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31 अगस्त 1981 झाबुआ जिले में कामलिया नामक कीड़े का प्रकोप

31 अगस्त 1981 झाबुआ जिले में कामलिया नामक कीड़े का प्रकोप

दिनांक 31.08.1981


झाबुआ जिले में कामलिया नामक कीड़े का प्रकोप


    कृषि मन्त्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इस क्षेत्र में कामलिया कीड़ा हर वर्ष लगता है। उसकी पूरी जानकारी विभाग को थी, उसकी इंटोन्सटी आंकने के लिए मैं उसका थोड़ा सा बेकग्राउण्ड बताना चाहता हूं कि कमलिया कीड़ा क्या है ?

    श्री विक्रम वर्मा : आप तो हनुमान चालीसा का पाठ करवा दीजिये कीड़ा मर जायेगा।

    श्री दिग्विजय सिंह : यह जमीन के अन्दर रह जाता है और पहली वर्षा के बाद वह तितली के रूप में निकलता है यह पहली वर्षा के बाद 3 दिन के अन्दर अण्डे देता है उसके तीन दिन पश्चात कीड़ा निकल आता है। यह कीड़ा 25 दिन तक जीवित रहता है और इस बीच में यह फसल को नुकसान पहुंचता हैं।

    श्री शीतला सहाय : ये आपने किस किताब में से पढ़ा है, उसका नाम बता दीजिये।

    श्री दिग्विजय सिंह : इसकी बहुत सी किताबें हैं। माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बता रहा था कि कामलिया कीड़ा....

    अध्यक्ष महोदय : शीतला सहाय जी, आप मन्त्री जी के किताब पढ़ने पर डाउट कर रहे हैं या अपने ज्ञान पर डाउट कर रहे हैं।
माननीय सदस्य ने इस भाषण को नहीं सुधारा।

    श्री शीतला सहाय : अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जो बयान दे रहे हैं वह उस किताब में हूबहू लिखा होगा वे तो ऐसे छात्र रहे हैं कि जब इम्तहान देने के लिए जाया करते थे तो पूरे तेज के पेज रखकर जाया करते थे।

    अध्यक्ष महोदय : किताब हुबहु रिप्रोड्यूस कर रहे हैं तो इस पर तो आपको उन्हें बधाई देना चाहिये।

    श्री शीतला सहाय : अध्यक्ष महोदय, मैं तो आपकी बात हमेशा मानता आया हूं इसलिए मैं मंत्रीजी को बधाई देता हूं।

    श्री दिग्विजय सिंह : शीतला सहाय जी को धन्यवाद। अध्यक्ष महोदय, मैं बता रहा था कि हमारा विभाग पूर्ण रूप से सम्पर्क में था। लाइटक्रेप से विभिन्न क्षेत्रों में सर्वेक्षण कराया था उससें जानकारी मिली थी उसके लिए शासन ने 2 लाख रूपये की सबसीडी मई के महीने में स्वीकृत करके पहुंचा दी थी ताकि किसानों को पैसे के अभाव में दवा छिड़कने में दिक्कत न आए। उसके पश्चात हम लोगों ने 150 टन दवा की व्यवस्था की। पिछले साल 60 टन का छिड़काव हुआ था।

    श्री विक्रम वर्मा : जो पूरक प्रश्न पूछा है उसका जवाब दें।

    अध्यक्ष महोदय : आपका प्रयास यह है कि जवाब ओर हो जाय और आपको फिर से सप्लीमेंटरी का अवसर मिले।

    श्री दिग्विजय सिंह : इनका स्पष्ट आरोप था कि विभाग तैयार नही था इसलिए विलंब हुआ।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न था जैसा कि आपने अभी बताया कि 25 दिन यह कीड़ा रहता है। मंत्रीजी का उत्तर था कि 5 जुलाई को पहली सूचना मिली। 15 जुलाई को राज्य शासन ने कृषि अधिकारियों डिप्टी डायरेक्टर बगैरा को लिखा तब 29 जुलाई को जाकर जिला संक्रामक घोषित किया गया तथा उसमें छिड़काव हुआ 24 दिन बाद। 25 दिन में वह कीड़ा अपने आप ही मर जायेगा फिर छिड़काव की क्या आवश्यकता थी ?

