Digvijaya Singh
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आदिवासियों के उत्थान के लिये भूमिहीन परिवार को लगभग 20 वर्ष पहले दी गई कृषि भूमि पर नगर पालिका ने अब गिद्ध दृष्टि डाल दी है सीएम को लिखा पत्र

आदिवासियों के उत्थान के लिये भूमिहीन परिवार को लगभग 20 वर्ष पहले दी गई कृषि भूमि पर नगर पालिका ने अब गिद्ध दृष्टि डाल दी है सीएम को लिखा पत्र

प्रिय डॉ. मोहन यादव जी,

श्री राजेश प्रसाद भील एवं दुर्गा प्रसाद भील आत्मज स्व. श्री हरीसिंह भील, निवासी ग्राम तारागंज, तहसील सारंगपुर, जिला राजगढ़, मध्यप्रेदश द्वारा अवगत कराया गया है कि उनके पिता स्व. श्री हरीसिंह भील आत्मज स्व. श्री गुलाब सिंह भील एवं आवेदकों की माता श्रीमती गीताबाई के नाम पर संयुक्त पट्टा मध्यप्रदेश शासन द्वारा लगभग 20 वर्ष पहले दिया गया था, जो नामांतरण अभिलेख में भी दर्ज है। प्रदेश के लाखों भूमिहीन परिवारों को मेरे मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान भूमि आंवटित की गई थी। आज लाखों परिवार पट्टे पर आवंटित जमीन पर खेती किसानी कर सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर रहे है। क्या सरकार द्वारा बदले की भावना से ऐसे पट्टेधारी परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है।    

आवेदकगणों ने बताया है कि दिनांक 01.05.2021 को आवेदक के पिता एवं दिनांक      11.01.2023 को उनकी माता की मृत्यु हो गई है। करीब 10 वर्ष पूर्व सारंगपुर नगर पालिका के सीमा विस्तार में आसपास के ग्राम नगर पालिका की सीमा में आ गये है। वर्तमान में सम्पूर्ण तारागंज गांव सारंगपुर नगर पालिका के वार्ड क्र. 17 में आता है। आदिवासियों के उत्थान के लिये भूमिहीन परिवार को लगभग 20 वर्ष पहले दी गई कृषि भूमि पर नगर पालिका ने अब गिद्ध दृष्टि डाल दी है। 

यह परिवार 20 वर्ष से इस भूमि पर कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन कर रहा है। नगर पालिका द्वारा बलपूर्वक इस जमीन पर पानी की टंकी बनाने का कार्य किया जा रहा है। पीड़ित परिवार के लाख विरोध के बाद भी कहीं किसी भी स्तर पर कोई सुनवाई नही हो रही है। जबकि मध्यप्रदेश शासन के निर्देश द्वारा कृषि कार्य हेतु यह जमीन इस परिवार को प्रदान की गई थी। नगर पालिका, तहसील एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय से लेकर कलेक्टर कार्यालय तक कोई यह बताने को तैयार नही है कि इस पट्टे की कृषि भूमि पर कैसे पानी की टंकी बनाई जा रही है। यदि पट्टा निरस्त किया गया है तो इसकी भी सूचना नही दी गई है। पट्टा निरस्त करने की स्थिति में पुनः पुनर्वास किया जा कर किसी अन्य स्थान पर कृषि भूमि आवंटित की जाना थी। 

यह मामला अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के अंतर्गत अपराध योग्य है। संबंधित ऐजेंसी के खिलाफ मनमानी तरीके से पट्टे की भूमि पर कब्जा करने और आदिवासी परिवार को आतंकित कर प्रताड़ित करने के अपराध में ‘‘एट्रोसिटी एक्ट’’ के अंतर्गत प्रकरण दर्ज करना चाहिये। मेरी मांग है कि आदिवासी परिवार की जमीन पर बनाई जा रही पानी की टंकी का कार्य तत्काल रोका जाए और अन्य किसी शासकीय जमीन पर इस टंकी का निर्माण कार्य किया जाना चाहिये। गरीब आदिवासी परिवारों के विरूद्ध प्रदेश में प्रताड़ना के मामल लगातार बढ़ते जा रहे है। यह मामला भी इसी शृंखला की एक कड़ी है।

मेरा निवेदन है कि भारत के संविधान में दिये गये प्रावधानों के अनुरूप आदिवासी वर्ग को शासकीय संरक्षण मिलना चाहिये। इस मामले की अपर कलेक्टर स्तर से जांच कराई जाये और बलपूर्वक निर्मित की जा रही पानी की टंकी का निर्माण कार्य तत्काल रोक दिया जाये। मैं उम्मीद करता हूँ की सरकार पर से दिनों दिन उठ रहे आदिवासियों के विश्वास को बचाएं और बनाए रखने के लिये ‘‘समय सीमा’’ तय करते हुए पीड़ित परिवार को संरक्षण दिया जाना चाहिये।

सहयोग के लिये मैं आपका आभारी रहूँगा।

सादर,

आपका
/
(दिग्विजय सिंह)

डॉ. मोहन यादव जी
माननीय मुख्यमंत्री,
मध्यप्रदेश शासन,
भोपाल, मध्यप्रदेश

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