Digvijaya Singh
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मध्यप्रदेश में जल संरक्षण हेतु किए गए अभूतपूर्व कार्य

 

विश्व विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त जलपुरुष श्री राजेंद्र सिंह जी के जल संरक्षण हेतु मध्यप्रदेश में किये गए अभूतपूर्व प्रयास विश्व के लिए एक नजीर हैं। ये मेरा सौभाग्य व इनकी उदारता है कि ये अपने भागीरथ प्रयासों में मेरी भूमिका को उपयोगी समझते हैं। हम सदैव ऐसे जनोपयोगी सामुदायिक कार्यों में हर सम्भव सहयोग करने हेतु तत्पर हैं: दिग्विजय सिंह

राजीव गांधी जलग्रहण मिशन

जलग्रहण प्रबंधन मिशन ने जनआधारित जलग्रहण विकास का मॉडल अपनाया। इसमें गांव स्तरीय वाटरशेड समिति को क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गयी। वर्तमान में प्रदेश के 7879 गांवों में 35 लाख हैक्टेयर से अधिक रकबे में जलग्रहण विकास गतिविधियां चलायी जा रही हैं। अभी तक 17 लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में काम पूरे किए जा चुके हैं। इनके फलस्वरूप मिशन के कार्यक्षेत्र में पड़त जमीन में 34 फीसदी की कमी आयी है, जबकि 59 प्रतिशत सिंचित रकबा बढ़ा है। मिशन के कार्यक्षेत्र के 5634 गांवों में भूजल स्तर में सुधार हुआ है। मध्यप्रदेश का जलग्रहण प्रबंधन मिशन मॉडल आन्ध्रप्रदेश, उड़ीसा और राजस्थान में भी अपनाया गया है।

जलग्रहण प्रबंधन मिशन के अंतर्गत गांवों में 45 हजार से अधिक उपयोगकर्ता समूह और 14 हजार स्व-सहायता समूह अस्तित्व में आये हैं। स्वसहायता समूहों को साढ़े सात करोड़ रूपये की सहायता विभिन्न रोजगारमूलक कार्यों के लिये दी गयी है। महिलाओं की बचत और साख समितियां भी मिशन के कार्यक्षेत्र में संगठित हुयी हैं। ऐसी करीब सात हजार 550 समितियों ने सवा तीन करोड़ रूपये की बचत कर महिला सशक्तीकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम कर दिखाया है। ग्राम स्वराज के अंतर्गत हर गांव में एक पानी रोको समिति गठित की गयी है। अगले चार वर्षों में प्रत्येक गांव में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।


जनवरी 2001 से जुलाई 2002 तक पानी रोकों अभियान के अंतर्गत 26 लाख जलसंरक्षण संरचनाएं निर्मित की गई हैं। इस अभियान में जनभागीदारी के बतौर करीब 151 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। जनभागीदारी की अपनी नीति की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने पानी रोको अभियान के तहत पूरे प्रदेश में जल संरक्षण और संवर्धन का जो आंदोलन चलाया उसमें प्रदेश की ग्रामीण जनता ने ढेड़ सौ करोड़ रुपये की भागीदारी कर एक नया इतिहास बनाया।


पानी के संकट का स्थायी रूप से निदान करने के लिए चलाये गये इस जन आंदोलन के जरिए प्रदेश में लगभग 12,000 नये तालाबों का निर्माण किया गया। 17,000 तालाबों का जीर्णोद्वार किया गया। 14,000 से ज्यादा नये कुंए खोदे गये और 79,671 कुंओं का जीर्णोद्वार किया गया।

खेतों में जल संग्रह के लिए 32,403 स्त्रोत तैयार किये गए और कृषि भूमि पर जल संचयन के लिए 25,017 गढ्‌ढे खोदे गये। 1.70.777 सोख्ता गड्डों का निर्माण किया गया। घरों की छतों से पानी इकट्ठा करने के लिए 9,744 वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और खेतों में 9,940 किलोमीटर की मेड़बंदी की गई। 4 लाख से ज्यादा जल संरक्षण के कामों को अंजाम देने के लिए 415 करोड़ रूपये खर्च किये गये इसमें लगभग 150 करोड़ की भागीदरी जनता की रही। इससे प्रदेश में 94 करोड़ 27 लाख 62 हजार घनमीटर से ज्यादा अतिरिक्त जल भण्डारण क्षमता विकसित की गई।