Digvijaya Singh
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03 दिसम्बर 2014 जनजातीय लोगों को वन-भूमि का स्वत्व विलेख प्रदान करना

03 दिसम्बर 2014 जनजातीय लोगों को वन-भूमि का स्वत्व विलेख प्रदान करना

भारत सरकार

(जनजातीय कार्य मंत्रालय)

राज्य सभा

अतारांकित प्रश्न संख्या 1230

उत्तर देने की तारीख : 03.12.2014

जनजातीय लोगों को वन-भूमि का स्वत्व विलेख प्रदान करना

श्री दिग्विजय सिंहः

क्या जनजातीय कार्य मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे किः

(क) क्या सभी जनजातीय लोग जिन्होंने 2005 से पहले वन भूमि पर अतिक्रमण किया था उन्हें वन भूमि पर ही रहने दिया जाना चाहिए; और

(ख) यदि हां, तो राज्य-वार जनजातीय लोगों और गैर-जनजातीय लोगों द्वारा पेश किए गए दावों के आंकड़े क्या-क्या हैं तथा इसमें से कितने जनजातीय और गैर-जनजातीय लोगों को प्रत्येक राज्य में स्वत्व विलेख प्रदान किये जा चुके हैं?

उत्तर

श्री जुएल ओराम मंत्री जनजातीय कार्य

(क) : वन निवासी अनुसूचित जनजातियां तथा अन्य परंपरागत वन निवासी जिन्होंने वन भूमि पर कब्जे किए हुए हैं तथा जो पीढ़ियों से वनों में रह रहे हैं परन्तु जिनके वन अधिकारों को दर्ज नहीं किया जा सका है; उनके पूर्व विद्यमान वन अधिकारों को अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत तथा इसमें निर्धारित उचित प्रक्रिया का अनुसरण करने के पश्चात मान्यता दी गई है तथा उन्हें ये अधिकार प्रदान किए गए हैं।

(ख) : दिनांक 31.10.2014 तक अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत प्राप्त दावों तथा वितरित अधिकार पत्रों की राज्यवार संख्या को दर्शाने वाला विवरण अनुलग्नक में दिया गया है।