    श्रीमती जया बैन : अध्यक्ष महोदय, मेरा एक औचित्य का प्रश्न है।

    अध्यक्ष महोदय : औचित्य किस बात का हैं ?

    श्रीमती जया बैन : अध्यक्ष महोदय, आप जो कह रहे हैं कि मंत्री महोदय पूरी तरह सजग हैं। वह तो सजग हैं, परन्तु उनका विभाग नहीं है। कृषि विभाग बिल्कुल सोया हुआ था, जब हमने जगाया तब जागे थे।
(विरोधी पक्ष की ओर से शेम-शेम की आवाज)

    अध्यक्ष महोदय : आपके सवाल से ऐसा लगता था कि आप मन्त्री महोदय का फेवर कर रही हैं, पर आप दण्डित भी कर रही हैं। 

    श्री दिग्विजय सिंह : मन्त्री विभाग से अलग नहीं हो सकता। यदि विभाग सोया हुआ था तो मंत्री भी सोया था। उनकी भी अपनी कठिनाइयां हैं।

    अध्यक्ष महोदय : मैं आपसे निवेदन कर रहा था कि संक्रामक क्षेत्र घोषत करना....

    एक माननीय सदस्य : अध्यक्ष महोदय, पांइट आफ आर्डर। अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर यह है कि ...

    अध्यक्ष महोदय : आप मेरी अनुमति से पहले शुरू हो गये। आपका पाइंट आफ आर्डर किस नियम के संबंध में है।

    एक माननीय सदस्य : झाबुआ जिले के सम्बन्ध में।

    अध्यक्ष महोदय : झाबुआ जिले पर कोई पाइंट आफ आर्डर .......

    श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, संक्रामक रोग घोषित करना एक अलग बात है तथा दवाई उपलब्ध करवा कर छिड़काव करना दूसरी बात है। दोनों एक ही बात से जुड़े हुए हैं। जहां संक्रामक रोग घोषित किया जाता है वहां शासन 50 प्रतिशत सब-सीडी देता है तथा इसमें कई प्रावधान हैं, वे उसके बाद लागू किए जाते हैं जबकि संक्रामक क्षेत्र घोषित कर दिया जाये। मैं माननीय सदस्य से कहना चाहता हूं कि इससे वहां पर छिड़काव कार्य में कोई विलम्ब नहीं हुआ है। दवाई मौके पर उपलब्ध थी। सबसीडी वहां पर उपलब्ध करा दी गई थी। सहकारी बैंकों, कामर्शियल बैंकों को यह निर्देश दिये जा चुके थे। इस साल काफी मात्रा में कीड़े लगने की आशंका है।

    अध्यक्ष महोदय : आपका सवाल है कि आपने संक्रामक क्षेत्र घोषित करने में इतनी देरी क्यों लगाई ?

    श्री दिग्विजय सिंह : संक्रामक क्षेत्र घोषित करने के लिए 10 तारीख को डी॰ डी॰ ए॰, झाबुआ ने कलेक्टर को लिखा। 15 तारीख को कलेक्टर महोदय ने वहां से हमारे पास जानकारी भेजी। इसमें 6 दिन लग गए। 21 तारीख को यह सूचना मध्यप्रदेश शासन भोपाल को मिली। हमने कलेक्टर को हिदायत दी कि आगे से संक्रामक रोग जहां और जब भी लगे, उसकी सूचना रेगुलर डाक (पोस्ट) से नहीं भेजी जाये। इसकी सूचना तत्काल स्पेशल मेसेंजर से भेजना चाहिए। जो विलम्ब हुआ वह डाक के कारण हुआ।

    अध्यक्ष महोदय : ऐसी सूचना वायर लेस से नहीं दी जा सकती ?

    श्री दिग्विजय सिंह : दी जा सकती थी।
    इस संबंध में एक प्रारूप तैयार किया जाता है। यह एक विधिक प्रक्रिया है। उसके बिना नोटीफिकेशन इशु नहीं किया जा सकता। लेकिन मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि संक्रामक क्षेत्र घोषित करने में हुई देरी के कारण पेस्टीसाइज्ड स्प्रेइंग आपरेशन में किसी प्रकार की देरी नहीं हुई है। समय पर दवाई उपलब्ध करवायी गई, सबसीडी उपलब्ध कराई गई तथा ऋण उपलब्ध करवाया गया।

    अध्यक्ष महोदय : उनका प्रश्न बिल्कुल स्पष्ट है कि संक्रामक क्षेत्र घोषित करने में विलम्ब क्यों हुआ। कलेक्टर से सूचना आने में 6 दिन डाक में लग गए। इस तरह से जो विलम्ब हुआ उसके लिए किसी को दण्डित किया ?

