मध्यप्रदेश मे काँग्रेस सरकार के शिक्षा सुधार के कार्यक्रमों से साक्षरता दर मे 20 प्रतिशत की हुई रिकॉर्ड वृद्धि
मध्यप्रदेश मे काँग्रेस सरकार के शिक्षा सुधार के कार्यक्रमों से साक्षरता दर मे 20 प्रतिशत की हुई रिकॉर्ड वृद्धि
शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की उपलब्धि -
मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने पूरे देश में एक प्रगतिशील प्रांत के रूप में अपनी पहचान स्थापित की। शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने पहली बार एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए अपनी साक्षरता दर में 20 प्रतिशत की वृद्धि की। मध्यप्रदेश साक्षरता के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उड़ीसा और आंध्र प्रदेश से आगे निकल गया।
21वीं सदी की पहली जनगणना के नतीजों में यह रेखांकित हुआ कि 1991 में प्रदेश की साक्षरता दर 44 प्रतिशत थी जो 2001 में बढ़कर 64.11 प्रतिशत हो गई। पहली बार महिला और पुरूष साक्षरता दर में अतंर कम हुआ और मध्यप्रदेश को भारत सरकार ने महिला साक्षरता का दशकीय उपलब्धि पुरूस्कार दिया। मध्यप्रदेश में महिला साक्षरता वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत दर से अधिक रही। राष्ट्रीय औसत वृद्धि दर 14.87 प्रतिशत थी, वहीं मध्यप्रदेश में महिला साक्षरता दर 20.93 रही । सन् 2001 की जनगणना के अनुसार प्रदेश के 21 जिलों की साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। 24 जिलों में पुरूष साक्षरता राष्ट्रीय औसत से अधिक है और 16 जिलों में महिला साक्षरता दर राष्ट्रीय औसत सेअधिकहै।
राजीव गांधी शिक्षा मिशन, पढ़ना-बढ़ना आंदोलन और शिक्षा गारंटी योजना के माध्यम से प्रदेश में शिक्षा के लोकव्यापीकरण का ही परिणाम है कि आज प्रदेश के हर एक किलो मीटर पर एक प्राथमिक शाला है। इस तरह की 26,331 प्राथमिक शालाएं शिक्षा गारंटी योजना के तहत संचालित हैं। इसमें से 23 हजार शालाओं के भवन बन चुके हैं। अब हर तीन किलो मीटर पर 7,575 माध्यमिक शालाएं खोली जा रही हैं। लगभग सवा दो लाख पढ़ना-बढ़ना समितियों के माध्यम से एक साल में 30 लाख लोगों को साक्षर बनाया गया।
निरक्षरों को साक्षर बनाने के लिए पढ़ना-बढ़ना आंदोलन के तहत जो अभियान चलाया गया उससे प्रदेश साक्षरता के क्षेत्र में बेहतर परिणामों के साथ सामने आया है। अब इसी योजना के माध्यम से प्रदेश में महिला साक्षरता को राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम किया जा रहा है। महिलाओं की 1,61,000 पढ़ना-बढ़ना समितियां गठित की गई हैं।
सबको शिक्षा उपलब्ध कराने के साथ ही प्रदेश की भावी पीढ़ी को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने ठोस पहल कर प्रदेश के प्रत्येक जिले में उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना की जिनमेंप्रवेशऔर शिक्षण की उत्कृष्ट व्यवस्था है। वर्तमान में प्रदेश में 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएँ उत्कृष्ट विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
बच्चों को अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा देने के लिए परिवार को भी जबावदेह बनाने के लिए जनशिक्षा अधिनियम लागू किया गया। प्रथम चरण में जनशिक्षा अधिनियम के तहत 12 जिले लिऐ गये हैं, जिसमें सर्वशिक्षा अभियान शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह द्वारा मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में किये गये प्रयासों को न केवल सन् 2001 की जनगणना में स्वीकार किया गया बल्कि शिक्षा गारंटी योजना को नवाचार का अंतर्राष्ट्रीय कॉमन वेल्थ पुरूस्कार से सम्मानित किया गया है।