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परीक्षाओं के नाम पर देश में हो रहा व्यवसाय
02 दिसंबर, 2014 को पूछे जाने वाले प्रश्न का उत्तर
बच्चों और मदिलाओं में कुपोषण और खून की कमी
* 123.
श्री दिग्विजय सिंह
क्या स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि...
(क) मेरे दिनांक 19 अगस्त, 2014 के पत्र संख्या 4672 में दिए गए सुझावों पर सरकार द्वारा की गई कार्यवाही का ब्यौरा क्या है जिसमें यह सुझाव दिया गया था कि मंत्रालय सभी भौगोलिक क्षेत्रों और प्रभावशील सामाजिक समूहों पर ध्यान देकर गंभीर रूप से कुपोवित अथवा खून की कमी से पीड़ित बच्चों एवं महिलाओं को लक्ष्य बनाए ताकि परिणाम अधिक कारगर एवं लक्ष्यक्षत तरीके से किया जा सके।
(ख) क्या मंत्रालय यह सुनने जाएगा कि योजना आयोग के साथ इस बारे में चर्चा करेगा कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की सूची में एक संकेतक खून की कमी और कुपोषण के मामलों को भी शामिल करना होगा, क्योंकि खून की कमी और कुपोषण गरीबी का प्रमुख लक्षण होता है।
(क) एवं (ख) का विवरण (:—) पटल पर रखा है।
(क) कुपोवित और रक्ताल्पता पर ध्यान देने के लिए लक्ष्यात्मक दृष्टिकोण को भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्य के अंतर्गत अपनाया जाता है। तीव्रीकृत प्रयास करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्य द्वारा कुल 184 जिलों की पहचान की गई है, जहां माता और बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित समस्त संक्रमण कम हैं। इसके अलावा, विभिन्न सामाजिक समूहों और अन्य समूहों, जैसे प्रवासी व्यक्तियों और वहां निवास कर रहे लोगों की संख्या को भी बाहरी लक्ष्यों और चर धाराओं के माध्यम से संक्रमित होने से बचाने के लिए लक्ष्यात्मक किया जाता है। एनएमएन द्वारा गंभीर रूप से रक्ताल्प सभी गर्भवती महिलाओं की एक सूची भी तैयार की जाती है, और इन माताओं को रक्ताल्पता का व्यापक उपचार प्राप्त कराने के लिए अनुवांशिक उपचार प्राप्त कराया जाता है। यह प्रयास सभी गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं, किशोरियों और पांच वर्ष की आयु के बच्चों को व्यापक रूप से दिये जाने वाले आयरन और फोलिक एसिड सामग्रियों के अंतर्गत है। इसी तरह, आंगनवाड़ी क्षेत्रों में नए विकास की चुनौतियों की जांच करके गंभीर रूप से कुपोवित बच्चों की पहचान की जाती है, और उन्हें उनकी आवश्यकताओं के अनुसार एकीकृत बाल विकास योजनाओं के तहत आहार प्राप्त कराया जाता है। आंतरिक दलदलिताओं वाले इन अत्यंत गंभीर कुपोवित बच्चों का इलाज राष्ट्रीय स्वास्थ्य लक्ष्य के अंतर्गत स्थानीय स्तर पर पुनर्वास की राशि के साथ किया जा रहा है। इन बच्चों के लिए उनके आशा के माध्यम से उपचार भी किया जाता है।
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