    श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, वही आपको समझा रहा हूं।

    श्री शीतला सहाय : अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर है। मंत्री महोदय अभी हमको समझा रहे थे, अब आपको समझा रहे हैं, पर खुद समझने को कोशिश नहीं कर रहे हैं।

    अध्यक्ष महोदय : शब्दों का उपयोग ऐसा करना चाहिए कि निवेदन यह कर रहा था।

    श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, शब्द का उपयोग कर लिया मैं निवेदन कर रहा हूं, मैं स्पष्ट कर रहा हूं संक्रामक क्षेत्र घोषित करने से तथा फील्ड में दवा छिड़काव करने से इसका कोई कनेक्शन नहीं है।
    उसका जो असर पड़ता है, जिस दिन से कामलिया कीड़ा लगने की जानकारी मिली, उसी दिन से छिड़काव (स्प्रेयिंग आपरेशन) जारी था। मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि संक्रामक क्षेत्र घोषित करने की वजह से वास्तविक आपरेशन में कोई देरी नहीं हुई।

    श्री विक्रम वर्मा : सूचना मिलने के कितने दिन बाद छिड़काव जारी कर दिया गया था ? मुझे ऐसा लगता है कि जब से माननीय दिग्विजय सिंह आये हैं तब से अनुसंधान ज्यादा होगा, प्रेक्टिकल कार्य नहीं होगा। जिस दिन सूचना मिली, उसके कितने दिन बाद छिड़काव शुरू किया ?

    श्री दिग्विजय सिंह : तत्काल।

    अध्यक्ष महोदय : कितने दिन बाद छिड़काव शुरू हुआ ?

    श्री दिग्विजय सिंह : 5-7 जुलाई से सूचना आने लगी, उसके बाद ही छिड़काव शुरू हो गया।

    श्रीमती जयाबेन : अध्यक्ष महोदय, हर साल कीड़े लगते है इसलिए हर साल काश्तकारों को पहले से दवाइयां दे देनी चाहिए और उस दवाई का पैसा शासन बिल्कुल फ्री कर दे। इतना ही कहना है मेरा मन्त्रीजी से।

    डा. गोरीशंकर शेजवार : कितना एकड़ क्षेत्र कीड़े लगने से प्रभावित हुआ और कितनी दवाई उपलब्ध कराई गई। और क्या वह दवा उतने एकड़ के लिए पर्याप्त थी ?

    श्री दिग्विजय सिंह : कामलिया कीड़े से प्रभावित कुछ क्षेत्र 29,200 हैक्टर है। उपलब्ध कराई गई औषधि इस प्रकार है :- पिछले वर्ष का स्टाक 216 कि्ंवटल, 6 जुलाई तक प्रदाय 600 कि्ंवटल, माह जुलाई में शेष प्रदाय 900 कि्ंवटल, अतिरिक्त मांग की पूर्ति माह अगस्त में 200 कि्ंवटल, कुल 1916 कि्ंवटल।

    श्री अच्युतानन्द मिश्र : जब यह संक्रामक बीमारी फैली, आपके विभाग को जानकारी मिल चुकी तब आपने बीमारी का मुकाबला करने के लिए हवाई छिड़काव का प्रबन्ध क्यों नहीं किया ?

    श्री दिग्विजय सिंह : हवाई छिड़काव का प्रबन्ध उन्ही जगहों में किया जाता हैं जब प्रभावित क्षेत्र 50 हजार हैक्टर या 1 लाख हैक्टर या उससे अधिक हो। दूसरे बरसात के दिनों में छिड़काव करा दिया, दूसरे दिन वर्षा हो गई तो सारी दवा खतम हो जाती है इसलिये जब वर्षा प्रारम्भ होती है या जब वर्षा की आशंका रहती है, उन दिनों हवाई छिड़काव नहीं कराया जाता है।